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    रमजान का तीसरा अशरा शुरू, मिलती है जहन्नुम से आजादी

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 22 Apr 2022 10:08 PM (IST)

    जागरण संवाददाता गाजियाबाद मुकद्दस रमजान का महीना बेशुमार बरकतों वाला है। इस महीने में ...और पढ़ें

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    रमजान का तीसरा अशरा शुरू, मिलती है जहन्नुम से आजादी

    जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : मुकद्दस रमजान का महीना बेशुमार बरकतों वाला है। इस महीने में रोजेदारों पर अल्लाह तआला की बेशुमार रहमतें बरसती हैं। सारे गुनाह माफ हो जाते हैं। इस महीने का तीसरा अशरा 20वें रोजे की मगरिब से शुरू होता है, जो ईद का चांद दिखाई देने तक जारी रहता है। इसमें इबादत करने से जहन्नुम से आजादी मिलती है। वहीं, जुमे की नमाज के बाद मुल्क में अमन-चैन और तरक्की के लिए दुआ की गई।

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    संजयनगर सेक्टर-23 की जामा मस्जिद के पेश इमाज मुफ्ती महताब कासमी ने बयान करते हुए कहा कि रमजान-पाक को तीन अशरों में बांटा गया है। दूसरा अशरा मुकम्मल हो रहा है। तीसरे अशरे की शुरूआत के साथ ही मस्जिदों और घरों में एतकाफ का सिलसिला शुरू हो जाएगा। रमजान में 20वें रोजे के मगरिब से शुरू होकर चांद रात तक मस्जिद में रहकर अल्लाह की इबादत करने को एतकाफ कहा जाता है। तीसरे अशरे की ताक रातों में शब-ए-कद्र भी आएगी। इसी अशरे की 21, 23, 25, 27 और 29वीं रात शब कद्र की पाक रात है। उन्होंने कहा शबे कद्र की रात को हजार महीने की रातों के बराबर बताया गया है। लेकिन वह कौन सी रात है, किस रात को कुरान शरीफ नाजिल हुआ, यह किसी को मालूम नहीं है। इसलिए रोजेदार इन पांच रात को जागकर अल्लाह रब्बुल इज्जत की इबादत करते हैं। रमजान के तीसरे अशरे में ही फितरा और जकात भी अदा की जाती है, जिससे ईद की नमाज गरीब लोग भी खुशी से अदा कर सकें। वैसे ईद के बाद भी फितरा और जकात निकाला जा सकता है, लेकिन रमजान में ही निकालना बेहतर होता है। रमजान के तीसरे जुमे की नमाज के बाद तमाम मस्जिदों में मुल्क व दुनिया में अमन-चैन और तरक्की की दुआ की गई।