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    गाजियाबाद में एक बेड पर तीन-तीन मरीज, ओपीडी से इमरजेंसी तक में घूमते हैं आवारा कुत्ते

    Updated: Wed, 17 Sep 2025 06:58 AM (IST)

    गाजियाबाद के सरकारी अस्पतालों में मरीजों की सुरक्षा खतरे में है। एक बेड पर दो-तीन मरीजों को भर्ती किया जा रहा है जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है। ओपीडी में आवारा कुत्ते घूमते हैं और समय पर जांच नहीं हो पाती। जिला महिला अस्पताल से डेड बॉडी भी रेफर की जा रही है। विश्व रोगी सुरक्षा दिवस 2025 का उद्देश्य नवजात शिशुओं के लिए सुरक्षित देखभाल सुनिश्चित करना है।

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    एक बेड पर तीन-तीन मरीज, ओपीडी से इमरजेंसी तक में घूमते हैं आवारा कुत्ते।

    जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। बेशक सरकारी अस्पतालों में केंद्र सरकार के मानकों के अनुसार मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने को पर्याप्त बजट एवं मेडिकल सुविधाएं दी जा रही हैं लेकिन स्वास्थ्यकर्मी मरीजों की सुरक्षा का कम ही ध्यान रखते हैं। जिला स्तरीय अस्पतालों के साथ सीएचसी और पीएचसी पर भी एक बेड पर दो और तीन तीन मरीजों को भर्ती किया जाना मरीजों की सेहत के साथ खिलवाड ही है।

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    ऐसे में संक्रमण फैलने की संभावना रहती है। मरीज के जल्द ठीक होने के आसार भी नहीं रहते हैं। ओपीडी से इमरजेंसी तक में आवारा कुत्ते घूमते हैं। समय पर जांच,दवा और सही परामर्श न मिलने पर भी मरीजों की सुरक्षा का चक्र टूट रहा है। यह स्थिति तब है जबकि जिले को हर वर्ष सौ करोड़ से अधिक का बजट विभिन्न मदों में शासन स्तर से मिल रहा है।

    इलाज तो दूर मरने और जिंदा होने का पता लगाने को जिला महिला अस्पताल से डेड बाडी तक को जिला एमएमजी अस्पताल को रेफर किया जाना मरीजों की सुरक्षा से परे हटकर किये जाने वाले काम ही है। इस प्रकरण की जांच शुरू तक नहीं हुई है।धक्कामुक्की के संग कराहते मरीज काउंटर पर ओपीडी की पर्ची बनवाते हैं।आए दिन कतार में खड़े मरीज जमीन पर गिरते रहते हैं।जिला एमएमजी अस्पताल में मरीज को इलाज की जगह सुरक्षाकर्मियों द्वारा पीटने की जांच अधूरी है।

    विश्व रोगी सुरक्षा दिवस 2025 का विषय प्रत्येक नवजात शिशु और प्रत्येक बच्चे के लिए सुरक्षित देखभाल है। इस वर्ष का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर ज़ोर देना है कि नवजात शिशुओं और बच्चों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं न केवल सुलभ हों, बल्कि सुरक्षित भी हों।

    रोगी सुरक्षा की जरूरत

    रोगी सुरक्षा एक वैश्विक स्वास्थ्य प्राथमिकता है क्योंकि असुरक्षित स्वास्थ्य सेवा प्रथाओं से गंभीर चोट, लंबे समय तक अस्पताल में रहना, स्वास्थ्य सेवा की बढ़ी हुई लागत और यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है, जिनमें से कई को रोका जा सकता है। हर साल, दुनिया भर में लाखों रोगी चिकित्सा त्रुटियों, संक्रमणों, दवा संबंधी दुर्घटनाओं और गलत निदान के कारण नुकसान उठाते हैं।

    रोगी सुरक्षा के लिए जरूरी

    रोके जा सकने वाले नुकसान को कम करके स्वास्थ्य देखभाल परिणामों में सुधार करना ही रोगी सुरक्षा है।मरीजों और प्रदाताओं के बीच विश्वास का निर्माण करना।परिवारों और स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों पर आर्थिक बोझ को कम करना।

    रोगी सुरक्षा के सात चरण

    सुरक्षा संस्कृति का निर्माण,अग्रणी और सहायक कर्मचारी, जोखिम प्रबंधन को एकीकृत करना, घटनाओं की रिपोर्टिंग और उनसे सीखने को बढ़ावा देना,मरीजों को शामिल करना और उनके साथ संवाद करना,साक्ष्य-आधारित प्रथाओं का उपयोग करना,सुरक्षा में निरंतर सुधार करना।