तालिबानी झंडे को अपनी झंडा नहीं मानती अफगानिस्तानी टीम, तालिबानी शासन के बाद अफगानिस्तान में दफन हुए खेल
एचआरआइटी कालेज परिसर में प्रथम एशियन शूटिंग बाल चैंपियनशिप गेम में अफगानिस्तानी टीम के मैनेजर ने बताया कि देश में तालिबान के प्रशासन की एंट्री के बाद ...और पढ़ें

गाजियाबाद, जागरण संवाददाता। गाजियाबा- मेरठ रोड एचआरआइटी कालेज परिसर में प्रथम एशियन शूटिंग बाल चैंपियनशिप का आयोजन हुआ। इसमें भारत के अलावा बांग्लादेश, नेपाल और अफगानिस्तान की टीमों ने हिस्सा लिया। अफगानिस्तानी टीम के खिलाड़ी पुराने झंडे के साथ भारत के अलावा दुनिया के अलग-अलग देशों से चैंपियनशिप में प्रतिभाग करने के लिए पहुंचे।
टीम खिलाड़ियों ने कहा कि वे लोकतंत्र की हत्या कर देश पर शासन करने वाली तालिबानी सरकार और उनके झंडे को नहीं मानते। शूटिंग बाल फेडरेशन आफ अफगानिस्तान के बैनर तले एशियन चैंपियनशिप में खिलाड़ी अपने खर्च पर खेलने आए हैं।
टीम के खिलाड़ी बताते हैं कि देश से तालिबानी शासन हटे तो शरणार्थी बनकर दूसरे देशों में रह रहे खिलाड़ी अपने वतन लौट सकें और दुनिया के सभी मुल्कों में अपने देश का परचम लेकर शान के साथ खेलें। अभी तालिबानियों को पाकिस्तान की शह मिल रही है। यह भी ज्यादा दिन तक रहने वाली नहीं है। उन्हें उम्मीद है कि वह एक दिन जरूर अपने देश से ही दुनिया के अन्य देशों में खेलने के लिए जाएंगे।
फंडिंग की कमी से दम तोड़ रहीं हैं खेल प्रतिभाएं
खिलाड़ियों ने बताया कि आज भी दूसरे देशों में रहने वाली अफगानिस्तानी महिला खिलाड़ी किसी चैंपियनशिप में खेलने के बारे में सोच भी नहीं सकतीं क्योंकि उनके पास फंड की कमी है। यही वजह है कि इस चैंपियनशिप में भारत के अलावा बांग्लादेश और नेपाल की महिला टीम भी खेल रही है, लेकिन अफगानिस्तान की सिर्फ पुरुष टीम यहां पहुंची है।
तालिबानी शासन के बाद अफगानिस्तान में खेल दफन हो गए हैं। कई खिलाड़ी और बहुत से लोग दुनिया के अलग-अलग देशों में शरण लिए हुए हैं। अफगानिस्तान से ब्रिटेन, रूस के बाद अमेरिकी सेना भी चली गई।
लौटेगा लोकतंत्र
बाल अफगानिस्तान टीम मैनेजर मोहम्मद खालिद रऊफ ने बताया कि अब तालिबानियों का साथ पाकिस्तान दे रहा है, लेकिन हमें उम्मीद है कि वह ज्यादा दिन नहीं टिकेगा। एक दिन अफगानिस्तान में लोकतंत्र लौटेगा।
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