Ghaziabad News: पैसे जमा करने के बाद भी फ्लैट न मिलने वाले ग्राहकों को राहत, अब इतने प्रतिशत ब्याज के साथ वापस होगा आपका रकम
गाजियाबाद में फ्लैट न देने पर उपभोक्ता आयोग ने बिल्डर को ब्याज समेत जमा राशि लौटाने का आदेश दिया। एक अन्य मामले में बीमा कंपनी को इलाज का खर्च न देने पर दावा राशि देने का आदेश दिया गया। उपभोक्ता ने बिल्डर पर समय पर फ्लैट न देने और बीमा कंपनी पर कैशलेस बीमा के बावजूद खर्च न देने का आरोप लगाया था।

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। समय पर फ्लैट न देने और जमा धनराशि वापस न करने पर उपभोक्ता ने शिव शंकर बुलडेकॉन प्राइवेट लिमिटेड के एमडी अजय कुमार के खिलाफ जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में परिवाद दायर किया।
मामले की सुनवाई करते हुए आयोग ने इसे सेवा में कमी का मामला माना और जमा धनराशि आठ प्रतिशत ब्याज के साथ वापस करने का आदेश दिया।
ग्वालियर के करडू गांव निवासी अर्जुन सिंह ने नौ सितंबर 2024 को जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में परिवाद दायर किया था। उन्होंने बताया कि उन्होंने ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित एमराल्ड परियोजना में 560 वर्ग फीट का फ्लैट खरीदने के लिए एक अप्रैल 2014 को आवेदन किया था।
इसके लिए उन्होंने कुल कीमत 14.84 लाख रुपये में से 5,29,309 रुपये का भुगतान किया था। बिल्डर ने 31 दिसंबर 2016 तक फ्लैट देने का वादा किया था, लेकिन समय पर फ्लैट नहीं दिया गया। जब उन्होंने जमा धनराशि वापस मांगी तो धनराशि भी वापस नहीं की गई।
शिकायत पर सुनवाई करते हुए आयोग ने इसे सेवा में कमी का मामला मानते हुए बिल्डर को जमा राशि आठ प्रतिशत ब्याज सहित चुकाने के आदेश दिए हैं। इसके अलावा शिकायत व्यय के रूप में पांच हजार रुपये भी अदा करने को कहा है।
बीमा कंपनी को दावा राशि देने के आदेश
जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने स्वास्थ्य बीमा लेने के बावजूद इलाज पर खर्च हुई राशि का भुगतान न करने पर बीमा कंपनी को दावा राशि देने का आदेश दिया है।
साहिबाबाद स्थित रजनीगंधा अपार्टमेंट में रहने वाले राजीव कुमार ने बताया कि उन्होंने स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस कंपनी से कैशलेस स्वास्थ्य बीमा लिया था। जो 24 जनवरी 2022 से 22 जनवरी 2023 तक प्रभावी था। 12 दिसंबर 2022 को क्रिकेट खेलते समय उनके घुटने में चोट लग गई।
उन्होंने गुरुग्राम के यशरूप अस्पताल में इलाज कराया। इलाज के बाद जब उन्होंने खर्च हुई राशि का दावा मांगा तो कंपनी ने देने से इनकार कर दिया। इस मामले में जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में शिकायत दर्ज कराई गई। इस मामले में, आयोग ने बीमा कंपनी को दावा राशि के रूप में 1,76,250 रुपये और मुकदमा खर्च के रूप में 5,000 रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है।
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