गाजियाबाद में प्रॉपर्टी के बढ़े दाम, फिर भी खूब बिके घर; ये लोग हो रहे मालामाल
गाजियाबाद में प्रॉपर्टी के दामों में वृद्धि हो रही है पर सरकार को उचित राजस्व नहीं मिल रहा। इसकी वजह है अलाटमेंट ट्रांसफर के नियमों का अभाव जिससे बिल्डर और निवेशक लाभ कमा रहे हैं। सरकार को राजस्व केवल रजिस्ट्री के समय मिलता है। नियम बनने से सरकार को आय होगी और विकास कार्य कराए जा सकेंगे साथ ही फ्लैट की कीमतों में स्थिरता आएगी।
अभिषेक सिंह, गाजियाबाद। गाजियाबाद शहर में एक तरफ प्रॉपर्टी के दाम आसमान छू रहे हैं तो दूसरी तरफ सरकार को उचित राजस्व नहीं मिल पा रहा है। इसकी वजह है कि प्रॉपर्टी का अलाटमेंट ट्रांसफर करने को लेकर नियम न बनना है। इसका फायदा उठाकर एक फ्लैट को रजिस्ट्री से पहले दो से तीन बार तक अलाटमेंट ट्रांसफर के जरिए बेचा जाता है।
इसकी एवज में बिल्डर को लाखों रुपये की आय होती है। यदि अलाटमेंट ट्रांसफर को लेकर नियम बने और शुल्क निर्धारित हो तो इससे सरकार को राजस्व में इजाफा मिलेगा, इस राजस्व से विकास कार्य कराकर लोगों को सुविधाएं मुहैया कराई जा सकती हैं।
दरअसल, जब बिल्डर किसी प्रोजेक्ट की प्री - लॉन्चिंग करता है तो कई इन्वेस्टर ऐसे प्राेजेक्ट में पांच से दस फ्लैट की बुकिंग कर लेते हैं। बिल्डर द्वारा फ्लैट की कुल कीमत की दस प्रतिशत धनराशि लेकर इन्वेस्टर को अलाटमेंट लेटर जारी किया जाता है।
इसके बाद जब प्राेजेक्ट में निर्माण कार्य शुरू होता है और बिल्डिंग आकार लेने लगती है तो रेट बढ़ा दिए जाते हैं। ऐसे में जब नया खरीदार आता है तो उसको उसको इन्वेस्टर अपना फ्लैट बेचते हैं, इस स्थिति में अलाटमेंट ट्रांसफर के लिए बिल्डर द्वारा भी धनराशि ली जाती है।
सरकार को इससे कोई राजस्व नहीं मिलता है। प्राेजेक्ट जब पूरा हाे जाता है तब तक अधिकांश फ्लैट की बुकिंग हो चुकी होती है, इस वक्त जब कोई इन्वेस्टर अपना फ्लैट बेचता है तो उसको और अधिक दाम मिलते हैं। बिल्डर द्वारा अलाटमेंट ट्रांसफर किया जाता है, इसकी एवज में धनराशि ली जाती है।
सरकार को राजस्व जब फ्लैट की रजिस्ट्री की जाती है, उस वक्त ही मिलता है जबकि इन्वेस्टर और बिल्डर अलाटमेंट ट्रांसफर कर लाखों रुपये की आय कर लेते हैं। खासतौर पर ऐसा उन स्थानों पर बनने वाले प्राेजेक्ट में होता है, जहां पर फ्लैट की काफी डिमांड रहती है।
प्रोजेक्ट की प्री लांचिंग से लेकर रजिस्ट्री करने के वक्त के बीच एक फ्लैट की कीमत में 20 लाख से एक करोड़ रुपये तक की कीमत का इजाफा हो जाता है। यदि सरकार की ओर से अलाटमेंट ट्रांसफर को लेकर नियम बनाया जाए और उस पर शुल्क का निर्धारण किया जाए तो प्रॉपर्टी की बुकिंग करने के बाद उसे बेचने वालों का रिकार्ड तैयार होगा, सरकार को इससे आय भी होगी। इस आय से विकास कार्य कराए जाए सकेंगे।
मानचित्र स्वीकृत कराने के बाद प्रोजेक्ट की प्री-लॉन्चिंग
बिल्डर को प्रोजेक्ट बनाने के लिए गाजियाबाद विकास प्राधिकरण से मानचित्र स्वीकृत कराना पड़ता है। मानचित्र स्वीकृत कराने के बाद ही प्रोजेक्ट की प्री-लांचिंग कर दी जाती है।
इसके बाद फ्लैटों की बिक्री शुरू की जाती है, रजिस्ट्री का कार्य खरीदार को पजेशन देने के वक्त किया जाता है। जिले में सालाना होने वाले बैनामों में लगभग 35 प्रतिशत बैनामें फ्लैटों के होते हैं।
सरकारी रिकॉर्ड के दायरे में आने पर इनको मिलेगी राहत
अलाटमेंट ट्रांसफर को लेकर सरकार की ओर से नियम बनने के बाद फ्लैटों की बुकिंग कराने वाले लोग सरकारी रिकार्ड के दायरे में आएंगे। ऐसे में बुकिंग कराकर फ्लैट की बिक्री करने वालों संख्या में कमी आएगी।
इससे प्राेजेक्ट में बिक्री के लिए फ्लैट की उपलब्धता अधिक होगी, इस स्थिति में फ्लैट की कीमत में वर्तमान की तरह तेज रफ्तार से वृद्धि नहीं होगी, ऐसे में आशियाना बनाने की चाह रखने वालों की जेब पर अधिक भार नहीं पड़ेगा।
वित्तीय वर्ष - राजस्व का लक्ष्य - राजस्व की प्राप्ति
2019 - 20 - 1,674 - 1,260
2020 -21 - 2,030 - 1,245
2021 - 22 - 2,233 - 1,631
2022 - 23 - 2,583 - 2,258
2023 - 24 - 3,007 - 2,551
2024 -25 - 3,104 - 2,856
नोट - धनराशि करोड़ रुपये में है।
वर्तमान में फ्लैट का अलॉटमेंट ट्रांसफर को लेकर सरकार की ओर से नियम नहीं बनाया गया है। ऐसे में रजिस्ट्री के वक्त ही सरकार को राजस्व मिलता
है। पुष्पेंद्र कुमार, एआईजी स्टांप
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