टेरर फंडिंग के डिजिटल लिंक तोड़ने के लिए विभाग की नई पहल, 12 राज्यों के पुलिसकर्मियों को मिलेगी ट्रेनिंग
गाजियाबाद में वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों के माध्यम से आतंकी फंडिंग को रोकने के लिए पुलिस को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने के लिए सीडीटीआई में एक विशेष प्रशिक्षण पाठ्यक्रम शुरू किया गया है। गृह मंत्रालय द्वारा आयोजित इस पाठ्यक्रम में सुरक्षा एजेंसियों को क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से होने वाली फंडिंग के नए तरीकों के बारे में जानकारी दी जा रही है जिससे साइबर अपराध से निपटा जा सके।

विनीत कुमार, गाजियाबाद। वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों के जरिए आतंकी नेटवर्क द्वारा फंडिंग की बढ़ती चुनौती से निपटने के लिए पुलिस बल को तकनीकी रूप से सशक्त बनाया जा रहा है। कमला नेहरू नगर स्थित केंद्रीय खुफिया प्रशिक्षण संस्थान (सीडीटीआई) में पुलिसकर्मियों के लिए एक विशेष प्रशिक्षण पाठ्यक्रम शुरू किया गया है।
सोमवार से शुक्रवार तक चलने वाले पांच दिवसीय पाठ्यक्रम में देश भर के 12 राज्यों के 48 पुलिस अधिकारी भाग ले रहे हैं। इनमें इंस्पेक्टर, सब-इंस्पेक्टर, डीएसपी स्तर के अधिकारी और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के दो अधिकारी शामिल हैं।
गृह मंत्रालय के भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) द्वारा आयोजित इस प्रशिक्षण का उद्देश्य सुरक्षा एजेंसियों को यह समझाना है कि कैसे आतंकवादी संगठनों ने क्रिप्टोकरेंसी, वॉलेट और अन्य वर्चुअल डिजिटल माध्यमों से फंडिंग के नए तरीके ईजाद किए हैं।
अधिकारियों को इन लेनदेन के तकनीकी विश्लेषण, डिजिटल साक्ष्य एकत्र करने और जांच के दौरान उनकी कानूनी वैधता बनाए रखने की विस्तृत जानकारी दी जा रही है। प्रशिक्षण में उत्तर प्रदेश, बंगाल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, गोवा, केरल, असम, छत्तीसगढ़, लद्दाख, हरियाणा, गुजरात और एनआईए के अधिकारी शामिल हैं।
सीडीटीआई में जांच एजेंसियों के लिए कई पाठ्यक्रम
देश भर में तेज़ी से बढ़ते साइबर अपराध और डिजिटल फंडिंग से जुड़ी चुनौतियों को देखते हुए, ग़ाज़ियाबाद के कमला नेहरू नगर स्थित केंद्रीय खुफिया प्रशिक्षण संस्थान (सीडीटीआई) एक प्रमुख केंद्र बनता जा रहा है। यहां पहले भी डिजिटल फोरेंसिक और साइबर अपराध से संबंधित पाठ्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं।
अब वर्चुअल डिजिटल एसेट्स जैसे विशेष विषयों पर केंद्रित प्रशिक्षण आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में पुलिस बल को नई धार देगा।
प्रशिक्षण में सिखाए जा रहे बिंदु
- वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (क्रिप्टोकरेंसी, टोकन, वॉलेट) की कार्यप्रणाली
- आतंकवादी फंडिंग में उनके उपयोग के पैटर्न
- डिजिटल लेनदेन का पता लगाने की तकनीकें
- डिजिटल साक्ष्यों का सुरक्षित संग्रह और प्रस्तुति
- ऑनलाइन धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग की पहचान
पाठ्यक्रम में इस बारे में जानकारी दी जा रही है कि जाँच एजेंसियों को डिजिटल एसेट्स और आतंकी फंडिंग से जुड़े अपराधों की जाँच कैसे करनी चाहिए। इसी तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम नवंबर और दिसंबर में भी आयोजित किए जाएँगे। आगामी चरणों में, आईपीएस अधिकारियों को भी इस पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।
-सचिन गुप्ता, निदेशक, सीडीटीआई
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