500 मीटर की दूरी, डेढ़ घंटे की देरी: प्लेटफॉर्म पर घंटों पड़ा रहा शव, डॉक्टर और जीआरपी में आरोप-प्रत्यारोप
गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर एक संवेदनहीन घटना सामने आई। एक अज्ञात युवक का शव ढाई घंटे तक प्लेटफॉर्म पर पड़ा रहा जबकि यात्री आते-जाते रहे। जीआरपी डॉक्टर के आने का इंतजार करती रही जिसके बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। देरी को लेकर जीआरपी और डॉक्टर के बीच आरोप-प्रत्यारोप चल रहा है। अधिकारियों ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है।

हसीन शाह, गाजियाबाद। रेलवे का सिस्टम संवेदनहीन हो चुका है। आरपीएफ स्टेशन से 20 कदम की दूरी पर एक युवक का शव ढाई घंटे तक प्लेटफार्म नंबर तीन पर पड़ा रहा। प्लेटफार्म से यात्री गुजरते रहे। जीआरपी मौके पर मौजूद रही। पुलिस को इंतजार था कि डाॅक्टर मौके पर आ जाए और युवक को मृत घोषित करें। जीआरपी का आरोप है कि डाॅक्टर मौके पर डेढ़ घंटे की देरी से आए जबकि डाॅक्टर का कहना है कि वह सूचना मिलने के 10 मिनट के अंदर ही मौके पर पहुंच गए। उन्हें सूचना देरी से प्राप्त हुई थी। डाॅक्टर द्वारा युवक को मृत घोषित करने के बाद जीआरपी ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। शव की पहचान नहीं हो सकी है।
लगभग डेढ़ बजे डाॅक्टर मौके पर पहुंचे
आरपीएफ को 11.50 बजे बेसुध व्यक्ति के पड़े होने की सूचना मिली थी। आरपीएफ ने मौके पर पहुंचकर देखा प्रतीत हुए कि युवक की मौत हो चुकी है। आरपीएफ ने इसकी सूचना 11:55 बजे स्टेशनमास्टर को दी। स्टेशन मास्टर ने कहा कि उन्होंने तुरंत ही रेलवे के स्वास्थ्य केंद्र को प्लेटफार्म पर शव पड़े होने की सूचना दी थी। स्वास्थ्य केंद्र को सूचना देने के बाद स्टेशनमास्टर ने दोपहर 12:10 बजे मेमो भर दिया। लगभग डेढ़ बजे डाॅक्टर मौके पर पहुंचे।
शव सरेआम प्लेटफार्म पर पड़ा रहा
इसके बाद डॉक्टर ने युवक की जांच की। डाॅक्टर ने दोपहर 1:50 बजे कागजों में युवक को मृत घोषित कर दिया। जीआरपी ने शव को बाॅडी बैग में दोपहर 2:20 बजे पैक किया और दोपहर 2:30 बजे शव काे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। इस तरह सुबह 11:50 बजे से दोपहर 2:20 बजे तक शव सरेआम प्लेटफार्म पर पड़ा रहा।
शव पर नहीं मिला कोई निशान
प्लेटफार्म से यात्री अपने बच्चों के साथ गुजरते रहे जबकि कुछ यात्री वहां से बचकर निकले। हालांकि, पुलिस वहां से लोगों को हटाती रही। मौके पर पहुंचे डाॅक्टर आदित्य ने कहा कि उनके पास दोपहर 1:24 बजे काॅल आई थी। वह 10 मिनट के भीतर ही मौके पर पहुंच गए थे।
जीआरपी का कहना है कि रेलवे के स्वास्थ्य केंद्र से प्लेटफार्म की दूरी लगभग 500 मीटर है। डाॅक्टर को आने में डेढ़ घंटे का समय लग गया। इस तरह प्लेटफार्म पर संवेदनाएं तार-तार होती रहीं और अधिकारी एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते रहे। देखने में युवक 20 से 25 वर्ष का लग रहा था।
युवक के मौत के कारणों की पुष्टि नहीं हो सकी। युवक के शरीर पर चोट का निशान नहीं था।
टाइमलाइन
- 11:50 बजे शव मिलने की आरपीएफ को मिली सूचना
- 11:55 बजे आरपीएफ ने स्टेशनमास्टर को सूचना दी
- 12:10 स्वास्थ्य केंद्र को सूचना देने के बाद मेमो भरा गया
- 01 :30 बजे डाक्टर जांच करने मौके पर पहुंचे
- 01:50 बजे कागजों में युवक को मृत घोषित किया गया
- 02:20 बजे जीआरपी ने शव को पैक किया
- 02:30 बजे शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया
इन सवालों से बचते रहे अधिकारी
- अगर डाॅक्टर आने में देरी हो रही थी तो युवक को अस्पताल क्यों नहीं ले जाया गया?
- जब तक डाॅक्टर नहीं आया तब तक शव को धूप में बैंच पर लिटाकर क्यों रखा गया?
बताया, क्यों हुई डॉक्टर को आने में देरी
"डाॅक्टर डेढ़ घंटे की देरी से मौके पर पहुंचे थे। जब तक युवक को मृत घोषित नहीं किया जाता तब तक पुलिस शव को पोस्टमार्टम के लिए नहीं भेज सकती थी। इस वजह से शव को ले जाने में देरी हुई। शव की पहचान का प्रयास किया जा रहा है।"
-सुदेश गुप्ता, सीओ, जीआरपी गाजियाबाद।
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