गाजियाबाद में इंडस्ट्रियल यूनिट में आग लगी तो छूटेंगे पसीने, अधिकांश में नहीं हैं फायर सेफ्टी के इंतजाम
गाजियाबाद के औद्योगिक क्षेत्रों में अग्नि सुरक्षा की स्थिति चिंताजनक है। अधिकांश इकाइयों में आग से बचाव के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं और न ही कर्मचारियों को अग्निशमन यंत्रों का उपयोग करना आता है। ऐसे में आग लगने पर बड़ा हादसा हो सकता है। इस लेख में हम गाजियाबाद के औद्योगिक क्षेत्रों में अग्नि सुरक्षा की स्थिति का जायजा लिया।

शाहनवाज अली, गाजियाबाद। औद्योगिक क्षेत्रों में फायर सुरक्षा के नाम पर उद्यमी गंभीर हैं न विभागीय अधिकारियों की लापरवाही सामने आ रही है। अधिकांश औद्योगिक इकाइयों में न तो आग से बचाव के पर्याप्त इंतजाम हैं और न ही वहां कार्यरत कर्मियों को इकाइयों में लगाए गए अग्निशमन यंत्रों के उपयोग की जानकारी है। ऐसे में अगर किसी फैक्ट्रियों में आग लगती है, तो हालात बेकाबू हो सकते हैं।
कविनगर औद्योगिक क्षेत्र और स्वदेशी कंपाउंड में पड़ताल की गई। इस दौरान जहां कविनगर औद्योगिक क्षेत्र में कई इकाइयों में फायर हाइड्रेंट पाइप लगे नजर आए तो स्वदेशी कंपाउंड में इसका अभाव दिखा। यहां सड़क के दोनों ओर अतिक्रमण के कारण आग लगने पर हालात पर काबू पाने में दमकल विभाग को भारी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
दमकल गाड़ियों को लेकर क्या हैं इंतजाम
कविनगर औद्योगिक क्षेत्र वर्ष 1965 में अस्तित्व में आया। यहां इंजीनियरिंग गुड्स और मशीनरी पार्टल की बड़ी निर्माण इकाइयों के अलावा पेपर, कैमिकल आदि की चंद इकाइयां भी संचालित होती हैं। यहां 1500 वर्ग मीटर की करीब 300 से अधिक इकाइयां हैं, जहां कई इकाइयों में फायर हाइड्रेंट पाइप लगाए गए हैं।
यहां के औद्योगिक संगठन ने एक पहल भी की है, जिसके तहत कहीं भी आग लगने पर यहां से दमकल गाड़ियों को पानी देने के लिए दिन-रात यानी 24 घंटे व्यवस्था कराई गई है। कुछ जगह इकाइयों के गेट पर अग्निशमन विभाग के इमरजेंसी नंबर मिले तो कहीं पोस्टर भी लगे दिखाई दिए।
वहीं, इससे सटे स्वदेशी कंपाउंड में हालात जुदा दिखे। यहां फायर सेफ्टी को लेकर उद्यमियों में वह जागरूकता नहीं दिखी। सड़क पर अतिक्रमण और इकाइयों में आग से सुरक्षा का अभाव दिखा। हालांकि एसोसिएशन के जिम्मेदारों ने जरूर जागरूकता अभियान चलाने का दावा किया, लेकिन धरातल पर इसका असर कम ही नजर आया। आग लगी तो यहां दमकल विभाग के साथ ही उद्यमियों के पसीने छूटना तय है।
कर्मियों को नहीं प्रशिक्षण
पड़ताल में सामने आया कि अधिकांश इकाइयों के उद्यमियों व काम करने वाले कर्मचारियों को अग्निशमन यंत्र चलाने का कोई अनुभव नहीं है। कई जगह तो आग बुझाने वाले यंत्र भी चालू हालत में नहीं मिले।
कर्मचारियों से जब पूछा गया कि आग लगने की स्थिति में क्या करेंगे, तो उनका जवाब था कि वह फायर ब्रिगेड को फोन करेंगे, लेकिन जब तक मदद पहुंचेगी, तब तक बड़ी क्षति हो सकती है। उद्योगों में सुरक्षा को लेकर गंभीरता का अभाव साफ नजर आता है।
कई उद्यमियों को फायर सेफ्टी ऑडिट के बारे में भी जानकारी नहीं थी। कुछ ने माना कि उन्होंने कभी अपने कर्मचारियों को अग्निशमन का प्रशिक्षण नहीं दिलवाया। यहां तक कि कुछ इकाइयों में तो फायर अलार्म या स्मोक डिटेक्टर जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं हैं।
प्रशासन की भूमिका भी सवालों में
फायर डिपार्टमेंट और प्रशासन की भूमिका भी इस स्थिति के लिए कम जिम्मेदार नहीं है। यदि नियमित निरीक्षण और सख्त कार्रवाई होती तो हालात इतने खराब नहीं होते। स्वदेशी कंपाउंड में अतिक्रमण हटाने को लेकर भी कोई ठोस कदम अभी तक नहीं उठाया गया है।
यहां यूपीसीडा ने वर्ष 2000 में बंद हुई सिंथेटिक यार्न बनाने वाली स्वदेशी पालिटिक्स कंपनी के 200 से 300 मीटर के सब डिवीजन के तहत प्लाट काटे। इसमें करीब 1000 इकाइयां हैं, जिनमें 900 संचालित हो रही हैं।
फायर सुरक्षा को लेकर हालात चिंताजनक
औद्योगिक क्षेत्रों में फायर सुरक्षा को लेकर स्थिति चिंताजनक है। अगर जल्द ही इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए तो मौजूदा गर्मी के मौसम में बड़े हादसे को को टाल पाना मुश्किल होगा। फायर सेफ्टी केवल कागजों तक सीमित न रहकर जमीनी हकीकत तक उतारना होगा। इसके लिए औद्योगिक संगठन और उद्यमियों के साथ दमकल विभाग और प्रशासन को जागरूकता अभियान के तहत कामगारों को भी फायर सेफ्टी का प्रशिक्षण देना होगा। ताकि आग लगने पर वह इधर उधर न भागकर शुरुआती आग पर काबू पाते हुए बड़ी घटना होने से बचा सकें।
सभी कंपनियों के बाहर अग्निशमन विभाग के इमरजेंसी नंबर और अधिकारियों के नंबर अंकित कराए गए हैं। करीब एक दशक की लडाई के बाद स्वदेशी कंपाउंड में फायर स्टेशन को मंजूरी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। इसका निर्माण स्वदेशी पालीटिक्स के प्रमोटर कराएंगे। इससे कविनगर, बीएस रोड, उद्योग कुंज, स्वदेशी कंपाउंड, एसएसजीटी रोड, पांडव नगर औद्योगिक क्षेत्रों की इकाइयों में आग लगने पर बुझाने में दमकल गाड़ियां 10 मिनट में पहुंच सकेंगी। - अरुण शर्मा, अध्यक्ष
सभी औद्याेगिक इकाइयों में फायर सेफ्टी के लिए उपकरण लगाने और इनका प्रशिक्षण कराने के लिए उद्यमियों से अपील की जाती है। दमकल विभाग की टीम द्वारा प्रत्येक वर्ष प्रशिक्षण और माकड्रिल भी कराया जाता है।
- अजीत सिंह, अध्यक्ष इंडस्ट्रियल आनर एसोसिएशन स्वदेशी कंपाउंड
हम लगातार औद्योगिक इकाइयों को नोटिस जारी करते हैं, लेकिन कई जगह उद्यमी इस ओर ध्यान नहीं देते। अब हम अभियान चलाकर औद्योगिक क्षेत्र में जागरूकता के साथ ही खामियां मिलने पर कड़ी कार्रवाई की तैयारी कर रहे हैं। - राहुल पाल, मुख्य अग्निशमन अधिकारी
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