UP News: टीबी का हॉट स्पॉट बना यूपी का ये जिला, मिले 3800 से ज्यादा मरीज; क्या हैं लक्षण?
यूपी का गाजियाबाद जिला टीबी का हॉट स्पॉट बन गया है। जिले के लोनी में चालू वित्त वर्ष में 3800 से ज्यादा मरीज मिले हैं। इससे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का तनाव बढ़ गया है। वहीं हर रोज 2 से 5 ऐसे रोगी ट्रेस किए जा रहे हैं जो 3 महीने से टीबी की जांच कराने को लेकर असमंजस में रहते हैं और फिर जांच कराते हैं।

मदन पांचाल, गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले को टीबी मुक्त बनाने के नाम पर अब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के माथे पर तनाव साफ दिखने लगा है। रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में सबसे अधिक टीबी रोगी 3865 लोनी में नोटिफाइड हुए हैं। टीबी को लेकर लोनी नया हॉट स्पॉट बन गया है।
इसके पीछे दिल्ली में जांच कराकर लोनी में दवा लेना भी एक मुख्य कारण है। इससे पहले खोड़ा और विजयनगर में सबसे अधिक टीबी रोगी मिल रहे थे। प्रतिदिन दो से पांच ऐसे रोगी ट्रेस किए जा रहे हैं, जो तीन महीने से टीबी की जांच कराने को लेकर असमंजस में रहते हैं और फिर जांच कराते हैं। ऐसे में कई लोगों को वह संक्रमित कर देते हैं। संक्रमण की यह चेन टीबी मुक्त भारत अभियान को पलीता लगा रही है।
चालू वित्त वर्ष में 18 हजार से अधिक टीबी रोगी नोटिफाइड किए गए हैं। संक्रमण से बचाव को पिछले तीन महीने से संक्रमित के परिवार के बच्चों के अलावा अन्य सदस्यों को टीबी प्रिवेंटिव थैरेपी (टीपीटी) के तहत तीन महीने में 12 डोज दी जा रही हैं। एक महीने में चार डोज दिया जाना जरूरी है। जिले में 39,385 लोगों को टीपीटी के तहत दवा दी जा रही है।
जिले में कहां कितने टीबी के रोगी हुए नोटिफाइड
केंद्र का नाम कुल टीबी रोगी
डीसीएच लोनी 1974
सीएचसी लोनी 1055
पीएचसी मंडौला (लोनी) 562
पीएचसी चिरौड़ी (लोनी) 274
पीएचसी पसौंडा 676
यूपीएचसी कनावनी 976
सीएचसी मोदीनगर 933
डीटीसी गाजियाबाद 2398
डीसीएच संजयनगर 2133
सीएचसी बम्हैटा 1203
हेल्थ पोस्ट विजयनगर 1277
ईएसआइसी साहिबाबाद 1419
यूपीएचसी साहिबाबाद 1123
यूपीएचसी खोड़ा कॉलेानी 1068
सीएचसी डासना 684
सीएचसी मुरादनगर 436
पीएचसी भोजपुर 583
पीएचसी फरीदनगर 225
त्वचा की जांच के बाद टीबी का पता चलेगा
जिले में जल्द ही सीवाइ-टीबी, टीबी संक्रमण (टीबीआइ) का पता लगाने के लिए अगली पीढ़ी का त्वचा परीक्षण है। सीवाई-टीबी में दो विशिष्ट प्रतिजन होते हैं, प्रारंभिक स्रावी प्रतिजन छह (एएसटीए-6) और कोशिका निस्पंदन प्रोटीन 10 (सीएफपी-10) जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस काम्प्लेक्स (एमटीसी) द्वारा स्रावित होते हैं। जिले में जल्द ही सीवाइ-टीबी जांच की सुविधा शुरू होने वाली है। जिला क्षय रोग अधिकारी डा. अनिल यादव के अनुसार लखनऊ से इस जांच के लिए वायल मंगवाई गईं है। अगले पांच दिन में वायल मिलने की संभावना है। इसके साथ ही त्वचा जांच से भी टीबी का पता लगाया जा सकेगा।
टीबी के लक्षण
बुखार आना, तीन सप्ताह से अधिक समय तक चलने वाली नई या बदतर खांसी, बलगम आना, कभी-कभी बलगम मेंखून के साथ, सांस लेने में परेशानी व सीने में दर्द, ग्रंथियां गर्दन में गांठें, हड्डियों या पीठ में दर्द, जोड़ों में दर्द, वजन कम होना,थकान होना, रात को पसीने आना।
टीबी से बचाव एवं इलाज
बीसीजी का टीका टीबी के खिलाफ एक प्रमुख बचाव है। बचाव को संक्रमित को खांसते या छींकते समय हमेशा अपना मुंह और नाक ढकना चाहिए। टीबी हाथ मिलाने, सार्वजनिक शौचालयों का उपयोग करने, भोजन और बर्तन साझा करने और आकस्मिक संपर्क से नहीं फैलता है। टीबी के मरीज़ इलाज पूरा होने के बाद अपना सामान्य जीवन जीना जारी रख सकते हैं। जांच पाजिटिव आने पर नियमित दवाएं लेनी चाहिए। बीच में दवा नहीं छोड़नी चाहिए।
जिले में टीबी उपचार को मेडिकल संसाधन
256 कुल टीबी सेंटर पर जांच को सैंपल लिए जाते हैं और दवाएं दी जाती हैं।
24 घंटे जिला टीबी अस्पताल में गंभीर मरीज भर्ती होते हैं।
18997 टीबी के मरीजों की संख्या इस साल नोटिफाइड हो गए, इनमें कुछ स्वस्थ भी हो गए।
टीबी संक्रमण रोकने को सामुदायिक सर्वे, जांच एवं उपचार का बेहतर इंतजाम किया जा रहा है। टीबी रोगियों को गोद लेकर उनकी निगरानी की जा रही है। नियमित दवा लेने को प्रेरित किया जा रहा है। निक्षय योजना का अनुदान एक हजार रुपये सीधे खातों में भेजा जा रहा है। पुष्टाहार पोटली भी वितरित की जा रही है। लोनी में अतिरिक्त शिविर लगाने की योजना है। टीबी रोकथाम को पहली बार संक्रमित सदस्य के पूरे परिवार को संक्रमण से बचाव के लिए दवाएं दी जा रही हैं। - डा. अखिलेश मोहन, सीएमओ
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