गाजियाबाद में रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी को डिजिटल अरेस्ट कर 90 लाख ठगे; खुद को ऐसे साइबर फ्राॅड से इस तरह बचाएं
गाजियाबाद में एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी को साइबर अपराधियों ने डिजिटल अरेस्ट के नाम पर 90 लाख रुपये की ठगी की। पीड़ित को वीडियो कॉल पर गिरफ्तारी का डर दिखाया गया और उनके बैंक खातों से पैसे ट्रांसफर कराए गए। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है और लोगों को साइबर अपराध से बचने के लिए जागरूक किया जा रहा है।

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद: सेवानिवृत सरकारी कर्मचारी को मनी लाॅन्ड्रिंग के आरोप में साइबर अपराधियों ने डिजिटल अरेस्ट कर 90 लाख रुपये ठग लिए।
पीड़ित को उनकी पत्नी के साथ वाट्सएप वीडियो काॅल कर गिरफ्तारी का भय दिखाया। ठगों की धमकी से इतने भयभीत हो गए कि बैंक जाकर बताए गए बैंक खातों में धनराशि ट्रांसफर कर दी।
इस दौरान उनकी पत्नी को वीडियो काॅल पर डिजिटल अरेस्ट रखा गया। 90 लाख रुपये ट्रांसफर करने के बाद उन्हें लगा कि साइबर ठगी का शिकार हो गए हैं, तब पुलिस से शिकायत की।
सूर्यनगर निवासी 74 वर्षीय बुजुर्ग के पास चार जुलाई को एक कॉल आया, जिसमें काॅलर ने बताया कि वह भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (टीआरएआई) से बोल रहा है।
मुंबई के कोलाबा थाने की पुलिस बताकर की ठगी
अगले दो घंटे में उनका नंबर बंद कर दिया जाएगा क्योंकि उनके खिलाफ मुंबई के कोलाबा पुलिस थाने में मोबाइल से अश्लील सामग्री भेजने और अन्य आपराधिक गतिविधियों का केस दर्ज है।
जब उन्होंने ऐसा कुछ भी करने से मना किया तो उनकी काॅल काेलाबा थाने में कनेक्ट करना बताया गया। इसके बाद फर्जी पुलिस अधिकारी ने उन्हें मनी लाॅन्ड्रिंग का आरोपित बताया।
उन्होंने विरोध किया तो उनके पास एक वीडियो काॅल आई। जिसमें एक युवक पुलिस की वर्दी में बैठा था। उसने कहा कि आप डिजिटल अरेस्ट हैं क्योंकि आपके खाते में मनी लाॅन्ड्रिंग के आरोपित नरेश गोयल से लेनदेन पाया गया है।
इसलिए दो घंटे में वह कोलाबा पुलिस थाने जांच के लिए आ जाएं अन्यथा उन्हें घर आकर पुलिस गिरफ्तार कर लेगी। इसके बाद पुलिस अधिकारी बने ठग ने कहा कि उनकी मुख्य न्यायाधीश के सामने वीडियो काॅल पर पेशी होगी।
पत्नी को भी वीडियो कॉल पर रोककर रखा गया
पांच जुलाई की सुबह करीब पौने 10 बजे पीड़ित के मोबाइल पर फिर वीडियो काॅल आई। वीडियो में उन्हें एक ठग जज बना बैठा था।
उसने पीड़ित से पूछा कि वह नरेश गोयल को कैसे जानते हैं? पीड़ित ने मना किया तो उसने बुजुर्ग का फर्जी गिरफ्तारी आदेश दिखा दिया। इसी दौरान उनकी पत्नी को भी वीडियो काॅल कर घर में ही रहने की धमकी दी गई।
बुजुर्ग को कहा गया कि उनके खाते में जमा धनराशि की जांच करनी होगी इसलिए उनके खाते की सारी रकम बताए गए खाते में ट्रांसफर कर दें। जांच के बाद धनराशि वापस कर दी जाएगी।
दो बैंक खातों से चार बार में रकम ट्रांसफर की
इससे घबराए बुजुर्ग बैंक पहुंचे जबकि उनकी पत्नी को जज बताने वाले युवक ने डिजिटल अरेस्ट रखा। पीड़ित ने बैंक पहुंचकर पहले अपने डीसीबी बैंक खाते से 40.10 लाख रुपये, एसबीआई खाते से 31.10 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए।
इसके बाद छह जुलाई को ठगों ने फिर उनके पास फोन किया, लेकिन रविवार होने की वजह से उन्होंने बैंक की साप्ताहिक बंदी का हवाला दिया।
सात जुलाई को बुजुर्ग को फिर फोन कर रुपये ट्रासंफर करने के लिए दबाव बनाया गया। उन्होंने अपने एसबीआई खाते से 13.85 लाख रुपये और आईसीआईसीआई बैंक खाते से पांच लाख रुपये बताए गए खाते में ट्रांसफर कर दिए।
इसके बाद उन्हें कहा गया कि जांच पूरी होने पर उनसे संपर्क किया जाएगा। जब तीन दिन तक उनके पास कोई फोन नहीं आया और जिन नंबरों से फोन आए थे वे बंद मिले, तब बुजुर्ग को साइबर ठगी का अहसास हुआ। परेशान होकर उन्होंने साइबर क्राइम थाने में शिकायत देकर केस दर्ज कराया है।
55 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को ज्यादा निशाना बना रहे ठग
साइबर ठग इंश्योरेंस और शेयर ट्रेडिंग के नाम पर 55 साल से अधिक आयु के लोगों को सर्वाधिक शिकार बना रहे हैँ। इस वर्ष ही एक जनवरी से 30 जून तक साइबर क्राइम थाने में दर्ज हुए 135 मुकदमो में 80 पीड़ित इसी आयु वर्ग के हैं।
जबकि अन्य पीड़ित अलग-अलग आयु वर्ग के हैं। इस साल 32 करोड़ रुपये की रकम साइबर ठगी में लोग गवां चुके हैं जिनमें से पुलिस ने 11 करोड़ रुपये रिफंड कराए हैं।
- 135 मामले इस वर्ष में साइबर अपराध के दर्ज किए गए
- 26 आरोपितों को पुलिस ने गिरफ्तार किया
- 11 करोड़ रुपये पीड़ितों को रिफंड कराए गए
- 35 मामलों में पुलिस अब तक चार्जशीट दाखिल कर चुकी है
- नोट-सभी आंकड़े साइबर क्राइम थाने के इस वर्ष एक जनवरी से 30 जून के हैं
इस तरह बरतें सावधानी
- केवल सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) से मान्यता प्राप्त ब्रोकर या प्लेटफार्म के माध्यम से ही निवेश करें।
- फर्जी एप, वेबसाइट या इंटरनेट मीडिया अकाउंट पर कभी भी पैसा न लगाएं।
- अनजान नंबरों से आए लिंक पर क्लिक न करें
- दोगुने रिटर्न के झांसे में न आएं, इससे आर्थिक नुकसान हो सकता है
- ओटीपी, पासवर्ड, बैंक डिटेल या आधार नंबर किसी को न बताएं
- अपने इंटरनेट मीडिया, ईमेल और बैंक खातों पर दो-स्तरीय सुरक्षा सुविधा सक्रिय करें
इस नंबर पर करें कॉल
साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर काल करें या www.cybercrime.gov.in पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करें।
पीड़ित की शिकायत पर केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। जिन खातों में रुपये ट्रांसफर किए गए हैं उनकी जांच कराई जा रही है। खाते फ्रीज कराकर आरोपितों को शीघ्र गिरफ्तार किया जाएगा।
- पीयूष कुमार सिंह, एडीसीपी क्राइम

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