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    रामबहादुर राय इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के बने अध्यक्ष

    लौवाडीह (गाजीपुर) : प्रख्यात पत्रकार रामबहादुर राय को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र का अध्यक्

    By Edited By: Updated: Fri, 15 Apr 2016 01:00 AM (IST)

    लौवाडीह (गाजीपुर) : प्रख्यात पत्रकार रामबहादुर राय को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र का अध्यक्ष बनाये जाने पर उनके गांव सोनाड़ी में उत्सव का माहौल है। लोग उनके आवास पर पहुंचकर बधाई देने के लिए जुट रहे हैं। लोग एक दूसरे को मिठाई खिलाकर बधाई दे रहे हैं। गांव से निकलकर राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाले श्री राय को हासिल हो रही निरंतर उपलब्धियों से गांव वालों का सीना गर्व से चौड़ा होता जा रहा है। गांव के साथ- साथ पूरे करइल इलाके में इस उपलब्धि पर गौरवान्वित है। अपनी सादगी को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बना चुके राम बहादुर राय ने आपात काल में गिरफ्तारी का दंश भी झेला है। लोकनायक जय प्रकाश नारायण के आंदोलन से वे गहरे रूप से जुड़े रहे।

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    रामबहादुर राय का जन्म वर्ष 1945 में हुआ था। किसान परिवार के शिवदत्त राय के पांच पुत्रों में सबसे बड़े

    रामबहादुर राय हैं। उनकी कक्षा पांच तक की शिक्षा पश्चिम बंगाल के मेदनीचक में हुई थी। कक्षा छह से आठ तक की शिक्षा पूर्व माध्यमिक विद्यालय अवथहीं में हुई। दसवीं तक की शिक्षा एसएमएन इंटर कालेज मच्छटी से ग्रहण करने के बाद 12 वीं की शिक्षा एमएच इंटर कालेज गाजीपुर से प्राप्त किया।

    डीएवी से इंटर, बीएचयू से स्नातकोत्तर

    वाराणसी स्थित डीएवी कालेज से स्नातक करने के पश्चात बीएचयू से स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। इसके पश्चात वे नौकरी की तलाश में पश्चिम बंगाल चले गए। वहां मन न लगने पर वे वाराणसी में आकर ला की पढ़ाई पूरी की। श्री राय उसके बाद पत्रकारिता से जुड़ गए। वर्ष 1980 में अरुणाचल प्रदेश के ईंटानगर में ¨हदुस्तान समाचार पत्र से जुड़े। 1982 में उनका स्थानान्तरण दिल्ली में हुआ। वर्ष 1983 में वे जनसत्ता से जुड़ने के बाद नवभारत टाइम्स से भी जुड़े। कुछ दिनों तक नवभारत टाइम्स में काम करने के बाद वे फिर से जनसत्ता में लौट आए और वहीं से सेवानिवृत हुए। चीन युद्ध के बाद कम्युनिस्टों से मोहभंग हो गया।

    जेपी आंदोलन कानेतृत्व भी किया

    बचपन से ही सिद्धांतों से समझौता न करने वाले रामबहादुर राय प्रारंभ में सीपीआइ समर्थक व सरजू पांडेय के प्रशंसक थे। लेकिन वर्ष 1962 में हुए चीन युद्ध के बाद उन मन बदला और वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गए। बाद में उन्होंने जेपी आंदोलन का नेतृत्व भी किया और मीसा के तहत सबसे पहले उनकी गिरफ्तारी हुई। इनके छोटे भाई विजय बहादुर राय बताते हैं कि शुरू में श्री राय की दिलचस्पी किसानी में रही तथा किसी की सिफारिश नहीं करते थे। गांव से उनका काफी लगाव है लेकिन आना जाना कम हो पाता है। परिवार में किसी तरह का कार्यक्रम आयोजित होने पर ही वे गांव आ पाते हैं। बताया कि वर्ष 1979 में उन्हें जनता पार्टी से वाराणसी लोकसभा से चुनाव लड़ने का न्यौता मिला, लगभग जीत भी सुनिश्चित थी लेकिन वे सक्रिय राजनीति में आने से परहेज किए।

    कई घोटाले का किया खुलासा

    हवाला कांड, बोफोर्स घोटाला, कामनवेल्थ घोटाला, सहारनपुर दंगा, पेड न्यूज, अयोध्या विवाद आदि घटनाओं में धारदार पत्रकारिता की। खादी का कुर्ता और पायजामा पहनने वाले श्री राय को उनके विशिष्ट योगदान के लिए माधव राव सप्रे पत्रकारिता पुरस्कार, भगवान

    दास जागरण पत्रिका पुरस्कार तथा पद्म श्री से नवाजा जा चुका है। वर्तमान में श्री राय प्रथम प्रवक्ता पत्रिका का संपादन कर रहे हैं।

    क्षेत्र का कराया विकास

    श्री राय ने अपने संबधों का लाभ गांव के साथ इलाके को भी दिलाया। उनके योगदान के बारे में सोनाड़ी के र¨वद्र नाथ राय एवं अशोक राय ने बताया कि वर्ष 1990 -91 में गांव का विद्युतकरण कराया और मलिकपुरा- सोनाड़ी- अवथही संपर्क मार्ग का निर्माण कराया। उनकी नई जिम्मेदारी पर खुशी जताने वालों में रमाशंकर तिवारी, चतरबल तिवारी, गुप्तेश्वर राय, जय प्रकाश राय, अशोक राय, रविशंकर राय, र¨वद्र नाथ राय सहित सैकड़ों लोग थे।