दौसा बंजारपुर में मिला तोमर वंशकालीन धरोहर
विकास वर्मा गाजियाबाद मोदीनगर में गांव बखरवा के बाद अब दौसा-बंजारपुर में स्थित एक ऐसे सूख्

विकास वर्मा, गाजियाबाद : मोदीनगर में गांव बखरवा के बाद अब दौसा-बंजारपुर में स्थित एक ऐसे सूखे कुएं का पता चला है, जो तोमर वंश के शासनकाल का है। इस कुएं की जानकारी मिलने पर धरोहरों को संरक्षित रखने की दिशा में काम कर रहे इतिहासकार और मुलतानीमल मोदी डिग्री कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. केके शर्मा सोमवार को अपनी टीम के साथ गांव पहुंचे। वहां उन्होंने ईंटों की जांच-पड़ताल की। बताया गया है कि कुएं को बनाने में जिन ईंटों का इस्तेमाल किया गया है, वे करीब एक हजार साल पुरानी हैं। 12 इंच लंबी, छह इंच चौड़ी और 2.5 इंच ऊंची ईट
कुएं में जो ईंटें लगी हैं, वे 12 इंच लंबी, छह इंच चौड़ी और 2.5 इंच ऊंची हैं। केके शर्मा के मुताबिक ऐसी ईंटों का इस्तेमाल 10-11वीं शताब्दी में घर, कुएं और मंदिर बनाने में होता था। उस दौरान यहां अनंगपाल तोमर वंश का शासन था। शोध करने के लिए कुछ ईंट वह अपने साथ ले गए हैं। इन ईंटों को मुलतानीमल मोदी डिग्री कॉलेज में बनाए गए संग्राहलय में रखा जाएगा। अब वह इसकी रिपोर्ट बनाकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को भेज देंगे, जिसके बाद उम्मीद है पुरातत्व विभाग के अधिकारी आगे की शोध शुरू करेंगे।
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धरोहरों पर शोध कर रहे छात्रों ने दी थी जानकारी
इतिहासकार डॉ. केके शर्मा के निर्देशन में गांव के ही कुछ छात्र धरोहरों पर शोध कर रहे हैं। इनमें ही एक छात्र ने डॉ. केके शर्मा को इन ईंटों के बारे में बताया। इसके बाद सोमवार को उन्होंने कुएं पर जाकर ईंटों की पड़ताल की।
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अनंगपाल तोमर के वंश का था शासन
इस इलाके में 10-11वीं शताब्दी में अनंगपाल तोमर वंश का शासन था। इस इलाके में अनंगपाल तोमर वंश के सिक्के मिले हैं। चंदबरदाई की रचना पृथ्वीराज रासो में भी तोमर वंश के राजा अनंगपाल का जिक्र है। चंदरबरदाई ने उन्हें दिल्ली का संस्थापक बताया है। दिल्ली, हरियाणा से लेकर यहां तक उनका ही साम्राज्य फैला हुआ था। दिल्ली में तोमर वंश का शासनकाल 900-1200 ईसवी तक माना जाता है।
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क्या है राजपूतकाल
हर्षवर्धन की मृत्यु के बाद भारत जब छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित हो गया, तब इन राज्यों के शासक राजपूत वंश के थे। इन राजपूतों में गुर्जर, प्रतिहार, चौहान, परमार, चंदेल, चालुक्य, राष्ट्रकूट, पाण्ड्य, सेन आदि थे। सातवीं से 12वीं शताब्दी तक के युग को राजपूतकाल कहा जाता है। पहले भी मिले चुकी हैं धरोहरे
मोदीनगर के देहात क्षेत्र में पहले भी कई धरोहरे मिल चुकी हैं। 2010 में अबूपुर गांव में कुषाण काल के अवशेष मिले थे। 2013 में निवाड़ी के भनैड़ा गांव में मिट्टी के बर्तन मिले थे। इसी वर्ष सुठारी गांव में हड़प्पा सभ्यता के अवशेष मिले थे। साथ ही दो साल पहले बखरवा गांव में कुषाण, गुप्त व हड़प्पा काल के बर्तन मिल चुके हैं।
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गांव दौसा-बंजारपुर से जो ईंटे मिली हैं, वे 10-11वीं शताब्दी की ही हैं। उस अंतराल को इतिहास में राजपूत काल की संज्ञा दी गई है। एक ईंट अपने संग्रहालय में लाकर उस शोध की जा रही है। कुछ ही दिनों में इसकी रिपोर्ट तैयार कर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को भेजी जाएगी।
- डॉ. केके शर्मा, इतिहासकार
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