Heatwave: हल्के में न लें पेट दर्द, बुखार,उल्टी-दस्त की समस्या, आप हो सकते हैं लू का शिकार; सबसे पहले करें ये काम
गाजियाबाद में हीट वेव (लू) को लेकर चिकित्सकों ने सावधानी बरतने की सलाह दी है। तापमान बढ़ने से पेट दर्द बुखार उल्टी-दस्त की शिकायतें बढ़ रही हैं। हीट स्ट्रोक जानलेवा हो सकता है इसलिए बचाव जरूरी है। घर से निकलते समय छाता और पानी साथ रखें और धूप से बचें। लापरवाही न करें समस्या होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। हीट वेव (लू) से बचाव को धूप से बचें और पानी पीते रहें। घर से निकलने पर बिना छाता, चश्मा और पानी की बोतल के कतई न निकलें।
शनिवार को हीट वेव को लेकर सीएमओ कार्यालय में आयोजित गोष्ठी में चिकित्सकों ने इसे जानलेवा बताते हुए सावधानी बरतने की सलाह दी।
जिला एमएमजी अस्पताल के फिजिशियन डॉ. आलोक रंजन ने कहा कि तापमान बढ़ने के साथ ही ओपीडी में पेट दर्द, बुखार,उल्टी-दस्त और घबराहट की शिकायत पर अधिक मरीज पहुंच रहे हैं।
लगातार बढ़ रही है बीमार बच्चों की संख्या
बीमार बच्चों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। ऐसे में सावधानी ही सबसे बड़ा बचाव है।इस गोष्ठी का उद्देश्य गर्मी की लहर के बढ़ते खतरे को ध्यान में रखते हुए, जन स्वास्थ्य संरक्षण हेतु जागरूकता फैलाना तथा हीट स्ट्रोक से बचाव एवं प्रबंधन के वैज्ञानिक उपायों पर विस्तार से चर्चा करना था।
उन्होंने कहा कि हीट स्ट्रोक जानलेवा हो सकता है, लेकिन सही जागरूकता और समय पर उपचार से इसे रोका जा सकता है।
सीएमओ डॉ. अखिलेश मोहन ने सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया कि वे घर-घर जाकर लोगों को जागरूक करें और हीट वेव अलर्ट के दौरान एहतियात बरतने की सलाह दें। इस मौके पर जिला सर्विलांस अधिकारी आरके गुप्ता समेत अनेक चिकित्सक एवं स्वास्थ्यकर्मी मौजूद रहे।
हीट वेव को जानें
वातावरण में अत्यधिक उच्च तापमान की स्थिति को हीट वेव कहते हैं। तापमान जब सामान्य से अधिक दिनों तक 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक बना रहे तो इसे हीट वेव माना जाता है। गाजियाबाद में पिछले तीन दिन से तापमान 40 से 41 डिग्री के बीच दर्ज किया जा रहा है।
हीट वेव में इन्हें है सर्वाधिक खतरा
छोटे बच्चे व 60 वर्ष से अधिक आयु वाले, मधुमेह, ह्रदय रोगी जैसे गंभीर रोग से ग्रसित, खुले में कार्य करने वाले श्रमिक।
हीट स्ट्रोक के लक्षण
अत्यधिक शरीर का तापमान, बेहोशी या चक्कर आना, त्वचा का लाल व सूखा होना, तेज सिरदर्द, तेज नाड़ी व सांस का चलना।
बरतें सावधानी
दिन में 12 से चार बजे तक बाहर न निकलें, हल्के रंग के, ढीले और सूती कपड़े पहनें, भरपूर मात्रा में पानी और तरल पदार्थ का सेवन करें, धूप में निकलते समय सिर को ढकें, खुले में कार्य करते समय नियमित अंतराल पर विश्राम करें।
हीट स्ट्रोक का प्राथमिक उपचार
मरीज को छायादार, ठंडी जगह पर ले जाएं, कपड़ों को ढीला करें, शरीर पर ठंडा पानी डालें या पानी पट्टियां लगाएं, तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाएं।
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