गाजीपुर में भारी वाहनों से छलनी हो गया लंका-अंधऊ बाईपास, हर कदम पर खतरा
गाजीपुर में लंका-अंधऊ बाईपास की हालत खस्ताहाल है, जिससे राहगीरों को भारी परेशानी हो रही है। चार किलोमीटर लंबे इस मार्ग पर गड्ढों की भरमार है, जिससे दु ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, गाजीपुर। लंका–अंधऊ बाईपास की हालत इन दिनों बद से बदतर हो चुकी है। करीब चार किलोमीटर लंबे इस मार्ग पर गड्ढों की तादाद इतनी है कि उन्हें गिनना मुश्किल हो गया है। सड़क कम और गड्ढों का जाल ज्यादा नजर आता है।
हालात यह हैं कि रोजाना बाइक सवार, स्कूली बच्चे और बुजुर्ग फिसलकर गिर रहे हैं, चोटिल हो रहे हैं, लेकिन न तो किसी जनप्रतिनिधि की नजर पड़ रही है और न ही लोकनिर्माण विभाग के अफसरों की नींद टूट रही है। सबसे भयावह स्थिति बद्रीचंद पोखरा से बकुलियापुर गांव तक है। इस छोटे से हिस्से को पार करने में लोगों का धैर्य जवाब दे देता है। वाहन चालकों की जुबान पर शासन-प्रशासन को लेकर गुस्सा साफ झलकता है।
नगर क्षेत्र में सुबह नौ बजे से रात नौ बजे तक नो-इंट्री लागू रहने के कारण बलिया और बिहार की ओर से आने वाले भारी वाहन इसी बाईपास का सहारा लेते हैं। जमानियां मोड़ से लेकर नागतारा, बकुलियापुर, बद्रीचंद पोखरा, बीकापुर, मिरनपुर सक्का और चौकियां होते हुए ये वाहन फोरलेन पर पहुंचते हैं।
अनुमान है कि इस मार्ग से रोजाना छोटे-बड़े मिलाकर करीब दस हजार वाहन गुजरते हैं। भारी ट्रक-ट्रेलरों के लगातार दबाव से सड़क जगह-जगह टूट चुकी है।
यही नहीं, इसी रास्ते से सैकड़ों स्कूली बच्चे रोजाना जान हथेली पर रखकर स्कूल आते-जाते हैं। अभिभावकों में डर का माहौल है, लेकिन जिम्मेदारों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। इतना महत्वपूर्ण और व्यस्त मार्ग होने के बावजूद अब तक मरम्मत न होना कई सवाल खड़े करता है।
क्या किसी बड़े हादसे का इंतजार किया जा रहा है? या फिर गड्ढों में लोगों की परेशानी ही व्यवस्था की नियति बन चुकी है। स्थानीय लोगों ने जल्द से जल्द सड़क की मरम्मत और भारी वाहनों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की मांग की है, लेकिन फिलहाल बाईपास पर सिर्फ गड्ढे ही गवाही दे रहे हैं, लापरवाही और उदासीनता की।
लंका–अंधऊ बाईपास पर गड्ढे इतने हैं कि बाइक चलाना मुश्किल हो गया है। कई बार फिसल चुका हूं, हाथ-पैर छिल गए हैं। सबसे डर तब लगता है जब सामने से ट्रक आ जाए। बचने के चक्कर में गड्ढे में बाइक चली जाती है। रात में तो हालात और खराब हो जाते हैं। लगता है प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है, तभी शायद सड़क बने।
- राकेश पांडेय, बिराइचसैकड़ों बच्चे रोज इसी रास्ते से स्कूल जाते हैं। गड्ढों की वजह से साइकिल और आटो पलटते मैंने अपनी आंखों से देखा है। बारिश में तो हालात और खतरनाक हो जाते हैं। बच्चे जान हथेली पर रखकर सफर करते हैं। हमने कई बार शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इतना व्यस्त और जरूरी मार्ग होने के बावजूद अगर मरम्मत नहीं हो रही, तो यह सीधी लापरवाही है।
-विद्यासागर, गौसाबाद।-रोज लंका–अंधऊ बाईपास से गुजरता हूं और हर दिन डर के साथ सफर करना पड़ता है। सड़क पर गड्ढों की भरमार है, बाइक या साइकिल चलाना बेहद मुश्किल हो गया है। कई बार संतुलन बिगड़ जाता है और गिरते-गिरते बचा हूं। भारी वाहन सामने आ जाएं तो जान जोखिम में पड़ जाती है।
- मुर्तुजा, अंधऊ।-इस सड़क से पैदल चलना अब किसी सजा से कम नहीं है। उम्र बढ़ने के साथ चलना ही मुश्किल हो गया है और ऊपर से गड्ढों से भरी सड़क। कई बार पैर फिसल चुका है। भारी ट्रकों के गुजरने से डर बना रहता है। यह रास्ता हजारों लोगों की रोजमर्रा की जरूरत है, फिर भी मरम्मत नहीं हो रही। प्रशासन को अब जागना चाहिए, नहीं तो किसी बड़े हादसे से इन्कार नहीं किया जा सकता।-
जामवंत, आसमानिचक।सड़क अधिक खराब होने के कारण दोबारा से प्रस्ताव तैयार करना पड़ा। अब चार किमी सड़क निर्माण के लिए करीब छह करोड़ रुपये का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ है। बजट मिलने के बाद इसकी टेंडर प्रक्रिया की जाएगी।
बीएल गौतम, अधिशासी अभियंता प्रांतीय खंड लोकनिर्माण

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