ओडिशा पुलिस ने गाजियाबाद में मां-बेटे को किया गिरफ्तार, किराए पर घर लेकर चला रहे थे...
ओडिशा पुलिस ने गाजियाबाद से एक करोड़ 37 लाख रुपये की साइबर ठगी के मामले में मां-बेटे को गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने प्रताप विहार में किराए पर मकान लेकर ठगी की वारदात को अंजाम दिया। पुलिस ने आरोपियों के बैंक खातों और फर्जी कंपनियों का भी पता लगाया है। गिरफ्तार आरोपी वंश अग्रवाल पहले भी साइबर ठगी के आरोप में जेल जा चुका है।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। ओडिशा की भुवनेश्वर पुलिस ने सेवानिवृत इंजीनियर को डिजिटल अरेस्ट कर एक करोड़ 37 लाख रुपये की साइबर ठगी करने के मामले में प्रताप विहार से मां-बेटा नीलम अग्रवाल और वंश अग्रवाल को गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने ढाई महीने पहले ही प्रताप विहार में किराए पर मकान लिेया था।
गिरफ्तार मां-बेटा बीते वर्ष नवंबर में पंजीकृत कराई गई दो कंपनियों में निदेशक हैं। दोनों कंपनियों के नाम से खोले गए बैंक खातों में ही ठगी की रकम पीड़ितों से ट्रांसफर कराई गई है। ओडिशा पुलिस की गिरफ्त में आए आरोपी वंश अग्रवाल को पूर्व में दिल्ली पुलिस ने भी साइबर ठगी के आरोप में जेल भेजा था।
27 अक्टूबर को पहुंची भुवनेश्वर पुलिस
विजय नगर थाना पुलिस के पास 27 अक्टूबर को भुवनेश्वर पुलिस की टीम ने आकर आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए संपर्क किया था। स्थानीय पुलिस को बताया गया कि भुवनेश्वर पुलिस ने 22 मई को एक सेवानिवृत इंजीनियर की शिकायत पर केस दर्ज किया गया था।
कई दिनों तक रखाडिजिटल अरेस्ट
पीड़ित को फोन कर उनका आधार नंबर धोखाधड़ी में प्रयोग होने की जानकारी देकर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोपी बताया। उन्हें गिरफ्तारी का डर दिखाकर 14 मई से 18 मई के बीच डिजिटल अरेस्ट बताया गया और उनसे तीन बैंक खातों में एक करोड़ 37 लाख रुपये जांच के नाम पर ट्रांसफर करा लिए गए।
बैंक अकाउंट की पुलिस ने जुटाई जानकारी
पीड़ित को जब रुपये वापस नहीं मिले तब उन्हें ठगी का आभास होने पर पुलिस को शिकायत दी। शिकायत पर जांच करते हुए पुलिस ने पाया कि जिन बैंक खातों में रुपये ट्रांसफर हुए वह वंशनील सॉफ्टवेयर के नाम से मेरठ के पंजाब नेशनल बैंक और भारतीय स्टेट बैंक में खुले हुए हैं। बैंक खातों के आधार पर पुलिस ने दोनों आरोपियों की जानकारी जुटाकर गिरफ्तारी की है।
आठ हजार रुपये महीना पर लिया मकान
प्रताप विहार सेक्टर-12 में आरोपी जिस मकान में आरोपी मां-बेटा किराए पर रह रहे थे, उसके मालिक मोहन का कहना है कि वंश अपनी मां और बहन के साथ उनके उनके यहां 15 अक्टूबर से ही रहने आया था। परिवार आठ हजार रुपये महीना किराए पर है। वंश की बहन शिवांगी अग्रवाल के नाम से किरायानामा बनाया गया है।
वंश की बहन शिवांगी का कहना है कि उनके भाई को दीपक नाम के दिल्ली के रहने वाले युवक ने फंसाया है। दीपक ने ही झांसे में लेकर वंश और मां नीलम अग्रवाल से कागजों पर हस्ताक्षर करा लिए थे। दीपक और वंश को दिल्ली के मंदिर मार्ग थाना पुलिस ने मई में 63 लाख रुपये की साइबर ठगी में गिरफ्तार कर जेल भेजा था। शिवांगी ने बताया कि वंश तीन महीने पहले ही जमानत पर छूटकर बाहर आया था।
दो कंपनियों के निदेशक हैं मां-बेटा
वंश और उसकी मां नीलम के नाम पर भी दो कंपनियां पंजीकृत हैं। वंशनील साफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड को इंदिरापुरम के वैभवखंड स्थित पते पर रजिस्ट्रार आफ कंपनीज कानपुर में बीते वर्ष 23 नवंबर को पंजीकृत कराया गया। इस कंपनी में नीलम अग्रवाल और वंश अग्रवाल निदेशक हैं। दोनों आरोपी इंदिरापुरम के पते पर पंजीकृत नीलावन इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में भी निदेशक हैं।
नीलावन कंपनी को बीते वर्ष 30 नवंबर को पंजीकृत कराया गया था। दोनों आरोपियों ने रजिस्ट्रार आफ कंपनीज के रिकार्ड में स्वयं का पता मेरठ में लोहिया नगर दिखाया हुआ है। पुलिस जांच में आधार में दिया गया पता फर्जी पाया गया। साइबर ठगी के लिए बैंक खाते में बड़ी धनराशि का ट्रांजेक्शन करने के लिए चालू खाता जरूरी है। इसलिए साइबर ठग फर्जी फर्म या कंपनियां बनाकर उनके नाम पर चालू खाता खोलते हैं।
भुवनेश्वर पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए संपर्क किया था। विजय नगर पुलिस को उनके साथ भेजकर नीलम अग्रवाल और उसके बेटे वंश को पकड़ा गया है। -रितेश त्रिपाठी, एसीपी कोतवाली
वंश और उसकी मां नीलम अग्रवाल के पहचान पत्रों के सहारे दीपक ने बैंक खाते और फर्म पंजीकृत कराई हैं। इसके एवज में उन्हें मात्र कुछ हजार रुपये ही मिले। सभी बैंक खातों का संचालन भी दीपक ही करता था। दीपक की तिहाड़ जेल में न्यायिक हिरासत में इलाज के दौरान 16 जून को मौत हो गई है। दीपक अन्य साथियों के साथ साइबर ठगी करता था। अन्य आरोपियों की पुलिस तलाश कर रही है। -केपी शर्मा, वंश के अधिवक्ता
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