धान रोपाई के बाद करें ढैंचा की बोआई, बढ़ जाएगी पैदावार
किसान अगर गर्मी के मौसम में किसी कारणवश खाली खेत में ढैंचा की बोआई नहीं कर पाते हैं तो घबराने की आवश्यकता नहीं है।

जागरण संवाददाता, गाजीपुर : किसान अगर गर्मी के मौसम में किसी कारणवश खाली खेत में ढैंचा की बोआई नहीं कर पाते हैं तो घबराने की आवश्यकता नहीं है। वह धान की रोपाई करने के बाद भी उसमें ढैंचा की बोआई कर दें और उसे खरपतवारनाशी दवा से सड़ा दें। इससे बढि़यां हरी खाद बनेगी, जिससे धान की पैदावार बढ़ जाएगी। यह कहना था कृषि विज्ञान केंद्र पीजी कालेज के कृषि वैज्ञानिक डा. शिवकुमार का। वह मंगलवार को दैनिक जागरण प्रश्न पहर में किसानों के प्रश्नों का फोन द्वारा उत्तर दे रहे थे।
उन्होंने बताया कि धान की रोपाई करने के बाद जब खेत में कीचड़ हो तब सात किलोग्राम प्रति बीघा के हिसाब से ढैंचा बीज उसमें छिड़क दें। वह तुरंत अंकुरित हो जाएगा। इसके तीस दिन बाद ढैंचा के पौधे जब बड़े हो जाएं तो खरपतवारनाशी दवा 2-4-डी 160 ग्राम प्रति बीघा की दर से पानी में मिलाकर छिड़क दें। इससे कुछ दिन बाद ढैंचा सड़क हरी खाद बन जाएगा। इससे धान की अच्छी पैदावार होगी। इस विधि से हरी खाद तैयार करने का यह लाभ है कि एक ही समय और खर्च में धान और ढैंचा दोनों तैयार हो जाते हैं।
-------------------------- हरी खाद तैयार करने की विधि
: गेहूं की कटाई के बाद अप्रैल से मई के बीच खेत की जोताई कर लें, जिससे कीड़े-मकोड़े और उनके लार्वा सहित खरपतवार के बीज भी नष्ट हो जाते हैं। मिट्टी में अमूल्य बारिश का पानी स्टोर होता है, जिससे उसकी जल धारण की क्षमता बढ़ जाती है। इससे फसलों में कम पानी देना पड़ता है। 15 मई के बाद ढैंचा की बोआई कर लें और 50 दिन के भीतर ही उसकी जोताई कर दें। इससे प्रति हेक्टेयर 200-350 क्विटल हरी खाद मिलेगी। इसमें फसल के लिए सभी पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इससे मिट्टी की संरचना में सुधार होता है और उसकी उर्वरता बढ़ती है।
हरी खाद के लिए दलहनी और बिना दलहनी फसलें जैसे ढैंचा, सनई, उर्द व मूंग आदि का प्रयोग किया जाता है। हरी खाद के लिए झाड़ियों और पेड़ों की पत्तियों, टहनियों को भी उपयोग में ला सकते हैं, लेकिन इसके लिए विशेष रूप से ढैंचा फसलों का उपयोग किया जाता है। कुछ ऐसे आए प्रश्न..
प्रश्न : मूली के जड़ में कीड़े लग जा रहे है, कीटनाशक काम नहीं कर रहा है।
उत्तर : तीन चार मूली को उखाड़ कर यदि संभव हो तो केवीके पीजी कालेज लेकर आएं। इसकी जांच कर देखा जाएगा कि किस प्रकार के कीट हैं यदि नहीं ला सकते है तो उसकी फोटो वाट्सएप पर भेंज दे। देखकर दवा उपचार बताया जाएगा। प्रश्न : मेरा आम का बागीचा है जिसमें बौर लगने के बाद सभी गिर गया। कहीं-कहीं आम के फल दिख रहे है वह भी गिर जा रहे है। जबकि मैं लगातार सिचाई कर रहा हूं।
उत्तर : आम के बाग की सितंबर माह में अच्छे से जोताई व खोदाई होनी चाहिए। इसमें 15 सितंबर से 15 अक्तूबर तक प्रतिपौधा 250-300 ग्राम एनपीके, माइक्रों न्यूट्रिटेंट आफ मिक्चर तथा 35-40 किलो ग्राम सड़ी गोबर की खाद व इतनी ही मात्रा में मिट्टी मिलाकर पौधे से दो से तीन मीटर की दूरी पर दें। इसके बाद पेड़ के चारों तरफ नाली नूमा घेरा बनाकर सिचाई कर दें। इसी समय पौधों पर कीटनाशक से अच्छी तरह से धो दें। जब फरवरी में जब बौर आने लगे तो एक बार फिर से कीटनाशक का छिड़काव करें। जब आम के दाने मटर के बराबर हो जाए तो प्लेनोफिक्स का छिड़काव एक एमएल पांच लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर दें। जब फसल बेर के बाराबर हो जाए तो एक बार और इसका छिड़काव कर दें। किसी भी फसल में फूल की स्थिति में पानी नहीं देना चाहिए, नहीं तो सभी फूल गिर जांएगे। प्रश्न : मैंने तीन बीघा केला की खेती की है इसमें से पांच मंडा केला बहुत ही कमजोर है।
उत्तर : केला की खेती के लिए खेत का मजबूत होना बहुत ही जरूरी है। इसके बीच में जोताई कराकर इसमें गोबर की खाद दें। हरी खाद के लिए मूंग की बोआई करा दें। जब यह फूल लेने लगे तो इसकी जोताई कराकर मिट्टी में दबा दें। खेत की मिट्टी उपजाऊ हो जाएगी। इस समय फसल को 19:19:19 नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटाश के साथ बोरान व मालिवेडिनम युक्त माइक्रो न्यूट्रेंट का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में छिड़काव कर दें। प्रश्न : खेत में जो फसल लगाते हैं, उसे दीमक चाट जाता है। इसका क्या उपाय है?
उत्तर : यह समस्या बालू युक्त मिट्टी में आती है। अगर आप खेत में फसल नहीं लगाए हैं, तो बोआई के समय खेतों में क्लोरोपाइरी फौस नामक दवा का छिड़काव करें। वहीं अगर फसल लगा हुआ है, तो उक्त दवा को बालू में मिलाकर फसलों पर छिड़काव करें। उसके बाद फसल का पटवन करें। निश्चित तौर पर दीमक से निदान मिलेगा। प्रश्न : मेरे खेत से राढ़ी घास नष्ट नहीं हो रही है, क्या करें?
उत्तर : गर्मी के मौसम में राढ़ी वाले खेत को दो तवे वाले हल से पलट दें। इसके कुछ दिन बाद उसे फिर से पलट दें। बरसात के दिन में उससे नए कल्ले निकलेंगे। उस पर दवा का छिड़काव कर दें, वह एकदम से समाप्त हो जाएगी। इन्होंने किए प्रश्न :
- पहसी राम-कहोतरी, दीपक स्वर्णकार-करीमुद्दीनपुर, मुख्तार राईनी-गौसपुर बुजुर्गा, रामबिलास यादव-मुहम्मदाबाद, पवन कुशवाहा-जमानियां, राजनाथ सिंह-मरदह, मुराहू चौहान-कासिमाबाद और जामवंत कुमार-करंडा।
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