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    राम मंदिर का प्रसाद भेजने के नाम पर 3.85 करोड़ की ठगी, 6 लाख से ज्यादा लोगों को बनाया शिकार; गाजियाबाद से जुड़ा कनेक्शन

    Updated: Tue, 10 Jun 2025 09:22 AM (IST)

    राम मंदिर का प्रसाद भेजने के नाम पर करोड़ों की ठगी का मामला सामने आया है जिसमें सोसायटी के कई लोग भी शिकार हुए। अयोध्या पुलिस की जांच में पता चला कि आरोपी आशीष के परिवार का गाजियाबाद में फ्लैट है लेकिन उसे कभी किसी ने नहीं देखा। लोगों ने प्रसाद बुक कराया था पर मिला नहीं जिससे छोटे स्तर पर हुई ठगी का पता नहीं चला।

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    इंदिरापुरम की विंडसर पार्क सोसायटी। फोटो सौजन्य- जागरण

    जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। प्रतिष्ठान महोत्सव का प्रसाद ऑनलाइन भेजने के नाम पर छह लाख से अधिक लोगों से करोड़ की ठगी करने वाले आरोपित इंदिरापुरम की विंडसर पार्क सोसायटी का रहने वाला था।

    सोसायटी के कई लोग ठगी का शिकार हुए। लोगों ने ऑनलाइन प्रसाद बुक कराया था, लेकिन आज तक भी उन्हें प्रसाद नहीं मिला। सोसायटी में जब अयोध्या पुलिस पहुंची तब इस ठगी के पूरे प्रकरण का पता चला।

    विंडसर पार्क सोसायटी के आशीष पर मुकदमा

    विंडसर पार्क सोसायटी के लोगों ने बताया कि आशीष के माता पिता का यहां पर फ्लैट है। पिता का निधन हो गया था। मां अकेले रहती थीं। पिछने करीब छह माह से वह अमेरिका में रह रही हैं। बेटा आशीष और एक बेटी हैं। उनके भी अमेरिका में ही होने की जानकारी लोगों को है। आज तक किसी ने आशीष को देखा नहीं है।

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    उनका फ्लैट तीन कमरों का है। जिसमें दो कमरे बंद हैं और एक को किराये पर दिया हुआ है। पिछले सप्ताह ही उनकी मां ने बिजली बिल रिचार्ज करने के लिए ऑनलाइन 50 हजार रुपये को सोसायटी के खाते में ट्रांसफर किया था।

    आशीष ने वेबसाइट बनाकर किया फ्रॉड

    मई माह में अयोध्या पुलिस सोसायटी में आई तो पता चला कि आशीष ने वेबसाइट बनाकर प्रसाद भेजने के नाम पर तीन करोड़ 85 लाख 55 हजार रुपये की ठगी की थी। उसके बारे में पुलिस ने जानकारी की, लेकिन सोसायटी से कोई अहम सुराग नहीं लग सके।

    बातचीत में स्थानीय लोगों ने बताया कि कुछ लोगों ने प्रसाद के लिए बुकिंग की थी, लेकिन प्रसाद अभी तक प्राप्त नहीं हुआ। राशि छोटी थी तो किसी का ध्यान ज्यादा नहीं गया। पुलिस के आने पर पता चला कि 50 से 100 रुपये श्रद्धालुओं से लेकर इतनी बड़ी ठगी को अंजाम दिया गया है।हालांकि इस संबंध में कही कोई शिकायत लोगों ने नहीं की है।

    मां हैं मिलनसार

    सोसायटी के लोगों ने बताया कि 2007 में यह सोसायटी बनी थी। करीब 15 साल पहले ही आशीष का परिवार फ्लैट खरीदकर यहां रहने के लिए आया था। माता-पिता बहुत ही मिलनसार थे। आसपास के लोगों से बातचीत भी होती थी, लेेकिन आशीष को किसी ने नहीं देखा था।