सर्दियों में बदहाली की मार झेल रहा जिला महिला अस्पताल का रैन बसेरा, कहीं खिड़कियां टूटी तो कहीं कुत्तों का डेरा
जिला महिला अस्पताल का रैन बसेरा सर्दियों में बदहाली झेल रहा है। टूटी खिड़कियों और कुत्तों के डेरे के कारण मरीजों और तीमारदारों को भारी परेशानी हो रही है। अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से स्थिति और भी खराब हो गई है, जिससे लोगों को सुरक्षित आश्रय नहीं मिल पा रहा है।

रैन बसेरे के अंदर बैठा कुत्ता। जागरण
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। सर्दी के बढ़ते तापमान के बीच जरूरतमंद लोगों के लिए सार्वजनिक रैन बसेरों की आवश्यकता बढ़ गई है, लेकिन अधिकारी इनके संचालन को लेकर गंभीर नहीं हैं। जिला महिला अस्पताल के रैन बसेरे में कुत्तों ने डेरा डाल रखा है। बेड की चादरें अस्त-व्यस्त हैं और साफ-सफाई की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है।
खुले आसमान के नीचे रात बिताने पर मजबूर
मुख्य दरवाजे की खिड़की पिछले 20 दिनों से टूटी हुई है, जिसमें से एक हिस्से का शीशा गायब है। सुरक्षा के कोई ठोस इंतजाम नहीं हैं। यह स्थिति तब है जब जिला महिला अस्पताल में प्रसव पीड़ा के बाद गर्भवती महिलाओं के स्वजन रात में पहुंचते हैं। रैन बसेरे की खराब स्थिति के कारण तीमारदार खुले आसमान के नीचे रात बिताने को मजबूर हैं।
कार्यवाहक सीएमएस डा. अभिषेक त्रिपाठी ने बताया कि एमएमजी अस्पताल के नए भवन के निर्माण के लिए टीबी अस्पताल को तोड़ा जा रहा है, जिससे यह रैन बसेरा प्रभावित हो रहा है। सीएमओ डा. अखिलेश मोहन ने जिला अस्पतालों के सीएमएस और सीएचसी प्रभारियों को रैन बसेरों के संचालन के लिए सख्त निर्देश दिए हैं।

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