लेखन से देशभक्ति के साथ श्रृंगार रस की महक बिखेर रहे हैं विष्णु
मदन पांचाल गाजियाबाद उम्र 81 साल और जोश युवाओं जैसा। बात चल रही है लेखनी के धनी और साहि

मदन पांचाल, गाजियाबाद
उम्र 81 साल और जोश युवाओं जैसा। बात चल रही है लेखनी के धनी और साहित्य के माध्यम से समाज को प्रभावी संदेश दे रहे साहित्यकार विष्णु सक्सेना की, जो लेखन से देशभक्ति के साथ श्रृंगार रस की भी महक बिखेर रहे हैं। पेशे से अभियंता हैं लेकिन शब्दों की कारीगरी ऐसी कि लोगों के जेहन में कविता और कहानी का एक-एक शब्द सीधा असर छोड़ता है। उत्तर प्रदेश हिदी संस्थान द्वारा उनके खंड काव्य 'सुनो राधिके सुनो' को श्रेष्ठ मानते हुए जयशंकर प्रसाद सम्मान के लिए चुना है। यह सम्मान उन्हें जल्द ही प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा एक समारोह में दिया जाएगा। प्रशस्ति पत्र के साथ 75 हजार रुपये नकद भी दिए जाएंगे।
बुधवार को दैनिक जागरण से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि आइआइटी रुड़की से इंजीनियरिग करने के बाद 1964 में वह एचएमटी कंपनी पिजौर में नौकरी करने लगे। नौकरी के साथ-साथ लेखन का कार्य भी जारी रखा। कई कविताएं छोटी और बड़ी पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहीं। पहली बार पिजौर गीत लिखने पर उन्हें राज्य सरकार ने सम्मानित किया। वर्ष 2000 में एचएमटी पिजौर से डिप्टी चीफ इंजीनियर के पद से सेवानिवृत होने पर पत्रकारिता व साहित्य सेवा में लग गए। उनके काव्य संग्रह बैंजनी हवाओं में तथा खंड काव्य अक्षर हो तुम को हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा राज्य की श्रेष्ठ कृति के रूप में चुनते हुए पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। उनके अब तक चार काव्य संग्रह बैंजनी हवाओं में, गुलाब कारखानों में बनते हैं, सिहरन सांसों की व धूप में बैठी लड़की, दो कहानी संग्रह बड़े भाई व वापसी, एक लघु कथा संग्रह एक कतरा सच तथा दो खंड काव्य अक्षर हो तुम व सुनो राधिके सुनो प्रकाशित हो चुके हैं। 45 संकलनों में उनकी कविताएं, कहानियां व समीक्षाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। वरिष्ठ कवि व कहानीकार विष्णु सक्सेना को जयशंकर प्रसाद सम्मान मिलने पर उनकी पत्नी सेवानिवृत्त अध्यापिका वीणा सक्सेना बेहद खुश हैं।
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असमय बेटे के निधन के बाद भी नहीं टूटा लेखन का चक्र जुबलियट कंपनी में गैस लीक कांड में उनके युवा बेटे विवेक सक्सेना की मौत हो गई लेकिन इस दुख को सहन करते हुए विष्णु सक्सेना का लेखन का चक्र नहीं टूटा। उनकी पौत्री वाचा सक्सेना सरकारी चिकित्सक हैं तो पौत्र वरुण अभियंता है। बेटी निधि लखनऊ में रहती हैं। कवि विष्णु और उनकी पत्नी वाणी वर्तमान में शास्त्रीनगर में रहते हैं।
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कर्नाटक में एक छात्र कर रहें हैं उन पर पीएचडी पिजौर गीत लिखने पर वह सुर्खियों में आए और अब कर्नाटक विश्वविद्यालय के एक विद्यार्थी उन पर पीएचडी कर रहे हैं। उनके ऊपर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से तीन लघु शोध प्रबंध कहानीकार विष्णु सक्सेना, विष्णु सक्सेना व्यक्तित्व व कृतित्व, अक्षर हो तुम में मानव मूल्य, प्रकाशित किए जा चुके हैं। उन्हें मानव संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वर्ष 2000 में राष्ट्रीय सहस्त्राब्दि सम्मान व कालका प्रशासन द्वारा टैगोर अवार्ड व अनेकों संस्थाओं द्वारा विभिन्न सम्मान से नवाजा जा चुका है। उन्होंने 1973 से एक लघु पत्रिका का भी संपादन किया था जिसे 1975 में आपातकाल के दौरान बंद करना पड़ा।
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