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    गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर आपराधिक घटनाओं में आएगी कमी, अपराध को कम करने के लिए GRP ने उठाया बड़ा कदम

    Updated: Sun, 14 Sep 2025 06:32 PM (IST)

    दिल्ली से सटे गाजियाबाद रेलवे स्टेशन सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यहां से प्रतिदिन हजारों यात्री यात्रा करते हैं लेकिन चोरी और झपटमारी की घटनाएं असुरक्षा पैदा करती हैं। जीआरपी इन घटनाओं को कम करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है महिला एस्कॉर्ट की तैनाती की जाएगी। जीआरपी सीमा विवाद में नहीं उलझती और घायलों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहती है।

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    दिल्ली से सटे गाजियाबाद रेलवे स्टेशन सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। दिल्ली से सटे गाजियाबाद रेलवे स्टेशन को सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। इस स्टेशन से प्रतिदिन 200 से अधिक ट्रेनें गुजरती हैं। जबकि 50 हजार से अधिक यात्री प्रतिदिन स्टेशन पहुंचते हैं।

    इस स्टेशन का निर्माण ब्रिटिश हुकूमत के दौरान हुआ था। ट्रेनों में चोरी, छिनैती और छेड़छाड़ की घटनाएं यात्रियों में असुरक्षा की भावना पैदा करती हैं। गाजियाबाद जीआरपी थाने में विभिन्न मामलों में हर माह एक दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज होते हैं। ट्रेनों में अभी तक महिला एस्कॉर्ट की तैनाती नहीं है।

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    गाजियाबाद क्षेत्र में यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सीओ सुदेश गुप्ता की टीम पर है। सुदेश गुप्ता की गिनती तेज तर्रार पुलिस अधिकारियों में होती है। उन्हें 11 साल तक एटीएस में रहकर आतंकियों की जड़ें खत्म करने का अनुभव है।

    वर्ष 2004 में वह देशभर में सुर्खियों में तब आए थे, जब उन्होंने नोएडा में दो पाकिस्तानी आतंकियों को मार गिराया था। रेलवे की सुरक्षा को लेकर दैनिक जागरण संवाददाता हसीन शाह ने सीओ सुदेश गुप्ता से बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के मुख्य अंश...

    प्रश्न: मेरा पहला प्रश्न यह है कि चोरी और झपटमारी की इतनी ज़्यादा घटनाएँ क्यों हो रही हैं? इन घटनाओं को कम करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?

    उत्तर: पहले की तुलना में चोरी और झपटमारी की घटनाओं में कमी आई है। हम लगातार बदमाशों को गिरफ्तार कर रहे हैं। हमने मुखबिर तंत्र को मज़बूत किया है। कोई भी अपराधी जीआरपी की गिरफ़्त से बच नहीं सकता।

    सबसे बड़ी बात यह है कि हम न सिर्फ़ बदमाशों को गिरफ्तार करके जेल भेजते हैं, बल्कि उन्हें सज़ा मिलने तक अदालत में पुख़्ता सबूत और गवाह भी पेश करते हैं। हाल ही में जीआरपी द्वारा गिरफ्तार किए गए बदमाशों को अदालत ने सज़ा सुनाई है।

    प्रश्न: ट्रेनों में सिर्फ़ पुरुष एस्कॉर्ट ही नजर आते हैं। महिला एस्कॉर्ट क्यों नहीं हैं?

    उत्तर: आप बिल्कुल सही कह रहे हैं। अभी महिला एस्कॉर्ट तैनात नहीं की गई हैं। कुछ दिनों बाद त्योहारों का मौसम शुरू हो जाएगा। ऐसे में महिलाओं की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती होगी। हमारे पास महिला पुलिसकर्मियों की कमी है। आने वाले त्योहारों के दौरान महिला पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ाई जाएगी। इसके बाद, ट्रेनों में महिला एस्कॉर्ट्स तैनात की जाएँगी।

    प्रश्न: जीआरपी रिपोर्ट दर्ज करने के लिए सीमा विवाद में क्यों उलझती है?

    उत्तर: गाजियाबाद जीआरपी कभी भी सीमा विवाद में नहीं उलझती। हम किसी भी जगह की घटना के लिए गाजियाबाद थानों में मुकदमा दर्ज करते हैं। सच तो यह है कि गाजियाबाद में दर्ज ज़्यादातर मामले दूसरे थाना क्षेत्रों के होते हैं।

    मुकदमा दर्ज करने के बाद, हम उसे संबंधित थाने में स्थानांतरित कर देते हैं। कई बार चलती ट्रेन में यात्री को यह पता ही नहीं होता कि उसके साथ घटना किस थाना क्षेत्र में हुई है।

    प्रश्न: ट्रेन के धीमे होने पर आउटर पर मोबाइल स्नैचिंग की घटनाएँ होती हैं। ऐसे अपराध कम क्यों नहीं हो रहे हैं?

    उत्तर: यह कहना बिल्कुल गलत है कि आउटर पर स्नैचिंग होती है। पहले होती थी, लेकिन अब बिल्कुल नहीं होती। जीआरपी के जवान आउटर पर गश्त करते हैं। स्नैचिंग करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाती है। जीआरपी के जवान रात में भी गश्त करते हैं।

    प्रश्न: ट्रेन की चपेट में आकर घायल हुए यात्रियों के इलाज में देरी क्यों होती है और शवों के अनादर के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं?

    उत्तर: घायल यात्री को अस्पताल पहुँचाना आरपीएफ की ज़िम्मेदारी है, लेकिन जीआरपी 24 घंटे घायलों की मदद के लिए तत्पर रहती है। मृत्यु होने पर कार्रवाई करना जीआरपी की ज़िम्मेदारी है। जीआरपी शव का अनादर कभी नहीं होने देती। डॉक्टर द्वारा मृत घोषित करने के बाद, जीआरपी तुरंत शव का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेज देती है।

    प्रश्न: प्लेटफॉर्म पर जीआरपी का महिला हेल्प डेस्क खाली क्यों रहता है?

    उत्तर: मैंने पहले भी बताया था कि जीआरपी में महिला पुलिसकर्मियों की कमी है। महिला हेल्प डेस्क पर महिला पुलिसकर्मी तैनात हैं, लेकिन कभी-कभी महिला पुलिसकर्मियों के अन्य स्थानों पर तैनात होने के कारण हेल्प डेस्क खाली रह जाता है। इस दौरान महिला शिकायतकर्ताओं की मदद के लिए अन्य पुलिसकर्मियों को तैनात किया जाता है।