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    Ghaziabad News: मधुबन बापूधाम एसटीपी परिसर में उगेगा जंगल, 2700 वर्गमीटर जमीन पर मियावकी पद्वति से पौधरोपण की तैयारी

    Updated: Sun, 15 Jun 2025 08:34 AM (IST)

    गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) मधुबन बापूधाम एसटीपी परिसर में मियावाकी पद्धति से पौधारोपण करने की तैयारी कर रहा है। 2700 वर्गमीटर जमीन पर छायादार और अधिक ऑक्सीजन देने वाले पौधे लगाए जाएंगे। इस परियोजना पर करीब 27 लाख रुपये का खर्च आएगा जिसे एक निजी संस्था सीएसआर फंड से वहन करेगी।

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    मधुबन बापूधाम में सदरपुर के पास मियावाकी पद्धति से पौधे लगाए जाने के लिए की जा रही तैयारी। सौ. जीडीए

    जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। वायु प्रदूषण की बढ़ती समस्या को देखते हुए जीडीए की ओर से पर्यावरण संरक्षण को लेकर कदम उठाया गया है। प्राधिकरण की ओर से मधुबन बापूधाम एसटीपी परिसर की कूड़े से खाली हुई करीब 2700 वर्ग मीटर जमीन पर मियावकी पद्वति से पौधारोपण की तैयारी है।

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    खर्च वहन करेगी निजी संस्था

    जीडीए ने इसके लिए उद्यान विभाग द्वारा एसटीपी परिसर की जमीन को समतल कार्य आरंभ करा दिया है। जीडीए वीसी अतुल वत्स ने बताया कि मियावाकी पद्धति से एसटीपी परिसर में छायादार और अधिक आक्सीजन देने वाले पौधों को रोपित किया जाएगा। इसमें खासतौर से पीपल, नीम, सहजन, लाल कनेर आदि पौधे प्रमुख रूप से शामिल होंगे।

    स्थानीय लोगों को इससे जहां शुद्ध वातावरण मिलेगा। वहीं, पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी यह महत्वपूर्ण कदम होागा। मियावकी पद्वति से यहां घने छायादार पौधे कुछ दिनों में पेड़ का रूप लेंगे तो वातावरण भी शुद्ध होगा। इस पद्वति के आधार पर पौधारोपण पर करीब 27 लाख रुपये का खर्च आएगा, जिसे सीएसआर फंड से एक निजी संस्था वहन करेगी और अगले दो वर्षों तक इसका रखरखाब भी निजी संस्था द्वारा किया जाएगा।

    एसटीपी परिसर में लगा था कूड़े का पहाड़

    मधुबन बापूधाम के डी ब्लाक स्थित एसटीपी परिसर में कांवड़ यात्रा के दौरान नगर निगम रोज 50 से अधिक डंपर कूड़ा भरकर यहां उलटते गए, जिसके चलते यहां कूड़े का पहाड़ खड़ा हो गया। हवा चलने पर इसके आसपास रहने वाले लोगों का बदबू से जीना मुहाल हो गया था।

    मधुबन बापूधाम वेलफेयर एसोसिएशन ने एनजीटी में याचिका दायर की थी, जिस पर निर्णय सुनाते हुए एनजीटी की ओर से नगर निगम को इसे साफ कर यहां 500 पौधे लगाने आदेश दिए थे। निगम की ओर से नाम भर को पौधारोपण किया गया, लेकिन देखभाल न होने से वह सूख गए। अब जीडीए ने इसे मियावाकी पद्धति से एक संस्था की मदद से हरा भरा करने की योजना बनाई है।