महिला शिक्षा मित्र ससुराल से मायके आकर परिषदीय स्कूलों में पढ़ा रहीं बच्चे, रोज तय करती हैं 60 KM तक की दूरी
गाजियाबाद जिले में कई महिला शिक्षामित्रों को विवाह के बाद ससुराल से मायके आकर पढ़ाना पड़ता है। कुछ शिक्षिकाएं 60 किलोमीटर तक की दूरी तय करती हैं जिससे उन्हें काफी परेशानी होती है। वे 3 जनवरी 2025 के आदेशानुसार ससुराल के नजदीक समायोजन की मांग कर रही हैं। कुछ शिक्षिकाओं की आपबीती दर्शाती है कि वे कैसे कठिनाइयों का सामना कर रही हैं।

दीपा शर्मा, गाजियाबाद। परिषदीय विद्यालयों में बड़ी संख्या में ऐसी महिला शिक्षामित्र हैं जिन्हें अपने ससुराल से बच्चों को पढ़ाने के लिए मायके स्थित परिषदीय विद्यालयों में आ रहीं हैं। ऐसी महिला शिक्षा मित्र भर्ती के समय अविवाहित थीं।
अब वह दूसरे जिले, शहर एवं अन्य जगह पर स्कूलों के लिए लंबी दूरी तय कर रही हैं। जिले में ऐसी महिला शिक्षा मित्र भी हैं, जो गौतमबुद्ध नगर के अलावा मेरठ, हापुड़ आदि जिलों के स्कूलों तक पढ़ाने जाती हैं। इसके लिए वह बस व ट्रेन से लंबी दूरी तय कर रही हैं।
परिषदीय विद्यालयों में तैनात हैं करीब 250 महिला शिक्षामित्र
जिले में कुल 466 शिक्षामित्र हैं। इनमें बड़ी संख्या में ऐसी महिला शिक्षा मित्र हैं जो भर्ती के समय अविवाहित थीं और अब उनका विवाह अन्य क्षेत्रों में हो गया। ऐसी महिला शिक्षामित्रों का कहना है कि उन्हें स्कूल तक पहुंचने के लिए काफी समस्या झेलनी पड़ती है।
इनमें से कई सुबह सवेरे की ट्रेन या बस पकड़कर गाजियाबाद आती हैं। इसके बाद आटो एवं अन्य साधनों से स्कूल तक पहुंचती हैं। जबकी इनका वेतन करीब 10 हजार रुपये है। इनमें से बड़ी संख्या में शिक्षा मित्र नौकरी छोड़ चुकी हैं और कुछ इस उम्मीद में नौकरी नहीं छोड़ना चाहतीं कि एक दिन उनकी सहायक अध्यापक के पद पर बहाली हो जाएगी।
महिला शिक्षा मित्रों की मांग है कि तीन जनवरी 2025 को जारी आदेशानुसार उनका समायोजन ससुराल के नजदीक विद्यालयों में कराया जाए। जिससे उन्हें समस्या न झेलनी पड़े। 12 जून को शासन की ओर से पहले चरण में शिक्षामित्रों की मूल विद्यालयों में वापसी का आदेश जारी हुआ है, लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग को आनलाइन समायोजन प्रक्रिया को लेकर कोई निर्देश नहीं मिले हैं।
केस - 1
महिला शिक्षामित्र शबाना ने बताया कि उनका मायका मसूरी में है। वह वर्तमान में प्राथमिक विद्यालय ताज कॉलोनी मसूरी में कार्यरत हैं। उनका विवाह सिंभावली सिखेड़ा में होने की वजह से उन्हें प्रतिदिन करीब 45 किलोमीटर से अधिक दूरी तय बच्चों को स्कूल में पढ़ने के लिए मसूरी आना जाना पड़ता है। शबाना का कहना है कि उनका समायोजन उनकी ससुराल के नजदीक किसी विद्यालय में होने से उन्हें बड़ी राहत मिलेगी।
केस-2
महिला शिक्षामित्र आशा मौर्य का मायका डासना में है। वह मयूर विहार डासना के परिषदीय विद्यालय में कार्यरत हैं। सुबह तीन बजे उठना पड़ता है। घर से पांच किलोमीटर दूर सुबह सवा छह बजे ट्रेन से स्कूल जाती है।
उनका विवाह दनकौर, नोएडा में होने से उन्हें बच्चों को पढा़ने के लिए रोजाना दनकौर से डासना आना जाना पड़ता है। हर दिन स्कूल पहुंचना और स्कूल से घर पहुंचना किसी चुनौती से कम नहीं होता। जनवरी में जारी आदेशानुसार समायोजन होने से इनकी समस्या का समाधान हो सकेगा।
तीन जनवरी को जारी आदेशानुसार समायोजन की मांग
शिक्षामित्रों का कहना है कि तीन जनवरी 2025 को जारी शासन के आदेशानुसार शिक्षामित्रों का समायोजन किया जाना चाहिए। पहले चरण में शिक्षामित्रों की मूल विद्यालयों में वापसी को लेकर जो आदेश जारी हुए हैं।
उस पर जल्दी ही ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए। इसके बाद दूसरे एवं तीसरे चरण में समायोजन की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए। जिससे महिला शिक्षामित्रों का उनकी ससुराल के नजदीक विद्यालयोें में उनके पति के मूल निवास के आधार पर समायोजन होने से राहत मिल सके।
शासन के आदेशानुसार शिक्षामित्रों के समायोजन की प्रक्रिया शुरू होगी। अभी पहले चरण में समायोजन को लेकर आदेश जारी हुआ है, लेकिन ऑनलाइन समायोजन प्रक्रिया को लेकर कोई निर्देश नहीं मिले हैं। शासन जो भी निर्देश होंगे उनका पालन किया जाएगा।
- ओपी यादव, बेसिक शिक्षा अधिकारी गाजियाबाद
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