नशा छुड़ाने की दवा खत्म, अभियान को लगा झटका
मदन पांचाल गाजियाबाद केंद्र और प्रदेश सरकार नशा मुक्ति अभियान को तेज करने पर जोर दे र

मदन पांचाल, गाजियाबाद: केंद्र और प्रदेश सरकार नशा मुक्ति अभियान को तेज करने पर जोर दे रही हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते दो जिलों को छोड़कर पूरे प्रदेश में नशा छुड़ाने की दवा खत्म हो गई है। आनन-फानन में शासन के उच्च अधिकारियों ने लखनऊ समेत चार जिलों के लिए गाजियाबाद और मेरठ से दवा मांगी है। सोमवार को गाजियाबाद से दवा भेज दी गई है। शासन स्तर से भेजे गए पत्र पर गौर करें तो मेरठ में ओएसटी ड्रग्स की 7,900 और गाजियाबाद में 6,000 टैबलेट्स बची हैं। मेरठ से लखनऊ के लिए 2,000 और कानपुर के लिए 1,000 टैबलेट्स मांगी गई है। इसी प्रकार गाजियाबाद से बहराइच के लिए 2,000 और जालौन के लिए 1,00 टैबलेट्स मांगी गई है। पता चला है कि आचार संहिता के चलते दवाएं खरीदने की प्रक्रिया पर रोक है। 10 मार्च के बाद ही दवाओं की खरीद संभव होगी। ऐसे में उक्त चार जिलों में नशा मुक्ति अभियान को जारी रखने के लिए दवाएं मंगाई गई हैं। जिला एमएमजी अस्पताल के सीएमएस डा.मनोज कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि तीन हजार टैबलेट्स संबंधित जिलों को भिजवा दी गई हैं। ओएसटी को जानें
ओपियाड सब्सिट्यूशन थैरेपी (ओएसटी)के माध्यम से अफीम,चरस, हेरोइन, स्मैक का नशा करने वाले लोगों का नशा छुड़ाने का प्रयास किया जाता है। इस अभियान के नोडल डा. साकेतनाथ तिवारी के अनुसार नशा करने वालों को ब्यूप्रेनोर्फेन 2 एमजी की दवा दी जाती है। कुछ मरीजों को इंजेक्शन लगाया जाता है। जिले में वर्तमान में पंजीकृत 180 मरीजों के सापेक्ष 75 सक्रिय मरीज हैं। रोज दस नए मरीज भी ओपीडी में आते हैं। ओएसटी के लिए ब्यूप्रेनोर्फेन 2 एमजी की 15 दिन की दवा उपलब्ध हैं।
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नशे के आदी लोगों को यदि नियमित नशा छुड़ाने वाली दवा न दी जाये तो नशा मुक्ति अभियान के ब्रेक होने की संभावना बढ़ जाती हैं। ऐसे में नशा करने वाला मरीज अपराध कर सकता है। काउंसिलिग भी प्रभावित होती है।
- डा. अनिल विश्वकर्मा ,वरिष्ठ मनोचिकित्सक जिला एमएमजी अस्पताल
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