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    बातें स्मार्ट क्लास की, दरी बिछाकर बैठते हैं बच्चे; गाजियाबाद के 15 परिषदीय विद्यालयों में नहीं है फर्नीचर

    गाजियाबाद के कई सरकारी स्कूलों में फर्नीचर की कमी के चलते बच्चे दरी पर बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं। डिजिटल इंडिया के दौर में यह स्थिति चिंताजनक है। फर्श पर बैठने से बच्चों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। स्कूलों में फर्नीचर की कमी को दूर करने के लिए विभाग द्वारा सर्वे किया जा रहा है ताकि जल्द ही स्कूलों को फर्नीचर उपलब्ध कराया जा सके।

    By Deepa Sharma Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Sun, 24 Aug 2025 08:30 AM (IST)
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    प्राथमिक विद्यालय लालकुआं की कक्षा में टाटपट्टी बिछाकर बैठे विद्यार्थी। जागरण

    दीपा शर्मा, गाजियाबाद। आज जब हम 21वीं सदी में डिजिटल इंडिया, स्मार्ट क्लासरूम और रोबोटिक एजुकेशन की बातें कर रहे हैं। जिले के परिषदीय विद्यालयों में स्मार्ट कक्षाएं, आधुनिक इंफ्रास्क्ट्रचर और अन्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए हर साल करोड़ों खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन आज भी जिले के कुछ सरकारी स्कूलों में बच्चों के बैठने के लिए फर्नीचर तक नहीं है।

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    बच्चे कक्षाओं में नीचे बैठकर पढ़ाई करते हैं। सर्दी, गर्मी व बरसात सभी मौसम बच्चों को स्कूल में नीचे बैठकर ही काटने होते हैं। जबकी सर्दी में बच्चों को ठंडे फर्श पर बैठने में काफी तकलीफ होती है और बरसात के मौसम में नीचे सीलन में छोटे-छोटे कीड़े मकोड़े काटने एवं मच्छरों काटने की भी समस्या झेलनी पड़ती है। ऐसे में बच्चों को बीमारियों का भी सामना करना पड़ता है।

    शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है प्रभाव

    आज के समय में बच्चों के लिए नीचे बैठकर पढ़ना उनके शारीरिक ही नहीं मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। जिला एमएमजी अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डा. आलोक रंजन का कहना है कि बच्चे जमीन पर बिना डेस्क के बैठकर पढ़ाई करते हैं तो उनको कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं।

    लगातार झुककर बैठने से पोश्चर बिगड़ता है। जिससे रीढ़ की हड्डी पर दबाव पड़ता है और आगे चलकर उन्हें स्लिप डिस्क, स्कोलियोसिस या कमर दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

    इसके अलावा आंखों पर भी जोर पड़ता है और नजर कमजोर हो सकती है। लंबे समय तक एक ही स्थिति में नीचे बैठने से घुटनों एवं पैरों में दर्द हो सकता है। ब्लड सर्कुलेशन धीमा होता है जिससे सुन्नता की समस्या होती है। नीचे बैठने से बच्चों को फंगल इंफेक्शन, एलर्जी की भी समस्या हो सकती है।

    केस-1 :

    प्राथमिक विद्यालय इस्लाम नगर में स्कूल का भवन काफी अच्छी स्थिति में है, लेकिन बच्चों के लिए फर्नीचर न होने से उन्हें जमीन पर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती है। स्कूल में आठ कक्षों में करीब 450 छात्र-छात्राएं जमीन पर दरी बिछाकर बैठते हैं।

    प्रधानाचार्य मोहम्मद इकबाल ने बताया कि स्कूल में फर्नीचर नहीं है। इसके लिए विभाग से मांग भी की थी, लेकिन अभी बच्चों के बैठने के लिए फर्नीचर की सुविधा नहीं मिल सकी है।

    केस-2

    प्राथमिक विद्यालय लाल कुआं में वैसे तो समस्याओं की भरमार है, लेकिन यहां फर्नीचर न होने से भी बच्चों को काफी ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ती है। वर्षा होने पर स्कूल में पानी भर जाता है। स्कूल में कुल पांच कक्षा कक्षों में से हाल ही में तेज वर्षा होने पर तीन में पानी भर गया था।

    ऐसे में बच्चों को दो ही कमरों में बैठाया गया था। पानी सूखने के बाद भी कमरों में सीलन से बच्चों को नीचे दरी बिछाकर बैठने में काफी समस्या होती है। करीब 150 बच्चे हैं जिनको पढ़ाने के लिए एक शिक्षक एवं एक शिक्षामित्र हैं।

    जिले में परिषदीय विद्यालयों में 19 पैरामीटर पूरे कराने के लिए सर्वे किया जा रहा है। सर्वे के बाद जिन स्कूलों में फर्नीचर की कमी मिलेगी उन्हें फर्नीचर से संतृप्त कर दिया जाएगा।

    - ओपी यादव, बेसिक शिक्षा अधिकारी गाजियाबाद