गाजीपुर की इस सड़क का क्रेडिट लेने की मची होड़, प्रभारी मंत्री और MLC ने रखी आधारशिला तो सपा विधायक ने की पूजा
गाजीपुर की लावा-सुभाखरपुर मार्ग की मरम्मत के लिए शासन से धन स्वीकृत होने के बाद श्रेय लेने की होड़ मच गई है। प्रभारी मंत्री रवींद्र जायसवाल और MLC विशाल सिंह चंचल ने आधारशिला रखी तो सपा विधायक डॉ. वीरेंद्र यादव ने भी जेसीबी लेकर पूजन-अर्चना की। छात्र नेता विवेकानंद पांडेय भी दावा कर रहे हैं कि उनके आंदोलन का ही नतीजा है कि सरकार ने धन स्वीकृत किया।
संवाद सहयोगी, गाजीपुर। लावा-सुभाखरपुर मार्ग की मरम्मत के लिए शासन से धन स्वीकृत होने के बाद श्रेय लेने की होड़ मच गई। मंगलवार को प्रभारी मंत्री रवींद्र जायसवाल व एमएलसी व एमएलसी विशाल सिंह चंचल ने सांकेतिक रूप से आधारशिला क्या रही सपा नेता बौखला गए।
गुरुवार को सुबह क्षेत्रीय विधायक डॉ. वीरेंद्र यादव काफी संख्या में लोगों के साथ जेसीबी लेकर पहुंचे लावा मोड़ के पास पूजन-अर्चना की।
साथ ही जनता से यह बताना नहीं भूले कि यह विधायक की मेहनत का नतीजा है कि आज मार्ग की मरम्मत के लिए धन स्वीकृत हुआ है। विधायक ने कहा कि उनके प्रयास से सड़क स्वीकृत हुई है।
आज अपने जंगीपुर विधानसभा क्षेत्र के लावा सुभाखरपुर मार्ग 10km के सुदृढ़ीकरण एवं चौड़ीकरण कार्य का शिलान्यास विधि विधान से पूजन करने के पश्चात संपन्न हुआ। इस अवसर पर क्षेत्र की सम्मानित जनता भी उपस्थित रही साथ ही सभी को शुभकामनाएँ दी! यथाशीघ्र यह सड़क क्षेत्र के लोगों के लिए बेहतर… pic.twitter.com/lry7OzUFtD
— Dr. Virendra Yadav MLA (@Virendra_mla) March 27, 2025
वहीं दूसरी ओर सपा शासनकाल मेंं मार्ग की मरम्मत के लिए आंदोलन किए और जेल गए छात्र नेता विवेकानंद पांडेय भी इंटरनेट मीडिया से यह साबित कर रहे हैं कि यह मेरे आंदोलन का ही नतीजा है कि सरकार ने धन स्वीकृत किया।
2015 में चर्चा में आया था मार्ग
लावा-सुभाखपुर मार्ग 15 अगस्त 2015 में चर्चा में आया। प्रदेश स्तर पर इस मार्ग को लेकर काफी दिनों तक बहस हुई। कारण बना मार्ग की मरम्मत के लिए बैठे आंदोलनकारियों पर पुलिस ने लाठी बरसाई।
पुलिस ने आंदोलन करने वालों को बेरहमी से पिटाई की तो वे उग्र हो गए और दर्जन भर वाहनों को आग के हवाले कर दिया। साथ ही पथराव कर कई अधिकारियों को घायल कर दिया।
इस घटना के बाद कई दिनों तक जंगीपुर में कर्फ्यू जैसा माहौल रहा। छात्र नेता विवेकानंद पांडेय समेत 69 नामजद व 900 अज्ञात के विरूद्ध मुकदमा दर्ज किया गया तो प्रदेश स्तर पर बहस छिड़ गई।
विपक्षी पार्टी ने चुनाव के समय इस मार्ग को मुद्दा बनाया। बावजूद इस सड़क की हालत नहीं सुधरी। तब कैलाश यादव पंचायती राज मंत्री थे। उनके निधन के बाद उनकी पत्नी विधायक बनीं। अब उनके पुत्र वीरेंद्र यादव विधायक हैं।
झूठी वाहवाही लेना चाहते सपा विधायक: एमएलसी
जंगीपुर से सपा विधायक यदि सपा कार्यकाल में सड़क निर्माण के लिए भूमि पूजन किए होते तो अच्छा लगता। तब उनके पिता पंचायती राजमंत्री थे।उनके कार्यकाल में सड़क निर्माण की मांग करने वाली जनता पर लाठियां बरसाईं गई। फर्जी मुकदमे तक दर्ज किए गए। पिता के बाद उनकी मां विधायक बनीं, लेकिन सड़क नहीं बनी।फिर खुद डॉ. वीरेंद्र यादव भी सपा में विधायक रहे। तभी उन्हें सड़क का ख्याल नहीं आया। भाजपा सरकार में सड़क निर्माण के विरोध उन्होंने धान की रोपाई कर की। अब सरकार ने मेरे प्रयास से सड़क निर्माण की स्वीकृति दी है तो उन्होंने अपनी इज्जत बचाने के लिए बिना विभाग के किसी कार्यक्रम के स्वत: पहुंचकर पूजा अर्चना की है। ऐसा पहली बार देखा गया है कि विरोध करने वाले विधायक स्वत: पूजा करने पहुंच गए।
विशाल सिंह, चंचल, सदस्य विधान परिषद
सरकार के आठ साल के कार्यक्रम के दौरान प्रभारी मंत्री व एमएलसी ने सांकेतिक शिलान्यास इस सड़क का किया है। विभाग से कोई कार्यक्रम नहीं था। विधायक ने स्वत: ही पूजा किया है।
बीएल गौतम, एक्सईएन पीडब्ल्यूडी प्रांतीय खंड
इस मार्ग के निर्माण की मांग करने पर विधायक के पिता व सपा सरकार के तत्कालीन मंत्री कैलाश यादव के इशारे में पर पुलिस ने बेरहमी से पिटाई की थी। पुलिस व सपा सरकार का जुल्म आजीवन नहीं भूल सकता हूं। हम आंदाोलनकारियों पर फर्जी मुकदमे दर्ज किए गए। तमाम यातनाएं दी गई। आज जब योगी सरकार ने सड़क निर्माण का धन स्वीकृत किया है तो विधायक झूठी अपनी पीठ थपथपाने लगे हैं।
विवेकानंद पांडेय, छात्रनेता व आंदोलनकारी सड़क निर्माण
28.5 प्रतिशत बिलो दर पर विजय यादव ने लिया टेंडर, गुणवत्ता की चुनौती
लावा-सुभाकरपुर मार्ग निर्माण को शासन ने 22 करोड़ की स्वीकृति दी है। हालांकि टेंडर 15 करोड़ का निकाला गया। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष आशा यादव के पति विजय यादव ने यह टेंडर 28.5 प्रतिशत बिलो पर 12 करोड़ में लिया है। इसके अतिरिक्त 18 प्रतिशत जीएसटी है।
सरकार से निर्धारित दर से साढ़े 28 प्रतिशत कम पर टेंडर लेकर सड़क निर्माण की गुणवत्ता को कायम रखना बड़ी चुनौती है। बिलो के टेंडर की गुणवत्ता काफी खराब होती है। जल्द ही सड़क टूट जाती है। अब देखना यह है कि इस सड़क की गुणवत्ता कैसे ठीक रहती है।
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