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    गाजियाबाद में 307 सूक्ष्म और लघु औद्योगिक इकाइयों ने गैस जेनसेट में दिखाई दिलचस्पी, 50% तक सब्सिडी दे रही सरकार

    Updated: Sun, 05 Oct 2025 11:20 AM (IST)

    गाजियाबाद में बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार डीजल जेनसेट को गैस जेनसेट में बदलने पर 50% तक सब्सिडी दे रही है। 307 उद्यमियों ने इसमें दिलचस्पी दिखाई है। सरकार का लक्ष्य तीन हजार उद्योगों को सब्सिडी देना है। ग्रेप लागू होने पर डीजल जेनरेटर बंद करने पड़ते हैं जिससे उद्यमियों को परेशानी होती है। सब्सिडी के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है।

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    साहिबाबाद औद्योगिक क्षेत्र साइट- चार की फोटो। सौजन्य- जागरण

    शाहनवाज अली, गाजियाबाद। बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिए औद्योगिक इकाइयों में डीजल से गैस चालित जेनसेट बदलने को लेकर 307 उद्यमियों ने रूचि दिखाई है। अधिकांश उद्योगों में डीजल जेनसेट संचालित हैं। ऐसे में सरकार गैस आधारित जेनसेट लगाने व डीजल से गैस आधारित जेनसेट बदलने पर 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी दे रही है। अभी तक 307 उद्योगों ने डीजल से गैस चालित जेनसेट को बदला है।

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    जिले 25 हजार से अधिक औद्योगिक इकाइयों में कुल ईंधन वाली इकाइयों की संख्या करीब नौ हजार हैं। इनमें डीजल जेनसेट का का अधिक उपयोग होता है। सरकार ने उद्योगों में पर्यावरण सुधार के लिए ड्यूल फ्यूल मोड जनरेटर को सीएनजी जनरेटर में परिवर्तन करने के लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी देने निर्णय लिया है।

    जिले में तीन हजार उद्योगों को सब्सिडी देने का लक्ष्य दिया गया है। औद्योगिक इकाइयां इस सब्सिडी का लाभ उठाने लगी हैं। ग्रेप लागू होने पर डीजल जेनरेटर बंद करने पड़ते हैं। इससे उद्यमियों को समस्या का सामना करना पड़ता है।

    उपायुक्त उद्योग श्रीनाथ पासवान ने बताया कि गैस आधारित जेनसेट खरीदने व परिवर्तित कराने पर सब्सिडी लेने के लिए जिला उपायुक्त उद्योग कार्यालय मेरठ रोड औद्योगिक क्षेत्र में जानकारी ली जा सकती है।

    इकाइयों काे सब्सिडी के मानक हैं अलग

    सूक्ष्म इकाइयों में जेनसेट खरीदने या मोडिफिकेशन में 10 लाख रुपये पर 50 प्रतिशत्, 10 से 40 लाख रुपये तक पर 40 प्रतिशत और 40 लाख रुपये से अधिक कीमत के जेनसेट या मशीनरी मोडिफिकेशन के खर्च पर 25 प्रतिशत या 20 लाख रुपये तक की सब्सिडी दी जा रही है।

    सब्सिडी के लिए ऐसे करें ऑनलाइन आवेदन

    1. सब्सिडी का लाभ लेने के लिए उद्यमी www.diupmsme.upsdc.gov.in पर आवेदन कर लागिन करें। अपना
    2. यूजर आइडी और पासवर्ड बनाए। आवेदक की मुख्य डिटेल भरें। क्रय किए गए जेनसेट का विवरण भरें।
    3. जेनसेट की क्षमता, प्रकार और आपूर्तिकर्ता का इनवायस और बिल विवरण भरकर अपलोड कर दें।

    एक अक्टूबर से लागू हुआ ग्रेप

    वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के आदेश पर ग्रेप एक अक्टूबर से लागू किया गया है। इसके चार चरणों में भी बदलाव किया गया है। 101 से 200 तक मध्यम एयर इंडेक्स (एक्यूआई) वाली श्रेणी को खत्म करते हुए अब ग्रेप के प्रविधान एयर इंडेक्स के 200 से ऊपर जाने यानी हवा के खराब हो जाने पर ही लगना शुरू होगा।

    इन चार स्टेज में लागू लगेंगी ग्रेप की पाबंदी

    • 201 से 300 तक का एक्यूआई - खराब श्रेणी - स्टेज एक
    • 301 से 400 तक का एक्यूआई - बेहद खराब श्रेणी - स्टेज दो
    • 401 से 450 तक का एक्यूआई - गंभीर श्रेणी - स्टेज तीन
    • 450 से ज्यादा एक्यूआई - अति गंभीर श्रेणी - स्टेज चार

    औद्योगिक क्षेत्र - इकाइयों की अनुमानित संख्या

    • औद्योगिक क्षेत्र साइट चार - 2200
    • औद्योगिक क्षेत्र साइट दो - 400
    •  लोनी रोड औद्योगिक क्षेत्र - 300
    • मोहन नगर व आनंद औद्योगिक क्षेत्र- 400
    • रूप नगर औद्योगिक क्षेत्र - 200
    • राजेंद्र नगर औद्योगिक क्षेत्र - 250
    •  ट्रानिका सिटी - 1450
    • जीटी रोड औद्योगिक क्षेत्र- 450
    • अमृत स्टील कंपाउंड - 200
    • कवि नगर औद्योगिक क्षेत्र - 250
    • बुलंदशहर रोड औद्योगिक क्षेत्र - 800
    • स्वदेशी कंपाउंड - 150
    • मेरठ रोड औद्योगिक क्षेत्र - 500
    • पटेल नगर औद्योगिक क्षेत्र - 1200
    • पांडव नगर औद्योगिक क्षेत्र - 200

    जरा सा भी प्रदूषण बढ़ेगा तो निशाने पर उद्योग ही आएंगे, जबकि इसके लिए जिम्मेदार टूटी सड़कें, बढ़ते वाहन, निर्माण कार्य समेत कई अन्य बड़े कारण हैं। विद्युत व्यवस्था पूरी तरह सुचारू हो तो जेनसेट की जरूरत ही न पड़े। स्वदेशी कंपाउंड मेें भी 24 में 22 घंटे बिजली मिल रही है। काफी लोग डीजल से गैस आधारित जेनसेट में बदल भी रहे हैं।

    - साकेत अग्रवाल, वाइस चेयरमैन चैप्टर गाजियाबाद आइआइए

    डीजल से गैस चालित जेनसेट बदलना उद्यमियों के लिए काफी महंगा साबित हो रहा था। शासन की ओर से 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी ने आर्थिक रूप से राहत प्रदान की है। अब जरूरत के हिसाब से उद्यमी गैस चालित जेनसेट के लिए आरईडी लगवा रहे हैं।

    - मनोज कुमार, केंद्रीय कार्यकारी सदस्य आइआइए