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    Ghaziabad Lift Accident: वसुंधरा में 45 मिनट तक लिफ्ट में फंसे रहे तीन बच्चे, बिगड़ी तबीयत

    Updated: Mon, 01 Apr 2024 07:59 AM (IST)

    गाजियाबाद में लिफ्ट में लोगों के फंसने की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। ताजा मामला वसुंधरा सेक्टर 11 का है। जहां रविवार शाम को लिफ्ट खराब होने स ...और पढ़ें

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    Ghaziabad Lift Accident: वसुंधरा में 45 मिनट तक लिफ्ट में फंसे रहे तीन बच्चे, बिगड़ी तबीयत

    जागरण संवाददाता, साहिबाबाद। वसुंधरा सेक्टर 11 के द्रोणागिरी अपार्टमेंट में टावर की रविवार शाम को लिफ्ट खराब होने से उसमें तीन बच्चे 45 मिनट तक फंसे रहे। बच्चों के शोर मचाने पर लोगों ने लिफ्ट तोड़कर उन्हें बचाया। तीनाें बच्चों की तबीयत बिगड़ गई। लोगों ने घटिया दर्जे की लिफ्ट लगाने और नियमित मेंटेनेंस नहीं करने का आरोप लगाया है।

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    भूतल से लिफ्ट में सवार हुए थे तीनों

    अपार्टमेंट के अर्क शंकर, कौस्तव बंसल, युवराज सिंह तीनों बच्चे रविवार शाम को खेलने गए थे। तीनों की उम्र लगभग 11 से 12 के बीच हैं। शाम करीब छह बजे वह खेलकर अपने फ्लैट में जा रहे थे। भूतल से तीनों लिफ्ट में सवार हो गए।

    लिफ्ट चौथे और पांचवें तल के बीच फंस गई। बच्चों ने काफी शोर मचाया लेकिन किसी को सुनवाई नहीं दिया। तीनों बच्चे अंदर रोने लगे। इनमें अर्क शंकर ने रोते हुए अपने दोनों दोस्तों की काउंसलिंग की और हिम्मत बनाए रखने की बात कही। कुछ देर बाद ही अपार्टमेंट की बिजली आपूर्ति रुक गई।

    इससे लिफ्ट में अंधेरा हो गया। इससे बच्चे अधिक डर गए। तभी चौथे तल पर लिफ्ट के पास पहुंचे एक व्यक्ति को बच्चों की आवाज सुनाई दी। उन्हें अहसास हुआ कि लिफ्ट में बच्चे हैं। सोसायटी के अन्य लोग भी मौके पर पहुंचे।

    लोगों ने राड और लकड़ी की मदद से लिफ्ट को तोड़ा। इसके बाद बच्चों को बाहर निकाला। इनमें युवराज को चोट भी लगी है। बच्चों काे प्राथमिक उपचार दिया गया। अर्क शंकर के पिता अमित शंकर ने बताया कि सोसायटी में बहुत ही घटिया दर्जे की लिफ्ट लगाई गई हैं। उनका नियमित रूप से मेंटेनेंस नहीं किया जाता है। लोग अपने खर्चे से ही अपार्टमेंट की देखरेख करते हैं।

    अभिभावकों में रोष

    लिफ्ट की घटना के बाद स्थानीय लोगों में भारी रोष है। वह सभी टावरों की लिफ्ट बदलवाने की मांग कर रहे हैं। स्थानीय निवासी अमित ने बताया कि आए दिन लिफ्ट खराब हो जाती हैं। बच्चे सहमे हुए हैं। यदि लिफ्टों को नहीं बदला जाता है तो आने वाले समय भी हादसे की आशंका है।

    सिक्योरिटी गार्ड ने नहीं की मदद

    अमित शंकर का आरोप है कि मेंटेनेंस समिति के सिक्योरिटी गार्ड ने बच्चों को रेस्क्यू कराने में कोई मदद नहीं की। सिक्योरिटी गार्ड लिफ्ट की चाबी तलाश करने में लगा रहा। मेंटेनेंस के नाम पर खानापूरी की जाती है। सुरक्षा के मानक भी पूरे नहीं है। जबकि यह सोसायटी में लोगों को 2020-22 से कब्जा मिलना शुरू हुआ था। यह ज्यादा पुरानी सोसायटी नहीं है।

    लिफ्ट लगाने के ये हैं मानक

    • लिफ्ट में कैमरा होना चाहिए
    • आटोमेटिक रेस्क्यू डिवाइस लगी हो
    • लिफ्ट का अलार्म सिक्योरिटी रूम से जुड़ा हो
    • इंटरकाम की सुविधा होनी चाहिए
    • लिफ्ट अच्छी क्वालिटी का होना चाहिए
    • लिफ्ट में अग्निशमन यंत्र भी लगा हो

    लिफ्ट खराब होने की चूक

    •  समय पर मेंटेनेंस नहीं होना
    • लिफ्ट की क्वालिटी बेकार होना
    • लिफ्ट में वजन से ज्यादा लोगों का रहना
    • लिफ्ट को उपयोग करना नहीं आना
    • लिफ्ट में गार्ड का न होना

    मेंटेनेंस नहीं करने का आरोप गलत है। इस तरह का यह पहला मामला हुआ है। लिफ्टों का नियमित मेंटेनेंस किया जाता है। यह मशीन है। कभी भी खराब हो सकती है।

    - विपिन दीक्षित, मेंटेनेंस सुपरवाइजर