UP: 24 घंटे बाद FIR, 27 घंटे बाद कराया मेडिकल; पुलिस से उम्मीद टूटी तो दुष्कर्म पीड़िता ने छोड़ दी दुनिया
गाजियाबाद के लोनी में एक सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता ने अवसाद में आकर आत्महत्या कर ली। परिजनों ने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया है उनका कहना है कि शिकायत के बावजूद पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने और मेडिकल कराने में देरी की। परिजनों ने दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। घटना के बाद इलाके में तनाव का माहौल है।

जागरण संवाददाता, साहिबाबाद (गाजियाबाद)। प्रदेश में महिला सुरक्षा के मुद्दे पर दोबारा सत्ता में आई योगी सरकार की पुलिस का एक अमानवीय चेहरा लोनी में सामने आया है। लोनी थाना क्षेत्र में एक सामूहिक दुष्कर्म की पीड़िता ने अवसाद में आकर पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली।
युवती का शव गुरुवार की सुबह घर में कमरे में पंखे से लटका मिला। परिजन ने पुलिस पर समय से कार्रवाई न करने का आरोप लगाया है। परिजनों का कहना है कि शिकायत के बावजूद पुलिस ने 24 घंटे के बाद एफआइआर दर्ज की और 27 घंटे बाद मेडिकल कराया।
वहीं, दो दिन में न तो पुलिस ने पीड़िता के 161 के बयान कराए और न ही मजिस्ट्रेट के समक्ष 164 के बयान कराए। पुलिस की इस कार्यप्रणाली से परिजन में रोष व्याप्त है और वह दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
लोनी थाना क्षेत्र में रहने वाली एक युवती दिव्यांग थी। वह न तो ठीक से बोल सकती थी और न ही सुन सकती थी। इसके साथ ही वह मानसिक रूप से भी कमजोर थी और उसका उपचार दिल्ली के एक अस्पताल में चल रहा था।
परिजनों के मुताबिक, 18 अगस्त की देर शाम करीब सात वह टहलने के लिए घर से निकली थी। काफी देर तक वह वापस नहीं आई तो परिजनों ने उसकी तलाश की। रात करीब 10 बजे वह निठौरा के गांव में मिली। बेटी बदहवास हालत में थी और बेटी ने अपने साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म के बारे में बताया।
इसके बाद पीड़ित पिता बेटी को लेकर कस्बा चौकी पहुंचे और पुलिस से शिकायत की। आरोप है कि पुलिस ने उन्हें वहां से वापस भेज दिया और सुबह आने के लिए कहा। सुबह पीड़ित थाने पहुंचे तो पुलिस पीड़िता को लेकर घटनास्थल पर पहुंची। निठौरा के एक ट्यूबवेल के पास से पुलिस ने पीड़िता की चेन व हेयरबैंड बरामद किया।
इसके बाद पुलिस ने रात में करीब साढ़े नौ बजे अज्ञात आरोपियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की और देर रात मेडिकल कराया। घटना के बाद से पीड़िता अवसाद में आ गई। बुधवार रात करीब नौ बजे खाना खाने के बाद पीड़िता अपने मकान के पहली मंजिल पर बने कमरे में जाकर सो गई।
वहीं, देर रात पीड़िता ने कमरे में लगे पंखे से चुन्नी का फंदा बनाकर आत्महत्या कर ली। तड़के करीब चार बजे युवती का भाई उठा और लाइट जलती हुई देखकर उसे बंद करने के लिए दरवाजा खोलने का प्रयास किया लेकिन दरवाजा नहीं खुला। इस पर वह वापस जाकर सो गया। सुबह होने पर दोबारा लाइट जली हुई देखकर जब दरवाजा खटखटाया तो भीतर से जवाब नहीं मिला।
इसके बाद भाई ने खिड़की से झांका तो शव लटका देखकर शोर मचाया और दरवाजा तोड़ा। इसके बाद पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने जांच की और शव को पोेस्टमार्टम के लिए भेजा। मौके से पुलिस को कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ।
मेडिकल और एफआइआर के बीच में उलझी रही पीड़िता
स्वजन का कहना है कि जब वह घटना की रात सोमवार को पीड़िता को लेकर कस्बा चौकी पहुंचे तो चौकी प्रभारी ने कार्रवाई नहीं की और सुबह आने के लिए कहा। अगले दिन मंगलवार सुबह थाने पहुंचे तो यहां एसएसआइ ने घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद मेडिकल के लिए लोनी के 50 शैय्या अस्पताल भेजा। यहां से पीड़िता को जिला एमएमजी भेज दिया गया। एमएमजी में चिकित्सकों ने एफआइआर के बिना मेडिकल करने से मना कर दिया।
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इसके बाद परिजन पीड़िता को लेकर दोबारा लोनी थाने पहुंचे और रात को करीब साढ़े नौ बजे एफआइआर दर्ज की गई। इसके बाद देर रात एमएमजी अस्पताल में मेडिकल कराया गया। इस बीच पीड़िता लगातार दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर हुई।
नहीं कराये गए पीड़िता के 161 व 164 के बयान
घटना को दो दिन बितने के बाद भी पुलिस ने पीड़ित युवती के 161 व 164 के बयान नहीं कराये। दरअसल जब किसी महिला के साथ कोई अपराध होता है तो पहले पुलिस उसके धारा 161 के तहत वीडियो बयान रिकार्ड करती है और इसके बाद कोर्ट में मजिस्ट्रेट के समक्ष 164 के बयान होते हैं। पुलिस ने दो दिन में भी पीड़िता के 161 के बयान दर्ज नहीं किए। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि बृहस्पतिवार को पीड़िता के बयान दर्ज किए जाने थे।
परिजनों ने बसपा कार्यकर्ताओं के साथ किया हंगामा
घटना के बाद से पीड़ित स्वजन में पुलिस के खिलाफ रोष व्याप्त है। बृहस्पतिवार की सुबह स्वजन लोगों के साथ चौकी पर पहुंचे और पुलिस पर कार्रवाई में देरी का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया। इसके बाद पीड़ित के घर बसपा कार्यकर्ता पहुंचे और उन्होंने लापरवाह पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। परिजनों का आरोप है कि यदि पुलिस ने समय रहते हुए कार्रवाई कर दी होती तो आरोपित भी समय से पकड़े जाते और उनकी बेटी आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठाती।
इलाके में रहा तनााव, तैनात किया गया भारी पुलिसबल
घटना के बाद इलाके में तनाव का माहौल रहा। एडिशनल सीपी आलोक प्रियदर्शी ने मौके पर जाकर घटना की जानकारी ली। अधिकारियों ने पीड़ित के घर के आसपास भारी संख्या में पुलिसबल की तैनाती की। वहीं पीड़ित के घर लोगों का आना जाना लगा रहा।
पीड़ित स्वजन द्वारा पुलिस पर लगाए गए आराेपों की जानकारी नहीं है। यदि एफआइआर दर्ज करने में देरी की गई, तो इसकी जांच कराई जाएगी। पुलिसकर्मियों की लापरवाही उजागर होती है तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। - सुरेंद्र नाथ तिवारी, डीसीपी ग्रामीण

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