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    गाजियाबाद में किसानों के लिए खुशखबरी, 'नेचुरल सर्टिफिकेशन' से इन्हें मिलेगा बड़ा फायदा

    Updated: Wed, 03 Sep 2025 08:43 PM (IST)

    गाजियाबाद के किसानों के लिए खुशखबरी! राष्ट्रीय जैविक एवं प्राकृतिक खेती केंद्र ने प्राकृतिक प्रमाणन प्रणाली शुरू की है। किसान पंजीकरण के छह महीने बाद प्रमाण पत्र पा सकेंगे जिससे वे अपनी उपज को प्राकृतिक टैग के साथ बेच सकेंगे। एक मोबाइल ऐप और पोर्टल भी बनाया जा रहा है। राष्ट्रीय सहकारी जैविक लिमिटेड किसानों से उत्पाद खरीदेगा। छोटे किसानों को भी इससे लाभ होगा।

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    गाजियाबाद के किसानों के लिए खुशखबरी! फाइल फोटो

    शाहनवाज अली, गाजियाबाद। प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के लिए अच्छी खबर है। मिशन प्राकृतिक खेती के तहत, राष्ट्रीय जैविक एवं प्राकृतिक खेती केंद्र (एनसीओएनएफ) ने किसानों को सशक्त बनाने के लिए प्राकृतिक प्रमाणन प्रणाली शुरू की है।

    इसके मानक तय कर दिए गए हैं। ऐसे किसान अब पंजीकरण के छह महीने बाद प्राकृतिक प्रमाणन प्राप्त कर सकेंगे। एनसीओएनएफ उन किसानों को तुरंत प्रमाण पत्र जारी करेगा जो पहले से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। इससे किसान प्राकृतिक टैग के साथ अपनी उपज बाजार में बेच सकेंगे।

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    एनसीओएनएफ ने रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए मिशन प्राकृतिक खेती शुरू की है। इसी क्रम में प्राकृतिक प्रमाणन प्रणाली तैयार की गई, जिसके तहत किसानों को प्राकृतिक खेती करने के लिए पंजीकरण के छह महीने के भीतर प्रमाण पत्र दिए जाएंगे।

    इसके लिए एक विशेष मोबाइल ऐप और पोर्टल भी तैयार किया जा रहा है, जो खरीफ सीजन के अंत तक उपलब्ध होगा। इससे किसान प्राकृतिक टैग के साथ अपनी उपज बेच सकेंगे। राष्ट्रीय सहकारी जैविक लिमिटेड (एनसीओएल) किसानों से प्राकृतिक उत्पाद खरीदेगा और गुणवत्ता की जाँच करेगा। जैसे ब्रांड दूध बेचते हैं, वैसे ही किसान अपने उत्पाद सीधे बाजार में बेच सकेंगे, जो छोटे किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगा।

    • प्राकृतिक खेती का प्रमाण पत्र: किसानों को यह प्रमाण पत्र तभी मिलेगा जब वे प्राकृतिक खेती के तरीकों का पालन करेंगे। इसमें फसल उगाना, प्रसंस्करण करना या उत्पाद को बाज़ार में लाना शामिल है।
    • पैकिंग और ट्रेसेबिलिटी: प्राकृतिक उत्पादों को ट्रेसेबिलिटी विवरण के साथ पैक और बेचा जाएगा।
    • लोगो के साथ बिक्री: उत्पाद पीजीएस इंडिया नेचुरल लोगो के साथ बाज़ार में उपलब्ध होंगे।
    • बहुफसली प्रणाली: एक साथ एक से अधिक फसलें बोने, मिट्टी की नमी बचाने और कीटनाशकों के प्रभाव को रोकने की तकनीकों को बढ़ावा दिया जाएगा।
    • मिट्टी और नमी में सुधार: प्राकृतिक खेती से मिट्टी की संरचना मजबूत होगी, नमी बनी रहेगी और फसल विविधता बढ़ेगी।

    छोटे किसानों को भी प्राकृतिक खेती प्रमाणन का लाभ मिलेगा। इससे, ब्रांडेड दूध की तरह, किसान अपने पशुओं का दूध भी पीजीएस इंडिया नेचुरल लोगो के साथ बाज़ार में बेच सकेंगे। जो लोग पहले से ही प्राकृतिक खेती कर रहे हैं, उन्हें उत्पाद की गुणवत्ता जाँच के तुरंत बाद प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा।

    - डॉ. गगनेश शर्मा, निदेशक, राष्ट्रीय जैविक एवं प्राकृतिक कृषि केंद्र

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