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    श्रीलंका से वापस लौटी एनडीआरएफ की टीम, जोश के साथ किया गया स्वागत

    Updated: Wed, 10 Dec 2025 08:48 AM (IST)

    श्रीलंका में आपदा के बाद राहत कार्यों के लिए भेजी गई एनडीआरएफ की टीम ऑपरेशन सागर बंधु सफलतापूर्वक पूरा करके लौटी। टीम ने 66 लोगों को बचाया और 78 को सु ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। श्रीलंका में आई आपदा के बाद राहत कार्यों के लिए भारत सरकार द्वारा 29 नवंबर को भेजी गई राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की विशेष टीम आपरेशन सागर बंधु को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद वापस भारत लौट आई है। मंगलवार को कमला नेहरूनगर स्थित आठवी वाहिनी परिसर में टीम का जोश के साथ स्वागत किया गया।

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    इस मौके पर एनडीआरएफ के महानिदेशक पीयूष आनंद (आइपीएस) ने पत्रकारों से वार्ता के दौरान बताया कि यह अभियान भारत द्वारा पड़ोसी देशों को मानवीय सहायता प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता का एक और महत्वपूर्ण उदाहरण है। कमाण्डेंट प्रवीण कुमार तिवारी के नेतृत्व में 80 सदस्यीय टीम को राहत एवं बचाव कार्यों के लिए श्रीलंका भेजा गया था।

    टीम ने स्थानीय प्रशासन के साथ समन्वय स्थापित करते हुए प्रभावित क्षेत्रों में फंसे नागरिकों का सुरक्षित निकास, त्वरित राहत कार्य, प्राथमिक उपचार एवं आवश्यक मानवीय सहायता प्रदान की। इस आपरेशन में कुल 66 लोगों का रेस्क्यू किया गया, जिसमें दृष्टिहीन वृद्ध, गर्भवती महिलाएं, नवजात शिशु, बुजुर्ग और कई परिवार शामिल थे। इसके साथ ही 78 लोगों को बाढ़ से घिरी कालोनियों से सुरक्षित स्थानों तक सुरक्षित पहुंचाया गया। कुल 144 नागरिकों को जीवनरक्षक सहायता प्रदान की गई।

    मानव जीवन के साथ-साथ पशुओं को भी सुरक्षित निकाला गया। दो शवों को निकाल कर सम्मान के साथ स्थानीय प्रशासन को सौंपा गया। राहत कार्यों में टीम ने 1800 से अधिक लोगों तक भोजन, राशन और स्वच्छ पेयजल पहुंचाया। बाढ़ से दूषित हो चुके कई जलकूपों की सफाई कर उन्हे पुनः पीने योग्य बनाया, जो वहां के ग्रामीण समुदाय का मुख्य जलस्त्रोत है।

    अभियान के दौरान टीम ने कठिन परिस्थितियों में भी उत्कृष्ट पेशेवर क्षमता, उच्च मनोबल और समर्पण का परिचय दिया। श्रीलंका के स्थानीय नागरिकों व प्रशासन ने विशेष रूप से एनडीआरएफ की पेशेवर विशेषज्ञता, अनुशासन और त्वरित कार्रवाई की विशेष सराहना की।

    विशेष प्रशिक्षण काम आया,श्वानों की मदद से गहरे मलबे से शव बाहर आया

    पहली बार श्वानों ने गहरे मलबे में दबे मृत इंसान के शरीर को ढूंढ निकाला। जिसके लिए हाल ही में इन श्वानों को प्रशिक्षण दिया गया था। रेस्क्यूर्स श्लोक कुमार यादव के राकी (लैब्राडोर),चेतन शर्मा के विक्की (लैब्राडोर) कुंवर बहादुर सिंह के रियो (लैब्राडोर) और रेस्क्यूर्स कोकाटे नितीन के रिफ (बेल्जियम शैफर्ड)ने गहरे मलबे में दबे शवों को निकालने में विशेष सहयोग किया।एनडीआरएफ की भविष्य की योजना है कि आपदा में राहत कार्यों को करने के समय आने वाली चुनौतियों से निपटने को अत्याधुनिक प्रशिक्षण का दायरा बढ़ाया जाये।

    श्रीलंका में आपदा राहत कार्यों के दौरान गर्भवती महिलाओं को भी सुरक्षित बचाया गया। पानी की आपूर्ति बहाल करने का काम भी किया।


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    - अनीता देवी, रेस्क्यूर्स एनडीआरएफ

    राहत कार्यों में बिना आराम किये जुटी रहीं। वहां के लोगों के दिलों में जगह भी बना ली। कई लोगों ने सराहना करते हुए सम्मान किया।


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    - सुमन लता, रेस्क्यूर्स एनडीआरएफ

    राहत एवं बचाव कार्यों के दौरान दिन-रात काम किया। बोट की सहायता से लोगों को सामग्री पहुंचाई। जहां अधिक पानी था वहां घरों से लोगों को निकाला।


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    - मंजू भाटी, रेस्क्यूर्स एनडीआरएफ

    म्यंमार के बाद श्रीलंका में राहत कार्यों में वहां के लोगों ने धैर्य रखते हुए टीम का सहयोग किया। चुनौतीपूर्ण कार्य करने के बाद आत्मबल कई गुना बढ़ जाता है।


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    - सूर्यकुमार मौर्य, द्वितीय कमान अधिकारी एनडीआरएफ