गाजियाबाद में देश की पहली ड्रोन परीक्षण प्रयोगशाला तैयार, 10 सितंबर से शुरू होंगे ड्रोन के परीक्षण
गाजियाबाद में देश की पहली सरकारी ड्रोन परीक्षण प्रयोगशाला शुरू हो चुकी है। 10 सितंबर से यहां ड्रोन का परीक्षण शुरू होगा जिसमें मानव जीवन और पर्यावरण पर होने वाले प्रभावों का आलन किया जाएगा। यह प्रयोगशाला राष्ट्रीय परीक्षण शाला (एनटीएच) परिसर में स्थापित की गई है। अब ड्रोन निर्माता कंपनियों को सरकारी स्तर पर परीक्षण कराने का विकल्प मिलेगा जिससे ड्रोन की सुरक्षा और विश्वसनीयता बढ़ेगी।

हसीन शाह, गाजियाबाद। जंग का मैदान हो गया या किसान का खेत ड्रोन का महत्व बढ़ता जा रहा है। निजी कंपनियां बड़े स्तर पर ड्रोन बनाकर बेच रही हैं। निजी कंपनियों द्वारा बनाए गए ड्रोन का परीक्षण कराने की सरकारी स्तर पर प्रयोगशाला नहीं थी।
ऐसे में गाजियाबाद की राष्ट्रीय परीक्षण शाला (एनटीएच) परिसर में ड्रोन परीक्षण प्रयोगशाला बनाई गई है। अधिकारियों का दावा है कि यह देश की पहली सरकारी ड्रोन परीक्षण प्रयोगशाला है। प्रयोगशाला में 10 सितंबर से ड्रोन के परीक्षण शुरू हो जाएंगे।
ड्रोन के मानव जीवन पर प्रभाव व पर्यावरण को नुकसान आदि का परीक्षण किया जाएगा। जो ड्रोन परीक्षण में असफल होंगे कंपनियां उन्हें बाजार में नहीं बेच सकेंगी। वर्तमान में ड्रोन का प्रयोग कृषि, वीडियो व फोटो कैमरा, आपदा, स्वास्थ्य, निर्माण, इंफ्रास्ट्रक्चर, भू-नक्शा व सर्वेक्षण, वन्यजीव एवं पर्यावरण संरक्षण आदि के लिए किया जा रहा है।
निजी कंपनी ड्रोन बनाने के बाद उसका परीक्षण कराती हैं। इनका परीक्षण भी निजी स्तर पर किया जाता है। ऐसे में उसकी विश्वसनीयता कम होती है। परीक्षण के बाद उनकी जिम्मेदारी भी तय नहीं होती है। सरकारी स्तर पर ड्रोन परीक्षण प्रयोगशाला नहीं थी।
गाजियाबाद के एनटीएच में पहली ड्रोन परीक्षण प्रयोगशाला बनाई गई है। कंपनियां ड्रोन का निर्माण कर इस प्रयोगशाला में परीक्षण कराएंगी। यहां विज्ञानी ड्रोन का परीक्षण करेंगे और कंपनी को ड्रोन को प्रयोग करने का प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा। इसके बाद ही कंपनी उस ड्रोन प्रयोग करने के लिए बेच सकेगी।
अधिकारियों का दावा है कि सरकारी प्रयोगशाला में परीक्षण होने के बाद बिकने वाले ड्रोन पर लोगों को अधिक भरोसा रहेगा। प्रयोगशाला में ड्रोन का परीक्षण करने के सभी उपकरण स्थापित कर दिए गए हैं। हालांकि यहां रक्षा क्षेत्र से जुड़े ड्रोन का परीक्षण नहीं होगा।
डीजीसीए (नागर विमानन महानिदेशालय), क्यूसीआइ (भारतीय गुणवत्ता परिषद), सीएस यूएएस (मानवरहित वायुयान प्रणाली प्रमाणन योजना) के मानकों के अनुसार ड्रोन का परीक्षण और प्रमाणन किया जाएगा। ड्रोन के संरचनात्मक मजबूती, पर्यावरणीय सहनशीलता, सामग्री की सुरक्षा, जंग प्रतिरोध, जलरोधक व धूलरोधक, बैट्री प्रदर्शन, अग्नि प्रतिरोध और झटका सहनशीलता आदि का परीक्षण होगा।
प्रयोगशाला की विशेषताएं
- निजी प्रयोगशालाओं की तुलना में केवल एक-तिहाई लागत पर परीक्षण होगा।
- सभी वजन यानी 250 से लेकर 500 किलोग्राम के ड्रोन का परीक्षण होगा
- सभी प्रकार फिक्स्ड-विंग, रोटरक्राफ्ट, और हाइब्रिड ड्रोन का परीक्षण होगा
- प्रमाणित एवं अधिकृत विज्ञानी द्वारा प्रमाणित परीक्षण।
प्रयोगशाला में ड्रोन का इस तरह होगा परीक्षण
- प्रयोगशाला में उपकरण - यह होगा परीक्षण
- धूल प्रवेश कक्ष – धूल से सुरक्षा परीक्षण।
- नमक स्प्रे कक्ष – जंग प्रतिरोध क्षमता परीक्षण।
- यूनिवर्सल टेस्टिंग मशीन – भार और तनाव पर मजबूती परीक्षण।
- वर्टिकल ड्राप इंपैक्ट मशीन – कठोर लैंडिंग व टक्कर परीक्षण।
- हार्डनेस टेस्टिंग मशीन – धातु की कठोरता परीक्षण।
- मैटेरियल आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (स्पेक्ट्रोमीटर) – सामग्री संरचना की पुष्टि।
- शोर हार्डनेस टेस्टर – रबर, प्लास्टिक की लचीलापन और मजबूती परीक्षण।
- कूलिंग चैंबर – अत्यधिक ठंड में प्रदर्शन परीक्षण।
- हाट एयर ओवन – उच्च तापमान सहनशीलता परीक्षण।
- चार्पी इंपैक्ट टेस्ट मशीन – अचानक झटकों का प्रतिरोध परीक्षण।
- शाक टेस्ट मशीन – उड़ान के दौरान कंपन व झटकों का अनुकरण।
- बैट्री टेस्ट सिस्टम – क्षमता, चार्जिंग और सुरक्षा परीक्षण।
- पर्यावरणीय परीक्षण कक्ष – विभिन्न तापमान व आर्द्रता चक्र परीक्षण।
- एनेकोइक कक्ष – इलेक्ट्रोमैग्नेटिक परीक्षण।
- अग्नि प्रतिरोध उपकरण – घटकों की अग्नि सुरक्षा जांच।
- इंटरग्रैन्युलर जंग परीक्षण सेटअप – धातुओं में आंतरिक जंग की पहचान।
- प्लास्टिक मैटेरियल आइडेंटिफिकेशन सिस्टम – प्लास्टिक के प्रकार व गुणवत्ता की जांच
- प्रोपेलर व थ्रस्ट टेस्ट स्टैंड – मोटर और प्रोपेलर की क्षमता माप
- वाटर आइपी इन्ग्रेस टेस्ट कक्ष – जलरोधक और वर्षा प्रतिरोध परीक्षण
इसलिए जरूरी है ड्रोन का परीक्षण
- ड्रोन की बैट्री से सूखे क्षेत्र में आग लग सकती है, इसकी जांच करना।
- ड्रोन उड़ान के दौरान गिर सकता है, इससे दुर्घटना हो सकती है।
- बैट्री खत्म होने पर उड़ान के बीच में खत्म कर ड्रोन खुद-ब-खुद सुरक्षित नीचे आ सकता है।
- मोटर, सेंसर, जीपीएस, कैमरा, बैट्री या साफ्टवेयर में कोई भी गड़बड़ी उड़ान के दौरान खतरा बन सकती है।
- ड्रोन की आवाज, कैमरा, सेंसर आदि इंसान और जानवरों पर क्या असर डालते हैं।
- परीक्षण में ड्रोन द्वारा प्रदूषण या गोपनीयता भंग करने का पता लगाया जाता है।
- मैनुअल या ऑटो-पायलट मोड में ड्रोन की प्रतिक्रिया का पता लगाना।
- ड्रोन बेस स्टेशन पर लौटने के जांच करना।
- आब्स्टैकल अवाइडेंस सेंसर से ड्रोन खुद-ब-खुद बाधाओं दूर करने का पता लगाना।
- ड्रोन और कंट्रोलर के बीच सिग्नल रेंज का पता लगाना।
- नो-फ्लाई जोन में उड़ान को ब्लाक करने की स्थिति का पता लगाना।
- ड्रोन को जानबूझकर गिराकर देखा जाता कि इंसान को चोट लगने की कितनी संभावना है।
राष्ट्रीय परीक्षण शाला परिसर में भारत का पहला सरकारी ड्रोन परीक्षण केंद्र बनकर तैयार हो गई है। हमारा मिशन है कि भारत में उड़ने वाला हर ड्रोन सुरक्षित, भरोसेमंद और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी हो। यह सुविधा भारत को ड्रोन तकनीक में अग्रणी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यहां एक ही स्थान पर संपूर्ण ड्रोन परीक्षण और प्रमाणन की सुविधा है।।
डॉ. आलोक कुमार श्रीवास्तव, महानिदेशक, राष्ट्रीय परीक्षण शाला (एनटीएच)
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