बदलते खानपान से बढ़ रहे अल्जाइमर के रोगी, गाजियाबाद में हर महीने अस्पताल पहुंच रहे 20-30 नए मरीज
World Alzheimers Day गाजियाबाद में बदलती जीवनशैली के कारण अल्जाइमर के मरीज़ बढ़ रहे हैं। मनोचिकित्सक रोगियों को समय और दिन की याद दिलाने की सलाह देते हैं। जागरूकता बढ़ने के बावजूद लोग सरकारी अस्पतालों से ज़्यादा निजी अस्पतालों में जाते हैं। विश्व अल्जाइमर दिवस हर साल 21 सितंबर को मनाया जाता है। अल्जाइमर रोग में तंत्रिका कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं।

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। बदलती जीवन शैली और खानपान से अल्जाइमर के रोगी बढ़ रहे हैं। एनसीडी विंग में संचालित मानसिक ओपीडी की रिपोर्ट के अनुसार हर महीने 20 से 30 अल्ज़ाइमर के नए मरीज पहुंच रहे हैं।
मनोचिकित्सक डा. साकेत नाथ तिवारी का कहना है कि अल्ज़ाइमर रोगी को स्वजन एवं उनके आसपास रहने वाले लोगों को यह बार-बार याद दिलाना चाहिए कि आज रविवार है। 21सितंबर है। अब सुबह हुई है और अब रात हो गई है।
अल्ज़ाइमर को नियंत्रित करने की यहीं सबसे बड़ी दवा एवं काउंसलिंग है। डा. साकेत का कहना है कि अल्ज़ाइमर के रोगी अधिकांश वृद्धाश्रम और घनी आबादी वाले क्षेत्रों में रहने वाले बुजर्ग होते हैं। वर्तमान दौर में पॉश कॉलोनियों और ग्रुप हाउसिंग सोसायटियों में भी रोगी मिल रहे हैं।
समाज में इस रोग को लेकर जागरूकता होने के बाद भी लोग सरकारी अस्पतालों में कम प्राइवेट में अधिक जाते हैं। सरकारी स्तर पर टेलीकंसलटेंसी भी 24 घंटे दी जाती है। ऐसे रोगियों के व्यवहार में बदलाव पर नजर रखने और इसके लिए परामर्श देना जरूरी है।
जिले में एक हजार से अधिक मरीजों का इलाज चल रहा है। ऐसे रोगियों की निगरानी के लिए स्वजन को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। कई बार रात में भूलने की आदत वाले मरीज छत से गिर सकते हैं।
हर साल मनाया जाता है दिवस
विश्व अल्जाइमर दिवस हर साल 21 सितंबर को मनाया जाता है।अल्ज़ाइमर रोग और अन्य मनोभ्रंश के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इससे जुड़े कलंक को चुनौती देने का एक वैश्विक प्रयास है।अल्जाइमर रोग एक प्रकार का मनोभ्रंश है जो आपकी सोच, व्यवहार और रोजमर्रा के कार्य करने की क्षमता को प्रभावित करता है।
तंत्रिका कोशिकाओं का विनाश और मृत्यु ही स्मृति-भंग, व्यक्तित्व में परिवर्तन, दैनिक गतिविधियों में समस्या और अल्जाइमर रोग के अन्य लक्षणों का कारण बनती है।अल्जाइमर की बीमारी एक प्रकार की डिमेंशिया है, जो याददाश्त, सोच, निर्णय और सीखने की क्षमता सहित मानसिक कार्यकलाप में धीमी, उत्तरोतर गिरावट है।
अल्जाइमर की बीमारी पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कहीं ज़्यादा प्रभावित करती है, पर आंशिक रूप से, क्योंकि महिलाएं ज़्यादा समय तक जीवित रहती हैं।स्वस्थ मस्तिष्क और अल्जाइमर रोग से ग्रस्त मस्तिष्क की कोशिकाओं, जिन्हें न्यूरॉन्स भी कहते हैं, का काम बाधित होता है और कई घटनाएं शुरू हो जाती हैं।
न्यूरॉन्स क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और एक-दूसरे से संपर्क खो देते हैं। अंततः वे मर जाते हैं। अल्ज़ाइमर के अंतिम चरण में, व्यक्ति संवाद करने और सबसे बुनियादी कार्य करने की क्षमता भी खो देता है। बिस्तर पर पड़े रहते हैं और उन्हें निगलने में कठिनाई होने लगती है, जिससे संक्रमण के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं।
मनोदशा और व्यक्तित्व में परिवर्तन होने लगता है। ऐसे व्यक्ति मनोदशा और व्यक्तित्व में बदलाव का अनुभव कर सकते हैं। भ्रमित, शंकालु, उदास, भयभीत या चिंतित हो सकते हैं। घर पर, दोस्तों के साथ या अपने आरामदायक क्षेत्र से बाहर होने पर आसानी से परेशान हो सकते हैं।
जांच जरूरी
अल्जाइमर रोग के लिए एफडीए द्वारा अनुमोदित रक्त परीक्षण जरूरी है। ल्यूमिपल्स परीक्षण में डाक्टर के क्लिनिक में लिए गए रक्त के नमूने का उपयोग किया जाता है। यह परीक्षण कुछ प्रोटीनों को मापता है, जिनमें टाउ प्रोटीन का एक विशिष्ट रूप भी शामिल है, जो मस्तिष्क में एमिलॉइड प्लेक की उपस्थिति का संकेत देता है।
खानपान
आहार में सब्ज़ियां, विशेष रूप से हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, अन्य फलों की तुलना में जामुन, साबुत अनाज, फलियां, मेवे, मछली की एक या अधिक साप्ताहिक सर्विं और जैतून का तेल शामिल है। यह लाल मांस, मिठाई, पनीर, मक्खन/मार्जरीन, और फास्ट/तले हुए भोजन की मात्रा को भी सीमित करता है।
काम की बात
अल्ज़ाइमर का कोई इलाज नहीं है, लेकिन उपचार लक्षणों को नियंत्रित कर सकते हैं और स्थिति की प्रगति को धीमा कर सकते हैं। जितनी जल्दी हो सके इलाज शुरू करना मस्तिष्क को जीवन भर स्वस्थ बनाए रखने का सबसे अच्छा तरीका है। लेकिन वर्तमान में ऐसा कोई इलाज उपलब्ध नहीं है जो अल्ज़ाइमर रोग को रोक सके या उलट सके।
इसमें भ्रमित, बेचैन, चिंतित और आक्रामक महसूस करना शामिल हो सकता है। इस मानसिक स्थिति में रात में भटकना खतरनाक हो सकता है। ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया नामक एक श्वसन संबंधी स्थिति भी अल्ज़ाइमर रोग से ग्रस्त लोगों में अधिक आम है।
ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के कारण नींद के दौरान कई बार सांस रुकती और शुरू होती है।अल्ज़ाइमर रोग के निदान के बाद जीवन प्रत्याशा चार से 20 वर्ष तक हो सकती है। लक्षण स्पष्ट होने के बाद एक मरीज औसतन आठ साल तक जीवित रहता है।
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