National Film Awards: अशोक मिश्रा की लिखी छठी फिल्म को मिलेगा सर्वश्रेष्ठ हिंदी फीचर फिल्म पुरस्कार
व्यंग्यपूर्ण कॉमेडी थ्रिलर फिल्म कटहल को सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार मिलेगा। अशोक मिश्रा द्वारा लिखित यह फिल्म सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता फैलाती है। फिल्म एक सच्ची घटना पर आधारित है जिसमें एक विधायक के बगीचे से कटहल चोरी हो जाते हैं। फिल्म में सान्या मल्होत्रा मुख्य भूमिका में हैं जो समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर करती हैं।

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। व्यवस्था, राजनीतिक एवं सामाजिक ताने बाने पर केंद्रित व्यंगात्मक कॉमेडी थ्रिलर फिल्म ''कटहल'' को सर्वश्रेष्ठ हिंदी फीचर फिल्म पुरस्कार से नवाजा जाएगा। यह फिल्म न केवल मनोरंजन का माध्यम है, बल्कि समाज में व्याप्त जटिल मुद्दों को समझाने और जागरूकता फैलाने का सशक्त प्रयास भी है।
फिल्म की कहानी के लेखक अशोक मिश्रा हैं। जिनके द्वारा लिखित छठी फिल्म को राष्ट्रीय अवॉर्ड मिलने जा रहा है। 13 मई 2023 को नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई फिल्म का निर्देशन यशोवर्धन मिश्रा ने किया।
इससे पहले अशोक मिश्रा की लिखी हुई पांच फिल्मों को राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है। अशोक मिश्रा को समर, नसीम के लेखन के लिए भी राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है। एक साल में लिखी गई इस फिल्म को बनाने में भी पूरा एक साल लगा।
क्या है फिल्म की कहानी?
यह कहानी एक सच्ची घटना से प्रेरित है, जिसमें एक विधायक के बगीचे से दो कटहल चोरी हो जाते हैं। इस घटना को आधार बनाकर फिल्म में हास्य, व्यंग्य और सामाजिक संदेश को मिलाकर एक अनूठी कहानी बुनी गई है।
फिल्म की मुख्य भूमिका में हैं लेडी इंस्पेक्टर महिमा (सान्या मल्होत्रा) , जो अनुसूचित वर्ग से हैं और महिला होने के नाते समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर करती हैं। कहानी में दिखाया गया है कि कैसे चोरी की इस घटना का तार समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार, राजनीति और सामाजिक असमानताओं से जुड़ता है।
सोमवार को गाजियाबाद के क्रासिंग रिपब्लिक पहुंचे फिल्म के लेखक अशोक मिश्रा ने दैनिक जागरण से बातचीत में बताया कि उनके बेटे यशोवर्धन मिश्रा ने विधायक के बगीचे से कटहल चोरी होने की घटना को कहीं पर पढ़ा था।
यशोवर्धन ने कहा कि इस पर फिल्म बनाई जा सकती है। इसके बाद अशोक मिश्रा ने इस घटना पर आधारित फिल्म की कहानी लिखी। कहानी में अनुसूचित वर्ग की समस्या, महिला सुरक्षा, भ्रष्टाचार और सामाजिक असमानताओं को बेहद ही संवेदनशीलता और कलात्मकता से दर्शाया गया है।
फिल्म की खास बात यह है कि इसमें हिंसा और गाली-गलौच से बचते हुए, हास्य और व्यंग्य के माध्यम से सामाजिक संदेश दिया गया है। जिसमें बुंदेलखंड की भाषा और संस्कृति का भी समावेश है। उन्होंने फिल्म की शूटिंग के दौरान का एक रोचक वाकया भी साझा किया।
उन्होंने बताया कि फिल्म की शूटिंग के दौरान एक खचाड़ा वैन ली गई थी। जिससे पुलिस चोर को ढूंढने के लिए निकलती है। शूटिंग के दौरान वैन खराब हो गई। जिसके बाद वहां से गुजर रहे एक ट्रैक्टर चालक से मदद लेकर वैन की खींचा गया और सीन शूट किया गया।
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