साइलेंट किलर न बन जाए किडनी की बीमारी, लक्षणों की पहचान करना जरूरी
जागरण संवाददाता साहिबाबाद किडनी(गुर्दे) की बीमारी दबे पांव शरीर पर हमला करती है। ज्

जागरण संवाददाता, साहिबाबाद :
किडनी(गुर्दे) की बीमारी दबे पांव शरीर पर हमला करती है। ज्यादातर मरीजों को इसका पता तब चलता जब बहुत देर हो चुकी होती है। मरीज के सामने डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के अलावा कोई विकल्प नहीं रहता है। किडनी रक्तशोधन का काम करती है। दरअसल इस प्रक्रिया में ये खून से विषैले तत्व और शरीर से अनावश्यक पानी को यूरिन के माध्यम से बाहर निकाल देती हैं। अगर किडनी ठीक से काम न करें तो सेहत बिगड़ने लगती है। किडनी का फेल होना तब कहा जाता है जब यह शरीर के अपशिष्ट पदार्थों को फिल्टर करना बंद कर देती है। यह अपशिष्ट पदार्थ खून में होता है, जिसे छानने का काम किडनी करती है। यूरिन इन्फेक्शन को किडनी की बीमारी का पहला संकेत माना जा सकता है। बुधवार को दैनिक जागरण ने वैशाली स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में हेलो जागरण कार्यक्रम आयोजित किया। लोगों ने फोन कर किडनी से जुड़ी बीमारी को लेकर परामर्श किया। मैक्स अस्पताल के अनुभवी वरिष्ठ निदेशक नेफ्रोलाजी और किडनी प्रत्यारोपण डा. मनोज सिघल, वरिष्ठ निदेशक नेफ्रोलाजी और किडनी प्रत्यारोपण डा. नीरू अग्रवाल, निदेशक नेफ्रोलाजी और किडनी प्रत्यारोपण डा. एलके झा ने मरीजों के सवालों के जवाब दिये। प्रस्तुत हैं सवाल जवाब के प्रमुख अंश..।
----- सवाल : मेरी उम्र 30 साल है। मुझे ब्लड प्रेशर की समस्या है। क्या यह किडनी फेल होने का लक्षण है और इसके अलावा किडनी फेल होने के क्या-क्या लक्षण हैं?- श्याम वर्मा, ग्रेटर नोएडा
जवाब : ब्लड प्रेशर किडनी फेल होने का सबसे बड़ा कारण है। इसलिए नियमित रूप से ब्लड, यूरिन की जांच करवाते रहना जरूरी है। शुगर और ब्लड प्रेशर के मरीजों को नियमित स्क्रीनिग में कराते रहना जरूरी है। हाथ-पैरों और आंखों के नीचे सूजन, सांस फूलना, भूख न लगना और हाजमा ठीक न रहना, खून की कमी से शरीर पीला पड़ना, कमजोरी, थकान, बार-बार पेशाब आना, उल्टी व जी मिचलाना, पैरों की पिडलियों में खिचाव होना, शरीर में खुजली होना आदि लक्षण यह बताते हैं कि किडनी ठीक से काम नहीं कर रही हैं। इसकी तुरंत जांच करानी चाहिए।
-----
सवाल : मुझे बार-बार पेशाब आता था। मैंने जांच कराई तो किडनी ठीक से काम नहीं कर रही थी। किडनी का इलाज चल रहा है। मुझे डर रहता है कि कहीं यह बीमारी ज्यादा न बढ़ जाए। किडनी की बीमारी कितने चरणों में हो सकती है? अखिल सेठ, मोदीनगर
जवाब : यह बीमारी पांच चरणों में हो सकती है। पहले चरण में सामान्य क्रियेटिनिन, वयस्क पुरुष में एक डेसिलीटर खून में 0.6-1.2 मिलीग्राम और महिला में 0.5-1.1 मिलीग्राम और ईजीएफआर (एस्टिमेटेड ग्लोमेरूलर फिल्टरेशन रेट) सामान्य यानी 90 या उससे ज्यादा होता है। ईजीएफआर से पता चलता है कि किडनी कितना फिल्टर कर पा रही है। जांच में यूरिन में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। दूसरे चरण में ईजीएफआर घट कर 90-60 के बीच में होता है, लेकिन क्रियेटिनिन सामान्य ही रहता है। इस स्टेज में भी यूरिन में प्रोटीन ज्यादा निकलता है।तीसरे चरण में ईजीएफआर 60-30 के बीच आ जाता है, वहीं क्रियेटिनिन बढ़ने लगता है। इसी स्टेज में किडनी की बीमारी के लक्षण सामने आने लगते हैं। एनीमिया हो सकता है, ब्लड टेस्ट में यूरिया ज्यादा आ सकता है। शरीर में खुजली होती है। चौथे चरण में ईजीएफआर 30-15 के बीच होता है और क्रियेटिनिन भी बढ़ कर दो-चार के बीच हो जाता है। यह वह स्टेज है कि जरा-सी भी असावधानी मरीज को डायलिसिस या ट्रांसप्लांट की स्टेज में पहुंचा सकती है। पांचवें चारण में ईजीएफआर 15 से कम हो जाता है और क्रियेटिनिन चार-पांच या उससे ज्यादा हो जाता है। फिर मरीज के लिए डायलिसिस या ट्रांसप्लांट का ही उपाय बचता है। आप इलाज कराते रहें। घबराने की जरूरत नहीं है।
------
सवाल : मेरे बड़े भाई की उम्र 42 साल है। जांच कराने पर पता चला है कि उसकी किडनी ठीक से काम नहीं कर रही है। इसका इलाज क्या है? मनजीत सिंह, नोएडा
जवाब : इसके इलाज को मेडिकल भाषा में रीनल रिप्लेसमेंट थेरेपी (आरआरटी) कहते हैं। किडनी खराब होने पर स्थायी इलाज तो किडनी ट्रांसप्लांट ही है, लेकिन जब तक ट्रांसप्लांट नहीं होता, इसका अस्थायी हल डायलिसिस है। हालांकि डायलिसिस भी काफी कारगर रहता है। अगर मरीज खान-पान में संयम बरते, नियमित रूटीन फालो करे और समय पर डायलिसिस करवाता रहे तो वह लंबा जीवन जी सकता है।
------
सवाल : मेरी 64 वर्षीय मां की किडनी ठीक से काम नहीं कर रही है। डाक्टरों ने किडनी ट्रांसप्लांट कराने की सलाह दी है। मैं किडनी दान करना चाहता हूं। क्या ट्रांसप्लांट के अलावा कोई दूसरा स्थाई इलाज नहीं है? जुबैर खान, शालीमार गार्डन
जवाब : 90 प्रतिशत से अधिक किडनी खराब होने का स्थायी इलाज ट्रांसप्लांट ही है। ट्रांसप्लांट के प्रोसेस के दौरान मरीज और डोनर के ब्लड ग्रुप से लेकर टिश्यू मैचिग तक कई टेस्ट करके यह तय किया जाता है कि डोनर मरीज के लिए सही है या नहीं। हालांकि ट्रांसप्लांट के बाद डोनर तो कुछ ही दिनों में सामान्य जीवन जीने लगता है, लेकिन मरीज को काफी सावधानी बरतनी पड़ती है। फिर मरीज के लिए डायलिसिस या ट्रांसप्लांट का ही उपाय बचता है।
----
सवाल : मेरे बच्चे को जल्दी-जल्दी पेशाब आता है। क्या किडनी का अल्ट्रासाउंड से पता चल जाता है कि कोई बीमारी है या नहीं ? दिनेश शर्मा, वसुंधरा
जवाब : एक प्रतिशत बच्चों में किडनी में सूजन या गड़बड़ी का पता गर्भावस्था के दौरान किए जाने वाले अल्ट्रासाउंड टेस्ट से ही चल जाता है। अगर किसी बच्चे की किडनी का आकार ठीक नहीं है तो बच्चे का जन्म होते ही इसका इलाज करवाया जा सकता है। परेशान होने की जरूरत नहीं है। इलाज से ठीक हो जाएगा।
----
सवाल : मेरी मां की मौत किडनी खराब होने के कारण हो चुकी है। मुझे किडनी की बीमारी से डर लगता है। इससे बचने का क्या उपाय है ? अंकुर ठाकुर, इंदिरापुरम
जवाब : मैग्नीशियम किडनी की सही काम करने में मदद करता है। इसलिए ज्यादा मैग्नीशियम वाली चीजें, जैसे कि गहरे रंग की सब्जियां खाएं। खाने में नमक, सोडियम और प्रोटीन की मात्रा घटा दें। 35 साल के बाद साल में कम से कम एक बार ब्लड प्रेशर और शुगर की जांच जरूर कराएं। न्यूट्रिशन से भरपूर खाना, एक्सरसाइज और वजन पर कंट्रोल रखने से भी किडनी की बीमारी की आशंका को काफी कम किया जा सकता है।
----
सवाल : किडनी को स्वस्थ रखने के लिए कैसा अहार लेना चाहिए ? अमन चोपड़ा
जवाब : अंडे की सफेदी में एमिनो एसिड और कम फास्फोरस होता है। यह किडनी को स्वस्थ रखने में मदद करता है। मछली में ओमेगा तीन फैटी एसिड होता है। यह किडनी को हर बीमारी से बचाता है। लहसुन में एंटी आक्सिडेंट और एंटी क्लाटिग तत्व पाए जाते हैं। इससे हृदय रोग दूर होता है। यह खराब कोलेस्ट्राल को घटाता है और शरीर की सूजन को कम करता है। इसके अलावा स्ट्राबेरी, रसभरी, जामुन आदि किडनी के लिए बहुत अच्छे होते हैं। इससे मूत्र संक्रमण को भी रोका जा सकता है। जैतून का तेल में एंटी इन्फ्लेमेटरी फैटी एसिड होता है। इससे आक्सिडेशन को कम कर किडनी को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है। प्याज को किडनी स्टोन की बीमारी में प्राकृतिक रूप से साफ करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। लाल अंगूर में फ्लेविनाइड होता है, जो कि हार्ट और किडनी की बीमारी को दूर करता है।
-----
सवाल : क्या हाइपरटेंशन से किडनी की बीमारी हो सकती है? विशाखा, वैशाली
जवाब : पहले क्रानिक नेफराइटिस, किडनी डैमेज की सबसे बड़ी वजह था, लेकिन अनियमित दिनचर्या की वजह से होने वाली डायबिटीज इसका सबसे बड़ा कारण है। इसी क्रम में हाइपरटेंशन दूसरी सबसे बड़ी और क्रानिक नेफराइटिस तीसरी वजह है। इसका नियमित टेस्ट कराते रहना चाहिए।
-----
सवाल : मेरी बड़ी बहन की उम्र 40 साल है। जांच कराने पर पता चला है कि अभी उसे किडनी की बीमारी के शुरूआती लक्षण हैं। क्या उसे डायलिसिस कराना चाहिए और क्या ज्यादा पानी पीने से फायदा होता है? सूर्यप्रकाश बंधु, वैशाली
जवाब : किडनी की बीमारी को सीधे डायलिसिस से जोड़ दिया जाता है। दरअसल डायलिसिस तब कराया जाता है, जब किडनी करीब 95 प्रतिशत डैमेज हो जाती है। लोगों को लगता है कि ज्यादा पानी पीना किडनी डैमेज के सारे मरीजों के लिए फायदेमंद होता है, ऐसा बिल्कुल नहीं है। एसोसिएटेड हार्ट डिसीज और लिवर की कुछ बीमारियों से पीड़ित मरीजों को सीमित मात्रा में पानी पीने की सलाह दी जाती है। पिछले कुछ सालों में किडनी की आनुवंशिक बीमारियां भी बढ़ी हैं। पालिसिस्टिक किडनी डिसीज और इंटरस्टीशियल डिसीज ऐसी ही बीमारियां हैं।
-----
सवाल : मुझे किडनी की समस्या नहीं है। मैं बस यह जानना चाहता हूं भारत में कितने किडनी के मरीज हैं? पूजा गर्ग, नोएडा जवाब : भारत में 10 में से एक इंसान में किडनी की बीमारी होने की संभावना होती है। हर साल एक 50 हजार लोग भारत में किडनी फेल होने का शिकार होते हैं। जिन्हें डायलिसिस या किडनी प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है। एक सर्वे के अनुसार विश्व में 60 करोड़ लोगों को किडनी की क्रानिक डिजीज है। जिनमें से दो करोड़ लोगों की किडनी फेल हो चुकीं हैं। 20 लाख से ज्यादा लोग दुनिया भर में हर साल डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट करवाते हैं जो इस बीमारी से पीड़ित जरूरतमंद लोगों का मात्र 10 फीसदी है। हकीकत ये है कि 70 प्रतिशत लोग सही तरीके से इलाज नहीं करा पाते हैं। बाद की स्टेज पर किडनी का इलाज बहुत महंगा होना इसकी वजह। इनमें महज तीन हजार पांच सौ किडनी ट्रांसप्लांट हो पाती है। लोगों को जागरूक करने के लिए किडनी दिवस मनाया जाता है।
------
सवाल : मुझे दिल की बीमारी है। ऐसे में क्या मेरी किडनी भी खराब हो सकती है? खुरशीद आलम, गाजियाबाद जवाब : क्रानिक किडनी डिजीज से पीड़ित ज्यादातर लोगों को दिल की बीमारियों का खतरा रहता है। किडनी की बीमारी से पीड़ित ज्यादातर लोगों की मौत भी दिल की बीमारियों से ही होती है। ऐसे में किडनी की बीमारी का समय पर पता लगा कर उनका इलाज करवाना बहुत जरूरी है। महज तीन सामान्य टेस्ट करवा कर इसका पता लगाया जा सकता है। ब्लड प्रेशर, यूरिन एल्बुमिन और सीरम क्रियेटिनिन से टेस्ट कराया जाता है। किडनी की बीमारी का पता जितनी जल्दी चलेगा उसका इलाज भी उतना जल्दी और आसानी से होगा।
----------
सवाल : मुझे कई साल पहले किडनी में पथरी का दर्द हो गया था। अब फिर से दर्द शुरू हो गया है। पथरी होने का क्या कारण है और इसका क्या उपचार है ? संजीव पांडेय, कौशांबी जवाब : नमक ज्यादा नहीं खाना चाहिए। नियमित पानी पीना चाहिए। लाल मीट की बजाय चिकन खाना चाहिए। बहुत ज्यादा पालक और टमाटर खाना नुकसानदायक हो सकता है। प्रतिदिन एक घंटे व्यायाम करना चाहिए। मोटापा और ब्लड प्रेशर ठीक होना चाहिए। ज्यादा बड़ी पथरी होने पर आपरेशन करना पड़ सकता है। किडनी की ज्यादातर पथरी परहेज करने से ही निकल जाती है। जबकि पित्त की थैली की पथरी आपरेशन करने के बाद ही निकलती है।
-----
सवाल : मुझे किडनी में दिक्कत है। कुछ दिन पहले ही पता चला कि मुझे हेपेटाइटिस सी भी है। ऐसे में डायलिसिस कराना ठीक है? सोनम शर्मा, नोएडा जवाब : डायलिसिस कराने वाले मरीजों को महीने में कम से कम एक बार खून की जांच करानी चाहिए। इससे मरीज के शरीर में हीमोग्लोबिन, ब्लड यूरिया के खून की जांच के जरिये शरीर में पीटीएच, आयरन और बी-12 आदि की भी जांच करते हैं। मरीज को हर छह महीने पर एचआइवी, हेपेटाइटिस-बी और सी बीमारियों के लिए भी खून की जांच कराते रहना चाहिए। अगर किसी मरीज की रिपोर्ट से उसके एचआइवी, हेपेटाइटिस-बी या सी से प्रभावित होने का संकेत मिलता है तो उसके डायलिसिस में खास सावधानी बरती जाती है। ऐसे मरीज के डायलिसिस में हर बार नए डायलिजर का इस्तेमाल किया जाता है। कोई दूसरा मरीज इस इन्फेक्शन की चपेट में न आ सके। ------ सवाल : किडनी फेल कैसे होती है। मुझे अपनी किडनी खराब होने का डर रहता है। मुझे क्या करना चाहिए ? अनुपम चौहान, राजेंद्र नगर जवाब : किडनी का फेल होना तब कहा जाता है जब यह शरीर के अपशिष्ट पदार्थों को फिल्टर करना बंद कर देती है। यह अपशिष्ट पदार्थ खून में होता है, जिसे छानने का काम किडनी करती है। यूरिन इन्फेक्शन को किडनी की बीमारी को पहला संकेत माना जा सकता है। किडनी की खराबी के कुछ आम लक्षण हैं, लेकिन एक भी किडनी स्वस्थ हो तो शरीर की बाकी क्रियाएं चलती रहती हैं। यही कारण है कि जब तक दोनों किडनी पूरी तरह काम करना बंद नहीं कर देती हैं, मरीज को पता नहीं चलता है। एक किडनी खराब हो तो भी काम चलता रहता है, लेकिन जिस पल दूसरी किडनी भी काम करना बंद कर देती है, जीवन रुक जाता है।
-----
सवाल : किडनी खराब होने के क्या लक्षण हैं। मुझे पीठ में दर्द रहता है। क्या यह किडनी खराब होने का लक्षण है ? हरदीप कुमार, गाजियाबाद जवाब : बिल्कुल पीठ में दर्द होना किडनी खराब होने का भी लक्षण है। यूरिन के रास्ते कभी-कभी खून आना, यूरिन की मात्रा कम-ज्यादा होना, यूरिन के दौरान जलन होना या दर्द होना, रात के समय ब्लडप्रेशर कम या ज्यादा होना, किडनी वाली जगह पर दर्द महसूस होना, पैरों में सूजन आना, थकान महसूस होना ये सभी किडनी समस्या के शुरुआती लक्षण है। ----
सवाल : किडनी खराब होने का डर किन लोगों को ज्यादा होता है। मुझे डायबिटीज है। क्या इससे किडनी प्रभावित हो सकती है। आदेश सिंह, मोदीनगर जवाब : ये बात बिल्कुल ठीक है, जिन लोगों को डायबिटीज है, उनमें किडनी फेल होने का खतरा ज्यादा होता है। इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर वालों को भी समय-समय पर किडनी की जांच करवाते रहना चाहिए। जो लोग दर्द निवारक गोलियों का सेवन करते हैं या जिनमें यूरिन इन्फेक्शन की शिकायत अधिक रहती है, उनको सावधान रहने की जरूरत है। किडनी रोग होने का इस पर भी असर पड़ता है कि मरीज किस भौगोलिक क्षेत्र में रहता है।
--------- सवाल : किडनी को साइलेंट किलर क्यों कहा जाता है। मेरे दादा की उम्र 92 साल है। उनको किडनी में दिक्कत है ? पीयूष, लोनी जवाब : किडनी हमारे शरीर का सबसे जरूरी है। यह मुख्य रूप से यूरिया, क्रिएटिनिन, एसिड जैसे नाइट्रोजनयुक्त वेस्ट मटेरियल उत्पादों से ब्लड को फिल्टर करने के लिए जिम्मेदार होती है। ये सभी टाक्सिन्स हमारे ब्लैडर में जाते हैं और पेशाब करते समय बाहर निकल जाते हैं। लाखों लोग किडनी की कई तरह की बीमारियों के साथ रहते हैं और इनमें से ज्यादातर को इसका अंदाजा नहीं होता। यही वजह है कि किडनी की बीमारी को अक्सर साइलेंट किलर के रूप में जाना जाता है। किडनी खराब होने के लक्षण इतने हल्के होते हैं कि ज्यादातर लोगों को बीमारी के बढ़ने तक कोई अंतर महसूस नहीं होता। जब चोट लगने, हाई ब्लड प्रेशर या फिर डायबिटीज के कारण किडनी डैमेज हो जाती हैं तो यह फिल्टर करने का काम बंद कर देती है। जिससे जहर का निर्माण होता है। ऐसे में टाक्सिन जमा हो सकते हैं।
------------ सवाल : मुझे भूख कम लगती है। क्या यह किडनी की समस्या है ? शोभा सिघल, साहिबाबाद जवाब : शरीर में वेस्ट का संचय भी आपकी भूख को कम कर सकता है, जिससे वजन घटने लगता है। कम भूख का एक अन्य कारण सुबह उल्टी भी हो सकती है। इस कारण व्यक्ति को हर समय पेट भरा हुआ महसूस होता है और कुछ खाने का मन नहीं करता। यह किडनी खराब होने का खतरनाक संकेत है। जिस पर किसी का ध्यान नहीं जाता।
----
सवाल : मेरी उम्र 30 साल है। मुझे टखने और पैरों में सूजन हो रही है। क्या यह किडनी खराब होने के संकेत है? प्रेमलता, कौशांबी जवाब : किडनी शरीर से अपशिष्ट और अतिरिक्त सोडियम को फिल्टर करने में मदद करती है। जब किडनी ठीक से काम करना बंद कर देती है, तो शरीर में सोडियम जमा होने लगता है, जिससे पिडलियों और टखनों में सूजन बढ़ जाती है। इस स्थिति को एडिमा कहते हैं। वैसे तो टाक्सिक किडनी में आंखों और चेहरे में सूजन देखी जाती है, लेकिन इसके लक्षण सबसे ज्यादा हाथ, पैर और टखनों को प्रभावित करते हैं। ऐसे में आपको टेस्ट कराना बहुत जरूरी है। आपकी किडनी खराब हो सकती है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।