गाजियाबाद के MMG अस्पताल में पूछताछ करने पर भड़के फार्मासिस्ट, दो दिन की फोर्स लीव पर भेजे गए
गाजियाबाद के एमएमजी अस्पताल में राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (एनक्वास) टीम के निरीक्षण के दौरान एक फार्मासिस्ट सवालों से नाराज हो गया जिसके बाद उसे दो दिन की छुट्टी पर भेज दिया गया। टीम अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता का आकलन कर रही थी और फार्मासिस्ट का व्यवहार टीम को नागवार गुजरा। यह घटना अस्पताल में तैयारियों और सुधारों के बीच हुई।

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। जिला एमएमजी अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता का आकलन करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तीन सदस्य टीम नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड(एनक्वास) सोमवार सुबह को जिला एमएमजी अस्पताल पहुंची।
टीम ने सबसे पहले सीएमओ डॉ. अखिलेश मोहन एवं सीएमएस डॉ. राकेश कुमार सिंह के संग बैठक करते हुए स्वास्थ्य सेवाओं की मौखिक समीक्षा की। इस टीम में राजस्थान से डॉ. दिनेश सिंह गुर्जर, हरियाणा से सुनीता दुहन और दिल्ली से डा. रश्मि शामिल रहीं।
बैठक के बाद जैसे ही डॉ. दिनेश और डॉ. सुनीता दुहन टीकाकरण कक्ष संख्या-25 के सामने पहुंची तो भीड़ देखकर कुछ बिंदुओं पर उक्त दोनों सवाल करने लगे। इस कक्ष में एंटी रेबीज वैक्सीन लगाई जाती है।
'सामने खड़े मरीजों को देखूं या सवालों के जबाव दूं'
सवाल सुनकर वहां मौजूद फार्मासिस्ट भड़क गये और बोले सामने खड़े मरीजों को देखूं या सवालों के जबाव दूं। टीम ने फिर भी सवालों का जवाब जानना चाहा और बताया कि स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतर गुणवत्ता के लिए सुधार जरूरी है। सुधार के लिए सवालों का जवाब दिया जाना अनिवार्य है।
फार्मासिस्ट के इस व्यवहार से टीम नाराज होकर आगे बढ़ गई। बाद में सीएमएस डॉ. राकेश कुमार सिंह ने उक्त फार्मासिस्ट को कार्यालय में बुलाकर कड़ी फटकार लगाई और दो दिन के लिए फाेर्स लीव पर भेज दिया गया। सीएमओ के अनुसार यह टीम सात मई तक जिला अस्पताल में रहकर स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता का आकलन करेगी। इसके बाद अंक के साथ प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजेगी।
अस्पताल की गुणवत्ताओं में बेहतर सुधार का प्रस्ताव
यह आकलन ओपीडी, इमरजेंसी, पर्ची काउंटर, दवा वितरण, पैथालाजी जांच, साफ सफाई, स्वास्थ्यकर्मियों का मरीजों के प्रति व्यवहार, उपस्थिति, बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम, सुरक्षा, अग्निशमन व्यवस्था, आक्सीजन प्लांट, वार्ड में भर्ती मरीजों का इलाज और मरीजों के बैठने एवं पीने के पानी के इंतजाम जैसे बिंदुओं पर हो रहा है।
पहले दिन महिला वार्ड, बच्चा वार्ड, इमरजेंसी,पैथालाजी लैब,आईसीयू और आपरेशन थियेटर का जायजा लिया गया।इससे पहले राज्य स्तर की टीम इस अस्पताल की गुणवत्ताओं में बेहतर सुधार का प्रस्ताव भेज चुकी है। इसी को लेकर पिछले एक महीने से अस्पताल में तैयारियां चल रही थी। यदि टीम ने पास कर दिया तो पांच हजार रुपये प्रति बेड के हिसाब से वित्तीय सहायता मिल सकती है।
टीम-1
हरियाणा से आईं डॉ. सुनीता दुहन ने इमरजेंसी में पहुंचकर चिकित्सकों के साथ स्वास्थ्यकर्मियों से पूछताछ की। दवाओं का स्टाक रजिस्टर देखा। एंटी रेबीज वैक्सीन के बारे में पूछा कि वायल खुलने के बाद मरीज न आने पर उसका क्या करते हैं।
फार्मासिस्ट संजय शर्मा ने बताया कि फ्रीज में कुछ देर रखकर मरीज का इंतजार करते हैं। मरीज न आने पर नष्ट कर देते हैं। दवाओं की खपत के बारे में पूछे जाने पर स्वास्थ्यकर्मियों ने बताया कि रोज इंडेन बनाकर स्टोर से दवाएं लेते हैं।
तीसरे दिन दवाओं की उपलब्ध्ता चेक करते हैं। मेडिकल उपकरण खराब होने पर क्या करते हैं , इसका जवाब देते हुए बोले कि प्लग, वायर, बैटरी जैसी छोटी कमियों को खुद ही दूर कर लेते हैं। वैकल्पिक उपकरण उपलब्ध रहते हैं।
टीम-2
राजस्थान से पहुंचे डॉ. दिनेश गूर्जर ने बच्चा वार्ड में पहुंचकर पिछले तीन महीने में भर्ती हुए छह बच्चों की पूरी रिपोर्ट मांग ली। दो मरीजों की रिपोर्ट तुरंत मिल गई। शेष की रिपोर्ट रिकार्ड रूम से मंगवाई गईं। उन्होंने स्वास्थ्यकर्मियों से बीमार बच्चों को दिए जाने वाले इलाज के बारे में विस्तार से पूछताछ की। साफ सफाई को लेकर भी बारीकी से निरीक्षण किया।
टीम-3
दिल्ली से पहुंची डॉ. रश्मि ने महिला वार्ड में पहुंचकर दवाओं का स्टाक रजिस्टर देखा। दवाओं की उपलब्ध्ता के साथ मेडिकल उपकरणों की स्थिति देखी। साफ सफाई के साथ ही मरीजों को दिए जाने वाले खाने के बारे में मरीजों से भी पूछताछ की
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