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Sawan 2023: लंकेश रावण और मराठा सम्राट शिवाजी से जुड़ा है UP के दूधेश्वर नाथ मंदिर का इतिहास, रोचक है ये कहानी

अब से कुछ दिनों बाद सावन का पवित्र महीना शुरू होने वाला है। इस महीने महादेव की पूजा अर्चाना से मनोकामनाएं पूरी होती है। आज हम NCR के गाजियाबाद स्थित दूधेश्वर नाथ मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका इतिहास लंकापति रावण और मराठा सम्राट शिवाजी महाराज से जुड़ा है। आइए जानते हैं दूधेश्वरनाथ मंदिर के इतिहास से जुड़ी कुछ रोचक मान्यताएं।

By Nitin YadavEdited By: Nitin YadavPublished: Fri, 23 Jun 2023 04:10 PM (IST)Updated: Fri, 23 Jun 2023 04:10 PM (IST)
लंकेश रावण और मराठा सम्राट शिवाजी से जुड़ा है UP के दूधेश्वर नाथ मंदिर का इतिहास, रोचक है ये कहानी।

गाजियाबाद, ऑनलाइन डेस्क। सनातन धर्म में सबसे पवित्र महीना माने जाने वाले सावन की शुरुआत अब से कुछ दिनों बाद होने वाली है। मान्यता है कि इस महीने में महादेव की आराधना करते हैं तो भगवान अपने भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

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वैसे तो देशभर में भगवान शिव के हजारों मंदिर हैं और हर एक मंदिर की अपनी एक मान्यता है। इन्हीं प्राचीन मंदिरों में से एक गाजियाबाद में स्थित श्री दूधेश्वर नाथ मंदिर है। यह मंदिर भी काफी प्रसिद्ध है।

माना जाता है कि इस मंदिर में बाबा भोलेनाथ के दर्शन करने मात्र से हर कष्ट दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं दूधेश्वरनाथ मंदिर के बारे में कुछ रोचक मान्यताएं।

रावण काल से जुड़ा है मंदिर का इतिहास

दूधेश्वर नाथ मंदिर का इतिहास रावण काल से बताया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, हिंडन नदी के किनारे पुलस्त्य के पुत्र और रावण के पिता ऋषि विश्रवा ने घोर तपस्या की थी।

बताया जाता है कि अपने पिता के बाद रावण ने भी इस मंदिर पर तपस्या की थी। इसी स्थान को दुधेश्वर हिरण्यगर्भ महादेव मंदिर मठ के रूप में जानते हैं। माना जाता है कि यहां पर भगवान शिव खुद प्रकट हुए थे। आज यहां पर जमीन से तीन फीट नीचे शिवलिंग मौजूद है।

इस मंदिर पर सावन के हर सोमवार को भक्तों को लंबी-लंबी लाइनें लगती हैं। वहीं, कुछ भक्त तो देर रात को ही लाइन में सबसे पहले पूजा करने के लिए खड़े हो जाते हैं।

रावण ने शिव जी को चढ़ाया था शीश

बताया जाता है कि इस मंदिर में अपनी तपस्या के वक्त रावण ने महादेश को प्रसन्न करने के लिए अपना शीश चढ़ाया था। वहीं, इस मंदिर को देश के प्रमुख आठ मठों में भी गिना जाता है।

मंदिर में है अनोखा कुआं

मंदिर में शिवलिंग वाली जगह पर जब लोगों को लगा कि वह आसपास कोई जल स्त्रोत्र भी है तो लोगों ने वहां खुदाई की तो उन्हें एक अनोखा कुआं भी मिला। बताया जाता है कि इस कुएं का पानी कभी मीठा तो कभी दूध जैसा लगाता है।

मंदिर में स्थित है वेद विद्यापीठ

साल 2002 में श्री शंकराचार्य जयंती ने यहां एक वेद विद्यापीठ की स्थापना की थी। इस मंदिर परिसर के तहत श्री दूधेश्वर विश्वविद्यालय में बीस कक्षाएं शुरू की गई हैं। यह एक समृद्ध पुस्तकालय भी है, जिसमें लगभग आठ सौ ग्रंथ हैं। यहां पर वेद शास्त्रों की शिक्षा लेने देश के हर कोने से विद्यार्थी आते हैं।

शिवाजी महाराज ने कराया था जीणोद्धार

मंदिर की वेबसाइट के मुताबिक,औरंगजेब के काल में मराठा वीर शिरोमणि छत्रपति शिवाजी अपने लाव-लश्कर के साथ यहां आए थे। उन्होंने यहां हवन भी किया था। उनके द्वारा जमीन खुदवा कर गहराई में बनवाया गया हवन-कुंड आज भी मंदिर परिसर में मौजूद है। इसी हवन-कुंड के निकट वेद विद्यापीठ की स्थापना वर्तमान श्री महंत नारायण गिरी जी महाराज ने की है।

मंदिर के आसपास सावन में होते हैं खास इंतजाम

सावन के महीने में मंदिर में महादेव बाबा का जलाभिषेक करने पहुंचे वाले श्रद्धालुओं के लिए मंदिर परिसर के आसपास लोगों द्वारा खास बंदोबस्त किए जाते हैं, जिससे कांवड़ यात्रियों को परेशानी न हो।


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