भविष्य में युद्ध के ड्रोन से लड़े जाएंगे, सुरक्षा एजेंसियां हो रही दक्ष; ऑपरेशन सिंदूर की केस स्टडी दिखाई गई
गाजियाबाद में सुरक्षा एजेंसियों को ड्रोन से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। सेंट्रल डिटेक्टिव ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट में पैरा मिलिट्री फोर्स एनएसजी और पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया। ऑपरेशन सिंदूर में ड्रोन के इस्तेमाल की केस स्टडी दिखाई गई। ड्रोन के बढ़ते उपयोग को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियां हाईटेक तैयारी कर रही हैं। नागरिकों को भी ड्रोन से बचने के लिए जागरूक किया जाएगा।

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। अब युद्ध का स्वरूप बदल गया है। भविष्य में युद्ध के दौरान ड्रोन का बड़े स्तर पर इस्तेमाल होगा। ऐसे में भारत की प्रत्येक सुरक्षा एजेंसी को ड्रोन के हर पहलू की जानकारी होनी जरूरी है।
इसी को ध्यान में रखकर पहली बार गाजियाबाद के सेंट्रल डिटेक्टिव ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट में पैरा मिलिट्री फोर्स, एनएसजी (राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड) और पुलिस अधिकारियों को मानवरहित हवाई वाहन (यूएवी) यानी ड्रोन का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के दौरान आपरेशन सिंदूर में ड्रोन के इस्तेमाल की केस स्टडी के रूप में अवगत कराया गया।
प्रशिक्षण के दौरान कहा गया कि आपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के ताबड़तोड़ ड्रोन हमलों को भारतीय सुरक्षा बलों ने नाकाम कर दिया। ड्रोन के संबंध में भारत की सुरक्षा एजेंसियां पहले से ही दक्ष हो रही हैं। आपरेशन सिंदूर के बाद ड्राेन के संबंध अब प्रत्येक एजेंसी को जमीनी स्तर पर दक्ष करने की जरूरत है।
तमाम सुरक्षा एजेंसियां भविष्य के ड्रोन हमलों से निपटने के लिए हाइटेक तैयारियां कर रही हैं। आने वाले समय में भारतीय नागरिकों को भी ड्रोन से बचने के लिए जागरूक करने की जरूरत पड़ेगी। प्रशिक्षण के दौरान काउंटर टेररिज्म और काउंटर इंसर्जेंसी का भी प्रशिक्षण दिया गया।
अधिकारियों को बताया कि कृषि, सामाजिक, रक्षा, सैन्य, समुद्री आदि क्षेत्र में ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है। ड्रोन को विभिन्न सेंसर के साथ तैनात किया जा रहा है। ड्रोन को मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एल्गोरिदम के साथ एकीकृत किया गया है। जिसमें आन-बोर्ड प्रोसेसिंग क्षमताएं हैं।
ड्रोन प्राकृतिक विशेषता का सटीक मानचित्रण करने, टोही और सीमा निगरानी करने में सक्षम हैं। इस दौरान यूएवी के बुनियादी डिजाइन पहलुओं, प्रदर्शन विशेषताओं और केस स्टडी के साथ यूएवी के विविध इंजीनियरिंग अनुप्रयोगों पर पुलों, विरासत संरचनाओं, दूरस्थ जल निकायों, पर्यावरण निगरानी, 3डी मैपिंग आदि पर चर्चा की गई।
बीएसएफ में जैसलमेर में भारत पाक सीमा पर डिप्टी कमांडेंट के पद पर तैनात रहे प्रमोद कुमार जोशी ने कार्यक्रम में ड्रोन क्या है और कैसे काम करता है? ड्रोन की जरूरत, ड्रोन के प्रकार और युद्ध के दौरान इसका इस्तेमाल और भविष्य में ड्रोन वार फेयर का इस्तेमाल शामिल आदि के बारे में बताया गया। यूएवी (क्वाडकाप्टर) का लाइव फ्लाइंग डेमो दिखाया गया।
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