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    गाजियाबाद के 13 गांव में में प्रदूषण रोकने पर काम, हरनंदी नदी को दूषित होने से बचाएंगे इस तकनीक से लगे पौधे

    Updated: Wed, 21 May 2025 04:05 PM (IST)

    गाजियाबाद में हरनंदी नदी को प्रदूषित होने से बचाने के लिए फाइटो रेमेडिएशन तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इस तकनीक में विशेष पौधे पानी से हानिकारक तत्वों को सोख लेते हैं जिससे प्रदूषण कम होता है। यह योजना जिले के 13 गांवों में लागू की जाएगी। नदी में कचरा रोकने के लिए फिल्टर चैंबर भी बनेंगे। ग्राम पंचायत के बजट से यह कार्य किया जाएगा।

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    हरनंदी नदी का फाइटो रेमेडिएशन से होगी प्रदूषण मुक्ति। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। हरनंदी नदी को दूषित होने से बचाने के लिए अब फाइटो रेमेडिएशन तकनीक की मदद ली जाएगी। इस तकनीक के माध्यम से कुछ विशेष पौधों को इस तरह से लगाया जाता है कि वह पानी के संपर्क में रहें। यह पौधे नदी में अमोनिया, पोटेशियम को ऑब्जर्व करने का कार्य करते हैं, इससे नदी के पानी में प्रदूषण कम होगा।

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    इस तकनीक के माध्यम से जिले के 13 गांवों में कार्य किया जाएगा। नदी में सिल्ट जाने से रोकने को सिल्ट कैचर और कचरा रोकने को फिल्टर चैंबर भी बनाए जाएंगे।

    मंडलायुक्त मेरठ ने हरनंदी नदी को स्वच्छ बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत मुरादनगर ब्लॉक के सुराना, सुठारी, भदौली, कुन्हैड़ा, रेवड़ी रेवड़ा, खोराजपुर, मतौर, नेकपुर साबितनगर गांव से लोनी ब्लॉक के असालतनगर फर्रूखनगर, भनैड़ा खुर्द।

    सिरोरा सलेमपुर, मुर्तजा भूपखेड़ी और रजापुर ब्लॉक के मकरेड़ा महमूदाबाद गांव के पास से गुजरती है। इन गांवों से दूषित पानी हरनंदी नदी में बहाया जाता है। जिला पंचायत राज अधिकारी प्रदीप द्विवेदी ने बताया कि हरनंदी नदी को दूषित होने से रोकने के लिए 13 गांवों में ग्राम पंचायत के बजट से कार्य किया जाएगा।

    सभी ग्राम प्रधानों के साथ ही बैठक कर जल्द ही उनको कार्ययोजना के बारे में विस्तार से बताया जाएगा। पोंडमैन रामवीर तंवर ने बताया कि फाइटो रेमेडिएशन तकनीक के तहत लगे पौधों को मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है, इनको इस तरह से लगाया जाता है कि वे पानी के संपर्क में रहकर उसको शोधित करने का कार्य करें।