Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    वंचितों पर ज्ञान की करुणा बरसा रहीं तरुणा

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 24 Mar 2018 06:41 PM (IST)

    जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : इंदिरापुरम में रहने वाली तरुणा विधेय पिछले पांच साल से वंचित बच्चों को

    वंचितों पर ज्ञान की करुणा बरसा रहीं तरुणा

    जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : इंदिरापुरम में रहने वाली तरुणा विधेय पिछले पांच साल से वंचित बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दे रही हैं। स्लम बस्तियों में बच्चों को पढ़ाने का काम तो बहुत से फाउंडेशन द्वारा किया जाता है, लेकिन तरुणा ने अपने सभी बच्चों का रजिस्ट्रेशन एक सीबीएसई स्कूल से करा रखा है। हर साल बच्चे परीक्षा देते हैं और पास होने की मार्कशीट भी लेते हैं। फेल होने पर बच्चों को दुबारा पढ़ाया जाता है, लेकिन ऐसे बच्चे कुछ एक ही होते हैं। स्लम बस्तियों के 2000 बच्चों को तरुणा हफ्ते में एक या दो दिन जाकर पढ़ाती हैं, जबकि 450 बच्चे पहली से आठवीं क्लास के ऐसे हैं, जिन्हें हर रोज क्लास दी जाती है। इन बच्चों को न सिर्फ स्टेशनरी और किताब बल्कि भोजन भी दिया जाता है। दोस्त के साथ की शुरुआत

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मूलरूप से मेरठ के सोतीगंज की रहने वाली तरुणा ने बताया कि कानपुर में बीटेक के दौरान कालेज की ओर से स्लम में रहने वाले बच्चों के लिए कुछ न कुछ काम किया जाता था। यहीं से उन्हें इन बच्चों से लगाव हो गया। इसीलिए बीटेक के बाद एमएसडब्ल्यू किया और फिर आइबीपीएस की परीक्षा देकर बैंक मैनेजर बनीं। इस दौरान सोशल वर्क से दूर हुईं, लेकिन यूनियन बैंक में गाजियाबाद में तैनाती मिली तो कौशांबी में झुग्गी-बस्ती देखकर कुछ बड़ा करने की सोची। दोस्त सुशील के साथ मिलकर निर्भेद फाउंडेशन बनाया और बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया। तरुणा के पिता हेमंत मेरठ में ही होम डेकोरेशन का कारोबार करते हैं, जबकि मां विमला हाउसवाइफ हैं।

    विरोध भी झेला

    जब पढ़ाना शुरू किया तो सोसायटी की मेड और झुग्गी-झोपड़ी के कई बच्चे आने लगे। कुछ दिन बाद सोसायटी के लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया। उनका कहना था कि ऐसे गंदे बच्चे सोसायटी में आएंगे तो उनके बच्चों पर असर पड़ेगा। कुछ ने तो इन बच्चों से सुरक्षा तक को खतरा बता दिया। इसके चलते उन्होंने सोसायटी बदल दी और बच्चों को पार्क व अन्य स्थानों पर पढ़ाना शुरू कर दिया।