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    Ghaziabad: दो-तीन वर्ष से निष्क्रिय पड़ा है खाता तो हो जाएं सावधान, रिटायर दारोगा के खाते से ऐसे निकल गए लाखों

    By Jagran NewsEdited By: Geetarjun
    Updated: Sun, 17 Sep 2023 10:51 PM (IST)

    आपका भी खाता दो-तीन साल से निष्क्रिय पड़ा है तो सावधान हो जाइए। आपके साथ ठगी हो सकती है। नगर कोतवाली पुलिस ने रविवार शाम एक ऐसे ही अपराधी को गिरफ्तार किया है जो अपने साथियों संग बैंक कर्मियों के साथ मिलकर ऐसे खातों में सेंधमारी करता है। पुलिस ने यह कार्रवाई एक सेवानिवृत्त दारोगा के खाते से 7.50 लख रुपये निकाले जाने की शिकायत के आधार पर की है।

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    दो-तीन वर्ष से निष्क्रिय पड़ा है खाता तो हो जाएं सावधान, रिटायर दारोगा के खाते से ऐसे निकल गए लाखों।

    गाजियाबाद, जागरण संवाददाता। यदि आपका भी खाता दो-तीन साल से निष्क्रिय पड़ा है तो सावधान हो जाइए। आपके साथ ठगी हो सकती है। नगर कोतवाली पुलिस ने रविवार शाम एक ऐसे ही अपराधी को गिरफ्तार किया है, जो अपने साथियों संग बैंक कर्मियों के साथ मिलकर ऐसे खातों में सेंधमारी करता है।

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    पुलिस ने यह कार्रवाई एक सेवानिवृत्त दारोगा के खाते से 7.50 लख रुपये निकाले जाने की शिकायत के आधार पर की है, जिसमें एक संगठित ग्रह के सक्रिय होने का पर्दाफाश हुआ है। डीसीपी नगर निपुण अग्रवाल ने बताया कि गिरफ्तार आरोपित कानपुर देहात का आलोक कुमार है। जो वर्तमान में गुरुग्राम में रह रहा है और टैक्सी चलाता है।

    तीन जून, 2019 को हुए ट्रांसफर

    आगरा की प्रोफेसर कॉलोनी में रहने वाले शिशुपाल सिंह ने शिकायत दी थी कि नवयुग मार्केट स्थित इलाहाबाद बैंक की शाखा वाले खाते से तीन जून 2019 को 7.50 लाख रुपये चेक के जरिये आलोक कुमार के कोटक महिंद्रा बैंक खाते में ट्रांसफर हुए हैं, जबकि उन्होंने किसी को भुगतान के लिए चेक नहीं दिया था।

    रुपये पुराने चेक से निकाले गए थे और अब इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक में विलय हो चुका है। शिशुपाल की शिकायत में आलोक कुमार और उसके बैंक खाते की जानकारी हुई, जिसको ट्रेस करने पर पुलिस ने रविवार शाम आलोक को गुरुग्राम से गिरफ्तार कर लिया।

    केवाइसी न होने का उठाया फायदा

    आलोक ने बताया कि फरीदाबाद के रहने वाले अरुण कुमार त्रिवेदी पर उसके कुछ रुपये उधार थे। बार-बार मांगने पर रुपए नहीं मिले और एक दिन अरुण ने उसे 7.50 लाख रुपये का चेक दिया। भुगतान उसके खाते में हो गया तो उसने उधार की रकम काटकर अरुण को रुपये लौटा दिए। अरुण ने उससे कहा कि अपने खाते में और भी चेक भुना लोगे तो 10 प्रतिशत का कमीशन मिलेगा।

    इसके बाद आलोक के खाते में 50 लाख रुपये और 1.10 करोड़ रुपये आए। 1.10 करोड रुपये का भुगतान दिल्ली के एक व्यापारी के खाते से हुआ था, जिसकी शिकायत पर दिल्ली क्राइम ब्रांच ने आलोक के साथ अरुण को भी गिरफ्तार कर लिया था। आलोक ने पुलिस को बताया कि कोटक महिंद्रा बैंक में उसके खाते की केवाइसी नहीं हुई थी। इसीलिए उसे लगा कि वह पकड़ा नहीं जाएगा।

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    बैंक कर्मियों की मिलीभगत से चल रहा है खेल

    अरुण के पते पर फरीदाबाद में गाजियाबाद की पुलिस पहुंची तो वह वहां पर नहीं मिला। जानकारी मिली कि वह प्रतापगढ़ की जेल में बंद है, जिसकी पुलिस तस्दीक कर रही है। आलोक ने बताया कि इस पूरे खेल में अरुण मास्टरमाइंड है और उसके साथ कुछ बैंक कर्मी भी मिले हुए हैं।

    शिशुपाल के मामले में पुलिस ने छानबीन की तो यह सामने आया कि पूर्व में शिशुपाल ने भुगतान के लिए जो चेक दिया था, उसी का क्लोन किया गया है। 7.50 लाख रुपये का भुगतान जिस चेक से हुआ, उस पर उनके हस्ताक्षर ओवर राइट थे।

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    बावजूद इसके चेक का भुगतान कर दिया गया, क्योंकि ओवरराइटिंग वाले हस्ताक्षर बैंक के डाटा में फीड किए गए थे। डीसीबी का कहना है कि अरुण यदि प्रतापगढ़ जेल में है तो उससे पूछताछ कर इस मामले में शामिल बैंक कर्मियों की पहचान करेंगे। इसके बाद उनकी भी गिरफ्तारी की जाएगी।

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