High Risk Pregnancy: गर्भवती महिलाओं की मौत के बाद विभाग को मिलती है जानकारी, गाजियाबाद समेत दस जिलों में हालात बेहद खराब
प्रमुख सचिव स्तर पर की गई समीक्षा में पाया गया है कि एचआरपी महिलाओं का चिह्नांकन एएमसी जांच और चिह्नित महिलाओं की नियमित जांच नहीं हो रही है। यह स्थिति तब है जब हर माह की पहली नौवीं 16वीं और 24वीं तारीख को सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं की जांच के लिए मेले का आयोजन किया जाता है।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। एचआरपी (हाई रिस्क प्रेगनेंसी) की पहचान करने, उनके स्वास्थ्य में सुधार लाने और उनकी निगरानी करने में गाजियाबाद समेत प्रदेश के दस जिलों की स्थिति बेहद खराब है। खास बात यह है कि गाजियाबाद में प्रसव के दौरान या उसके बाद 23 महिलाओं की मौत के बाद भी डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी इस योजना को लेकर गंभीर नहीं हैं।
गर्भवती महिलाओं की जांच के लिए मेले का आयोजन
प्रमुख सचिव स्तर पर की गई समीक्षा में पाया गया है कि एचआरपी महिलाओं का चिह्नांकन, एएमसी जांच और चिह्नित महिलाओं की नियमित जांच नहीं हो रही है। यह स्थिति तब है जब हर माह की पहली, नौवीं, 16वीं और 24वीं तारीख को सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं की जांच के लिए मेले का आयोजन किया जाता है।
मौत होने के बाद विभाग को मिलती है जानकारी
स्वास्थ्य विभाग ने मुफ्त अल्ट्रासाउंड जांच के लिए 68 केंद्रों के साथ एमओयू भी साइन किया है। चौंकाने वाली बात यह है कि दिल्ली के अस्पतालों में महिलाओं की मौत की जानकारी विभाग को तब मिलती है जब उनकी मौत हो जाती है। बाद में ऑडिट कराया जाता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, खराब स्थिति वाले दस जिलों में गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, ललितपुर, बांदा, मिर्जापुर, वाराणसी, कुशीनगर, भदोही, आगरा और कौशांबी के नाम शामिल हैं।
जिले में कहां कहां लगता है मेला?
जांच के लिए जिला महिला अस्पताल, सभी सीएचसी, यूपीएचसी, आयुष्मान आरोग्य मंदिर, पीएचसी और शहरी क्षेत्रों में संचालित स्वास्थ्य कल्याण केंद्रों पर मेलों का आयोजन किया जाता है।
क्या बोलती है समीक्षा रिपोर्ट?
ई-कवच के आरसीएच मॉड्यूल के माध्यम से एचआरपी महिलाओं की पहचान, गुणवत्तापूर्ण एएमसी जांच और पहचान की गई एचआरपी महिलाओं की नियमित जांच बहुत आवश्यक है।
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इसके लिए सभी एएनएम और जीएनएम को आरसीएच मॉड्यूल में कुशलतापूर्वक कार्य करने के लिए प्रशिक्षित किया जाए। इसमें गाजियाबाद समेत दस जिलों की स्थिति बेहद खराब पाई गई, जिसके लिए उन्हें चेतावनी दी गई।
उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था वह होती है, जिसमें महिला और उसके गर्भस्थ शिशु को सामान्य से अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ये जोखिम गर्भावस्था के दौरान उत्पन्न होने वाले कारकों के कारण हो सकते हैं। कई बार महिला में खून की कमी के चलते समस्या बढ़ जाती है। ऐसे में निगरानी की बेहद जरूरत होती है। नियमित जांच के अलावा बेहतर खानपान और टीकाकरण जरूरी है। - डा. अल्का शर्मा, सीएमएस जिला महिला अस्पताल
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