गाजियाबाद के 72 स्कूलों के छात्रों की छात्रवृत्ति खतरे में, विभाग ने जारी की चेतावनी
गाजियाबाद के 72 स्कूलों की लापरवाही से कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों की छात्रवृत्ति खतरे में है क्योंकि स्कूलों ने विभाग को डेटा नहीं भेजा। विभाग ने चेतावनी दी है कि छात्रवृत्ति से वंचित रहने पर स्कूल जिम्मेदार होंगे और कार्रवाई की जाएगी। समय पर डेटा भेजने के सख्त निर्देश दिए गए थे और ऐसा न करने पर जिले की रैंकिंग प्रभावित हो सकती है।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। जिले के 72 स्कूलों की लापरवाही के चलते कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति खतरे में पड़ गई है। स्कूलों ने अपने लॉगिन से विभाग को विद्यार्थियों का डाटा फॉरवर्ड नहीं किया। ऐसे में विभाग ने सख्त लहजे में चेतावनी दी है कि यदि विद्यार्थी छात्रवृत्ति से वंचित रहे तो इसके लिए स्कूल स्वयं जिम्मेदार होंगे।
बाद में यदि विद्यार्थी इसकी शिकायत करते हैं तो स्कूलों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी। वहीं, यदि विद्यार्थी छात्रवृत्ति से वंचित रहे तो सीएम डैशबोर्ड पर जिले की रैंकिंग खराब हो सकती है।
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की ओर से कक्षा 9 से पीजी तक के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति दी जाती है। विभाग ने छात्रवृत्ति के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे थे। विद्यार्थियों ने छात्रवृत्ति के लिए आवेदन कर दिया है। इस संबंध में विभाग की ओर से आवेदनों की ऑनलाइन समीक्षा की गई।
इसमें पाया गया कि विद्यार्थियों ने छात्रवृत्ति के लिए आवेदन अंतिम रूप से जमा कर दिया है। इसके बाद स्कूल अपने लॉगिन से विद्यार्थियों का डाटा विभाग को नहीं भेज रहे हैं। जबकि शासन द्वारा सख्त आदेश दिए गए हैं कि 30 अगस्त तक आवेदन करने वाले विद्यार्थियों को 2 अक्टूबर तक छात्रवृत्ति प्रदान कर दी जाए।
विद्यालयों की लापरवाही के कारण विद्यार्थी प्रथम चरण में दी जाने वाली छात्रवृत्ति से वंचित रह सकते हैं। अगले माह सीएम डैशबोर्ड पर जिले की रैंकिंग खराब रहेगी। जबकि विभाग ने पूर्व में स्पष्ट निर्देश दिए थे कि शिक्षण संस्थान अंतिम आवेदन करने वाले विद्यार्थियों की हार्ड कॉपी प्राप्त कर विभाग को प्रेषित करें।
यदि विद्यार्थी पात्र नहीं पाया जाता है तो उसका आवेदन निरस्त कर दिया जाए। यदि संस्थान की आईडी पर विद्यार्थियों का डाटा लंबित है तो इसकी जिम्मेदारी शिक्षण संस्थानों की होगी।
शिक्षण संस्थानों की लापरवाही के कारण विद्यार्थी छात्रवृत्ति से वंचित रह सकते हैं। ऐसे में संस्थानों को निर्देश दिए गए हैं कि वे विद्यार्थियों की हार्ड कॉपी प्राप्त कर नियमानुसार उनका डाटा प्रेषित करें। इस संबंध में किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं होनी चाहिए।
- साहित्य निक्ष सिंह, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी।
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