नए-नए बिल्डर आए, लोगों की गाढ़ी कमाई लूटी और गायब हो गए; गाजियाबाद में अटकी 40 से ज्यादा परियोजनाएं
Ghaziabad Real Estate Projects News Updates वर्ष 2010-12 के बीच जीडीए ने राजनगर एक्सटेंशन व शहरी क्षेत्र में आ रहे गांवों की जमीनों के विकास की योजना बनाकर नक्शे पास करने शुरू किए। बिल्डरों ने किसानों से कौड़ियों के दाम जमीन खरीदी या जीडीए और प्रशासन के जरिए...

गाजियाबाद [विवेक त्यागी]। Ghaziabad Real Estate Projects: रेड एप्पल, मंजू जे. होम्स प्रोजेक्ट, आइडिया बिल्डर, अंतरिक्ष बिल्डर समेत छोटे-बड़े कुल 41 बिल्डरों की परियोजनाएं जिले में लंबित हैं। इनमें फ्लैट बुक कराने वाले 20 हजार से ज्यादा लोग परेशान हैं।
10 साल से आशियाना मिलने की बांट जोह रहे हैं। एफआइआर कराई, बिल्डर गिरफ्तार हुए। जमानत पर छूट भी गए। मगर लोगों का आशियाने का सपना पूरा नहीं हुआ।
बिल्डरों द्वारा काम शुरू करने में देरी करना व एक प्रोजेक्ट की बुकिंग का पैसा उस प्रोजेक्ट को पूरा किए बगैर दूसरे प्रोजेक्ट या अन्य काम में लगाना प्रोजेक्ट पूरे या शुरू न होने का प्रमुख कारण रहा।
केंद्र ने राज्यों से मांगा अटके हुए आवासीय प्रोजेक्ट का ब्यौरा
अब केंद्र सरकार ने राज्यों से अटके हुए आवासीय प्रोजेक्ट का ब्यौरा मांगा है तो खरीदारों को कुछ उम्मीद जगी है कि देर से ही सही आशियाने का सपना पूरा होने की उम्मीद जगी है हालांकि स्थानीय अधिकारी मामले में अभी कुछ भी कहने से बच रहे हैं।
ऐसे लोगों ने बढ़ाई परेशानी
वर्ष 2005 में गाजियाबाद काे हाट सिटी का तमगा मिला तो दिल्ली-एनसीआर में अपना आशियाना बनाने की सोच रहे लोगों की यहां फ्लैट खरीदने के लिए बाढ़ आ गई, उस वक्त चुनिंदा बिल्डर होते थे। समय बीतता गया तो काफी संख्या में नए बिल्डर रियल एस्टेट सेक्टर में पैदा हो गए।
वर्ष 2010-12 के बीच जीडीए ने राजनगर एक्सटेंशन व शहरी क्षेत्र में आ रहे गांवों की जमीनों के विकास की योजना बनाकर नक्शे पास करने शुरू किए। बिल्डरों ने किसानों से कौड़ियों के दाम जमीन खरीदी या जीडीए और प्रशासन के जरिए कौड़ियों के दाम पर ही अधिग्रहण करा ली।
प्राधिकरण से नक्शा पास कराया और बिल्डरों ने कर दी फ्लैटों की बुकिंग शुरू। दूरदराज के लोगों के लिए गाजियाबाद में फ्लैट खरीदना सपने के समान था। लोगों ने बिल्डरों के लोक लुभावने वादों से आकर्षित होकर फ्लैटों की बुकिंग करा दी।
बिल्डरों ने सिर्फ बुकिंग की धनराशि ही नहीं ली, बल्कि फ्लैट की कीमत की 70-80 प्रतिशत रकम खरीदारों से ले ली। बिल्डरों ने लोगों के खून पसीने की गाढ़ी कमाई जमकर लूटी और गायब हो गए।
आंकड़े एक नजर में -
- जिले में कुल 250 सोसाइटी में 50 हजार फ्लैट हैं।
- 118 सोसाइटियां निर्माणाधीन हैं, इनमें 32 हजार फ्लैट हैं।
- 150 बिल्डर यूपीरेरा में पंजीकृत हैं।
नौ साल बाद भी नहीं मिले ईडब्ल्यूएस-एलआइजी फ्लैट
नौ साल बाद भी ईडब्ल्यूएस व एलआइजी फ्लैटों के हजारों आवंटियों को कब्जा नहीं मिला है। गरीब और निम्न आय वर्ग के लोगों को आवास मुहैया कराने के लिए जीडीए ने वर्ष 2013 में बिल्डर प्रोजेक्ट के पांच हजार सस्ते ईडब्ल्यूएस व एलआइजी फ्लैटों की स्कीम निकाली थी।
पांच हजार फ्लैटों की इस स्कीम में 36 हजार के ज्यादा लोगों ने आवेदन किया था। किसी भी बिल्डर को स्वीकृत प्रोजेक्ट में फ्लैटों की संख्या के एवज में 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस व एलआइजी फ्लैट बनाने होते हैं जिन बिल्डरों ने यह फ्लैट नहीं बनाए थे। उन्हें सूचीबद्ध करते हुए जीडीए ने योजना लांच की थी।
उप्पल चड्ढा, सनसिटी, क्रासिंग रिपब्लिक, सारे समग, लैंडक्राफ्ट, एसएमवी एग्रो, अग्रवाल एसोसिएट्स, मैसर्स यूटिलिटी इन बिल्डरों को ईडब्ल्यूएस व एलआइजी फ्लैट बनाने थे। इसी तरह पीएम आवास योजना के तहत मधुबन-बापूधाम व डासना में बन रहे भवनों का भी लोगों को अभी तक कब्जा नहीं मिला है।

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