Ghazipur News: परंपरागत रूप से मनी हजरत इमाम हुसैन की शहादत, निकला भव्य जुलूस
UP News | Ghazipur News | गाजीपुर में यौमे आशूरा गमगीन माहौल में मनाया गया। मुस्लिम समुदाय ने इमाम हुसैन की शहादत को याद किया। जुलूस निकाला गया जिसमें ताजिये कर्बला ले जाए गए। लोगों ने रोजे रखे मजलिसों में मातम किया और गरीबों को खाना खिलाया। इमाम चौक पर महिलाओं ने दुआएं कीं। यह आयोजन सामाजिक समरसता का प्रतीक रहा।

जागरण संवाददाता, गाजीपुर। हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद दिलाने वाला पर्व आशूरा के दिन 10वीं मुहर्रम को गमगीन माहौल में परंपरागत तरीके से मनाया गया। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने सुबह से शरबत व अन्य खाने की चीजों पर नजरों-नियाज कराई।
नौवीं व दसवीं मुहर्रम को रोजे रखे गए। मजलिसों में नोहा ख्वानी व मातम किए गए। उलमा-ए-कराम ने तकरीर में हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद दिलाते हुए मुसलमानों को हजरत इमाम हुसैन की तरह सच्चाई मानवता के रास्ते पर चलने की ताकीद की। रविवार की दोपहर बाद जुलूस की शक्ल में ताजिया करबला को रवाना हुआ तो पूरी सड़कों पर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा।
या हुसैन या हुसैन की सदाओं से पूरा माहौल गमगीन हो गया। थाना चौराहा व मसउदपुर में ताजिये की मिलनी की गई।यौमे आशूरा के मौके पर हजरत इमाम हुसैन की याद में लोगों ने जगह-जगह चबीले चलाई। गरीबों मिसकीनों बच्चों को खाना खिलाया गया। ग्रामीण इलाकों में दोपहर बाद से कर्बला ले जाकर ताजिया ठंडा करने का सिलसिला शुरू हुआ, जो देर रात तक चलता रहा। पुरानी बाजार में अजादारों ने जंजीर व ब्लेड का मातम किया, जिसे देखने के लिए लोगो की भारी भीड़ रही।
जुलूस निकालकर कर्बला में दफन किये गए ताजिया
मातमी माहौल में रामपुर, अमेहता, बहेरी, नायकडीह, दरवेपुर और खानपुर के विभिन्न स्थानों पर कर्बला में ताजिया को दफन किया गया। कर्बला के बहत्तर शहीदों की याद में रविवार की सुबह इमाम चौक पर फातिहा पढ़ने के बाद ताजिया को कर्बला के लिए ले जाया गया।
इस दौरान ताजिया वाले इलाके में पुलिस फोर्स की तैनाती रही। सभी ताजियेदार अपने-अपने ताजियों को शांतिपूर्ण माहौल में देर शाम तक कर्बला में ठंडा करने में जुटे रहे। वहीं अखाड़े वाले युवकों ने भी नए-नए करतब प्रस्तुत किए। खानपुर में ढोल ताशा पार्टी में शामिल युवाओं के बीच एक-दूसरे को मात देने की होड़ सी लगी रही।
इससे पूर्व चौक पर रखे गए ताजिया को महिलाओं ने मलीदा, खीर पूड़ी, जर्दा पूड़ी के प्रसाद के साथ नफिल नमाजों व दुआओं को पढ़ने में जुटी रही। महिलाएं व पुरूष के साथ बच्चों ने इमाम चौक के चारों तरफ घूम-घूम कर ताजियों की ज़ियारत की।
रंग-बिरंगे कागज, लकड़ी और सजावटी सामानों से सजे ताजिया के साथ ताजियादारों की सेल्फी और फोटो लेने की होड़ मची रही। खानपुर के गुलाम गौस ने बताया कि यह आयोजन केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि सामाजिक सहयोग और समरसता का भी प्रतीक है। कर्बला मैदान में ताजिया दफनाने की परंपरा सैकड़ों वर्षों पुरानी है।

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