Nikay Chunav: चुनाव से पहले BJP में दो फाड़, मेयर के लिए नेताओं की पत्नियों के आए नाम, महिला मोर्चा में बगावत
बृहस्पतिवार को महिला मोर्चा की महानगर अध्यक्ष पूनम कौशिक के नेतृत्व में 30-35 महिलाएं भाजपा के दिल्ली के पंडित दीन दयाल उपाध्याय मार्ग स्थित राष्ट्रीय कार्यालय पहुंचीं और यहां प्रदर्शन कर भाजपा मोदी-योगी और महिला मोर्चा जिंदाबाद के नारे लगाए।
गाजियाबाद, जागरण संवाददाता: हर चुनाव से पहले भाजपा में दो-फाड़ की पुनरावृत्ति नगर निकाय चुनाव में भी हो गई। अब भाजपा महिला मोर्चा ने महापौर के लिए भेजे पांच नामों में तीन नेताओं की पत्नियों को शामिल करने का विरोध किया है।
बृहस्पतिवार को महिला मोर्चा की महानगर अध्यक्ष पूनम कौशिक के नेतृत्व में 30-35 महिलाएं भाजपा के दिल्ली के पंडित दीन दयाल उपाध्याय मार्ग स्थित राष्ट्रीय कार्यालय पहुंचीं और यहां प्रदर्शन कर भाजपा, मोदी-योगी और महिला मोर्चा जिंदाबाद के नारे लगाए।
कल जेपी नड्डा ने मिलने के लिए बुलाया
पूनम का कहना है कि मुख्य कार्यकारिणी ने महापौर प्रत्याशी के लिए निवर्तमान महापौर आशा शर्मा व प्रदेश उपाध्यक्ष सुनीता दयाल के अलावा भाजपा के महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा की पत्नी रितु शर्मा, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष मयंक गोयल की पत्नी डा. रुचि गोयल और यशोदा अस्पताल, नेहरू नगर के निदेशक डा. दिनेश अरोड़ा की पत्नी शशि अरोड़ा का नाम भेजा है।
महिला मोर्चा इन्हीं तीन नामों का विरोध करता है। पूनम ने बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के कर्नाटक चुनाव में व्यस्त होने के कारण उनसे मुलाकात नहीं हो पाई। कार्यालय में ज्ञापन दिया है। उन्हें शुक्रवार को दोबारा बुलाया गया है। प्रदेश संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह ने भी फोन पर आश्वासन दिया है।
क्या हमारा पोर्टफोलियो कमजोर है?
महिला मोर्चा की प्रदेश मंत्री रुचि गर्ग का कहना है कि उनके साथ क्षेत्रीय मंत्री डा. उदिता त्यागी, पूनम कौशिक, रनीता सिंह, निवर्तमान पार्षद साक्षी नारंग और मीना भंडारी समेत कई नेत्रियों ने दावेदारी की थी। संगठन के लिए लंबे समय से कार्य कर रहीं इन नेत्रियों का पोर्टफोलियो क्या इन तीन महिलाओं से कमजोर है। संगठन में पद पर बैठे नेताओं ने अपनी पत्नी के नाम भेजकर गलत संदेश दिया है। उदिता त्यागी ने भी कहा कि संगठन में पत्नियों से पहले कार्यकर्ता को तवज्जो देनी चाहिए।
लगातार उठते हैं बगावती सुर
भाजपा भले ही खुद को सांगठनिक रूप से मजबूत पार्टी कहती है, लेकिन लगभग हर चुनाव में बगावती सुर जरूर उठते हैं या दो फाड़ होती है। दिसंबर 2022 में ही महापौर के पद पर संजीव शर्मा की दावेदारी को लेकर एमएलसी दिनेश गोयल ने पत्र जारी कर चार विधायक और राज्यसभा सदस्य डा. अनिल अग्रवाल का विरोध कर इन्हें केंद्रीय राज्यमंत्री वीके सिंह का विरोधी बता दिया था।
पिछले विधानसभा चुनाव में केके शुक्ला टिकट न मिलने पर बसपा में चले गए थे। हालांकि बाद में वापस आ गए। क्षेत्रीय उपाध्यक्ष मयंक गोयल और राष्ट्रीय सदस्यता अभियान के प्रदेश संयोजक अजय शर्मा के बीच योगी आदित्य नाथ के रोड शो में स्वागत मंच बनाने को लेकर विवाद हो गया था। इससे पहले जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में भी भाजपा विरोध के कारण 14 में दो सीट पर उम्मीदवार भी नहीं उतार पाई थी।
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