गाजियाबाद में दीपावली पर खाद्य पदार्थों में मिलावट रोकना चुनौती, पिछली बार 77 नमूनों में से 38 नमूने मिले थे फेल
दीपावली के अवसर पर गाजियाबाद में खाद्य पदार्थों में मिलावट रोकने की चुनौती है। पिछले साल 77 में से 38 नमूने फेल हुए थे। विभाग ने 21 सेक्टर बनाकर अधिकारियों की ड्यूटी लगाई है। मिठाइयों के साथ पनीर और खोवा में भी मिलावट की आशंका है। नागरिक खाद्य सुरक्षा विभाग में शिकायत कर जांच करवा सकते हैं।

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। दीपावली के अवसर पर खाद्य पदार्थाें में मिलावट रोकना विभाग के लिए चुनौती है। प्रकाश के इस पर्व पर लोग एक दूसरे को मिठाई बांटकर खुशियां साझा करते हैं लेकिन इन मिठाइयों में ही अधिक मिलावट के मामले सामने आते हैं।
पिछले साल दीवाली के अवसर पर खाद्य सुरक्षा विभाग की ओर से खाद्य पदार्थों के 77 नमूने जांच को लेकर प्रयोगशाला भेजे, इनमें से 38 नमूने जांच में फेल मिले। रिपोर्ट मिलने के बाद संबंधित के खिलाफ कोर्ट में वाद दर्ज कराया गया है।
जिले में खाद्य सुरक्षा विभाग ने मिलावटखारों पर शिकंजा कसने के लिए 21 सेक्टर बनाकर अधिकारियों की ड्यूटी लगाई है। जल्द ही पर्व के मद्देनजर शासन स्तर से भी अभियान चलाने के लिए आदेश जारी होने की संभावना है, इसके बाद पांच टीमें गठित कर जिले में खाद्य सामग्री बेचने वाली दुकानों पर चेकिंग किए जाने की तैयारी विभाग की है।
दीवाली पर न केवल मिठाइयों में बल्कि नमकीन, मैदा, पनीर और खोवा में भी मिलावट अधिक होती है। त्योहार के अवसर पर मांग अधिक होने के कारण गाजियाबाद में बागपत से लेकर अलीगढ़ तक से पनीर और खोवा मंगाया जाता है, इनमें मिलावट की संभावना भी अधिक रहती है। इसके अलावा देहात क्षेत्र में खाद्य सामग्रियों में मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री भी अधिक होती है।
वित्तीय वर्ष | सैंपल लिए | रिपोर्ट मिली | फेल |
---|---|---|---|
2024 - 25 | 1,298 | 1,001 | 518 |
2023 - 24 | 952 | 933 | 483 |
2022 - 23 | 838 | 1,105 | 594 |
2021 - 22 | 737 | 600 | 349 |
2020 - 21 | 658 | 600 | 320 |
त्याेहार के अवसर पर मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री को रोकने के लिए प्रत्येक सेक्टर में अधिकारी चेकिंग कर रहे हैं, बाहर से आने वाले खाद्य सामग्रियों पर भी नजर है। यदि किसी व्यक्ति को किसी प्रतिष्ठान में बिकने वाले खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता पर शक हो तो वह इसकी जांच भी खाद्य सुरक्षा विभाग में शिकायत कर करवा सकता है।
- अरविंद यादव, जिला अभिहित अधिकारी
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