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    दुश्मन के इलाके से घायल जवानों को निकाल लाए थे टीपी त्यागी

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 15 Dec 2020 10:08 PM (IST)

    जागरण संवाददाता गाजियाबाद 71 की जंग में पश्चिमी सीमा पर एक जवान शहीद हो गया और पांच को

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    दुश्मन के इलाके से घायल जवानों को निकाल लाए थे टीपी त्यागी

    जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : 71 की जंग में पश्चिमी सीमा पर एक जवान शहीद हो गया और पांच को गोली लगी थी। वे छिपने के लिए पीछे आने की बजाय एक गांव जिसपर पाकिस्तान का कब्जा था उसमें पहुंच गए। लग रहा था थोड़ी देर में सभी मारे जाएंगे। उस समय कर्नल टीपी त्यागी ने खुद को सुरक्षित रखते हुए दुश्मन के इलाके से पांच घायल सैनिकों को अपनी पीठ पर लाद वहां से निकालकर जान बचाई।

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    कर्नल टीपी त्यागी ने बताया कि तीन दिसंबर को 1971 की लड़ाई शुरू हुई जो 17 दिसंबर तक चली। उस समय वे लेफ्टिनेंट के पद पर तैनात थे। लड़ाई के दौरान उन्हें 45 मिनट में नहर (पंजाब) का पुल बनाने का काम दिया। पुल बना भी चुके थे ठीक उसी वक्त चीना बैदी चंद गांव जो पाकिस्तान के कब्जे में था, वहां से फायरिग शुरू हो गई। फायरिग में एक जवान शहीद हो गया और पांच गोली लगने से घायल हो गए। गोली लगने के बाद वे बजाय पीछे आने के गलती से उसी गांव में पहुंच गए। अपने आप को छुपाने के लिए एक सरकंडे के झुंड में पहुंच गए। टीपी त्यागी और उनके एक सहायक गुरुचरण सिंह रेंगते हुए उनके पास पहुंचे और साथ चलने के लिए कहा। पांचों जवानों ने कहा कि हम खुद चल नहीं पा रहे और हथियार भी नहीं संभाल सकते। लगा कि थोड़ी देर में सभी मारे जाएंगे। उन्होंने कहा कि जाकर थोड़ी देर में वापस आता हूं। इस पर सैनिकों ने कहा कि लेफ्टिनेंट साहब हमें छोड़कर चल दिए। इस पर टीपी त्यागी ने कहा कि वह जिदा रहे तो वापस लेने के लिए जरूर आएंगे। वहां से रेंगते हुए अपने क्षेत्र में आए और एक टैंक के कमांडर से अनुरोध किया कि मदद के लिए पांच जवान और आधे घंटे के लिए कवरिग फायर दे दें। उन्होंने जवान देने से तो मना कर दिया, लेकिन आधे घंटे की कवरिग फायर दी। जिससे वे अपने सहायक के साथ पांचों घायल जवानों को पीठ पर लादकर दुश्मन के इलाके से सुरक्षित ले आए। लड़ाई जीतने के बाद पांचों जवानों के बयान के आधार पर भारत सरकार ने टीपी त्यागी को वीर चक्र से सम्मानित किया। टीपी त्यागी कहते हैं कि वीर चक्र ज्यादातर मरणोपरांत को ही मिला है, लेकिन ईश्वर की कृपा से वह जीवित हैं और उन्हें सम्मान मिला।