गाजियाबाद में वक्फ बोर्ड द्वारा चार श्मशान स्थलों पर दावा करने से विवाद उत्पन्न हो गया है। यह श्मशान सरकारी भूमि पर बने हैं। जिले में वक्फ बोर्ड ने कुल 445 सरकारी संपत्तियों पर कब्जा किया है। नए वक्फ संशोधन कानून के बाद भूमि को कब्जा मुक्त कराने की उम्मीद है। चार श्मशान स्थलों पर भी वक्फ बोर्ड ने कर दिया दावा।
हसीन शाह, गाजियाबाद। वक्फ बोर्ड ने पसौंडा क्षेत्र के चार श्मशान स्थलों पर भी दावा किया है, जबकि ये श्मशान स्थल सरकारी भूमि पर बने हैं। इतना ही नहीं, प्रताप विहार स्थित जीडीए के पार्क व ट्रांस हिंडन क्षेत्र में यूपीसीडा तक की भूमि पर वक्फ बोर्ड ने अपना दावा किया है।
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नगर निगम क्षेत्र में 37 सरकारी भूमि पर वक्फ बोर्ड का कब्जा है। इनमें ज्यादातर पर कब्रिस्तान बने हैं। संसद के दोनों सदनों में वक्फ संशोधन कानून का बिल पेश करने से पहले प्रदेश सरकार ने वक्फ की संपत्ति का सर्वे कराया। जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने इसका सर्वे किया।
वक्फ बोर्ड का 445 सरकारी संपत्ति पर कब्जा
इसमें पता चला कि जिले में वक्फ बोर्ड का 445 सरकारी संपत्ति पर कब्जा है। सर्वे की रिपोर्ट शासन को भेजी गई थी। ज्यादातर संपत्तियों पर कब्रिस्तान व ईदगाह बने हैं। यदि जिले की बात करें को शिया वक्फ बोर्ड की सदर तहसील में पांच, मोदीनगर तहसील में एक व लोनी तहसील में 22 संपत्तियां हैं।
वहीं, इसी तरह सुन्नी वक्फ बोर्ड की सदर तहसील क्षेत्र में 266, मोदीनगर तहसील क्षेत्र में 327, लोनी तहसील क्षेत्र में 88 वक्फ की संपत्तियां हैं। नगर निगम क्षेत्र में वक्फ की 37 संपत्तियां हैं। जिले में कुल 142.71 हेक्टेयर सरकारी भूमि पर वक्फ बोर्ड का कब्जा है।
दैनिक जागरण ने रविवार को नगर निगम क्षेत्र की 37 संपत्तियों की पड़ताल की तो चौंकाने वाली बात सामने आई। पसौंडा क्षेत्र में वक्फ बोर्ड ने चार श्मशान स्थलों पर भी अपना दावा कर दिया है। हालांकि, यह दावा केवल कागजों तक सीमित है। वक्फ के कानून में बदलाव होने पर सरकारी सिस्टम को भी भूमि को कब्जा मुक्त होने की उम्मीद है।
संपत्ति का मालिक होते हुए मान लेते थे हार
पुराने कानून (वक्फ अधिनियम, 1995) के तहत वक्फ बोर्ड को इस तरह शक्तियां प्राप्त थीं। इससे वह सरकारी भूमि सहित किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित कर सकता था। वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 3(आर) के मुताबिक यदि कोई संपत्ति धार्मिक, पवित्र या जनकल्याण के उद्देश्य के लिए समर्पित मानी जाती है तो उसे वक्फ संपत्ति घोषित किया जा सकता था। धारा 40 में यह प्रविधान था कि वक्फ बोर्ड खुद यह तय कर सकता था कि कोई संपत्ति वक्फ की है या नहीं।
सरकारी सिस्टम ने भी घुटने टेक दिए
वहीं, धारा 85 के तहत वक्फ बोर्ड के फैसले को सामान्य अदालतों (सिविल कोर्ट) में चुनौती नहीं दी जा सकती थी। यह मामले केवल वक्फ ट्रिब्यूनल तक सीमित थे। ट्रिब्यूनल का फैसला अंतिम माना जाता था। यही वजह थी कि संपत्ति मालिकों के लिए न्याय पाना मुश्किल था। इस कानून का दुरुपयोग कर जिले में 445 सरकारी संपत्तियों पर वक्फ ने अपना दावा ठोक दिया। कानून की वजह से सरकारी सिस्टम ने भी इसके सामने घुटने टेक दिए थे। अब कानून बदलाव होने से न्याय की उम्मीद जागी है।
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वर्तमान कानून के मुताबिक, अब किसी संपत्ति को वक्फ घोषित करने से पहले सत्यापन जरूरी है। वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसलों के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की जा सकती है।
नगर निगम क्षेत्र में इन सरकारी भूमि पर वक्फ का है दावा
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