Ghaziabad News: बहन के साथ दुष्कर्म के आरोपी दो भाई बरी, पुलिस ने नहीं कराई थी भ्रूण की DNA जांच
गाजियाबाद के टीला मोड़ थाना क्षेत्र में एक 13 वर्षीय लड़की के साथ दुष्कर्म के आरोप में दो भाइयों को कोर्ट ने बरी कर दिया। पुलिस द्वारा डीएनए जांच न कराने और ठोस सबूत पेश न करने के कारण पीड़िता को इंसाफ नहीं मिल सका। पीड़िता की मां ने अपने ही बेटों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी लेकिन बाद में कोर्ट में अपने बयान बदल दिए।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। टीला मोड़ थाना क्षेत्र में 13 वर्षीय अपनी सगी बहन के साथ दुष्कर्म करने के आरोपित दो भाइयों को कोर्ट दोषमुक्त कर दिया। किशोरी के साथ दुष्कर्म की पुष्टि तो हुई थी, लेकिन दुष्कर्म किसने किया यह अब सवाल बनकर रह गया है।
पीड़िता को इंसाफ कैसे मिलेगा? वहीं पुलिस ने इस मामले में किशोरी के भ्रूण की डीएनए जांच नहीं कराई। पुलिस और अभियोजन पक्ष दोनों भाइयों के खिलाफ मजबूत साक्ष्य पेश नहीं कर पाया। पीड़िता की मां ने मई 2024 में अपने ही दो सगे बेटों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी।
टीला मोड़ थाने में दर्ज एफआईआर के मुताबिक, महिला के तीन लड़के और एक लड़की है। 13 वर्षीय लड़की कक्षा आठ में पढ़ती है। बेटी के पेट में कुछ दिन से दर्द था। वह उसे 10 मई 2024 को ईएसआई अस्पताल लेकर गई।
डॉक्टर ने जांच में पाया कि बेटी 22 सप्ताह की गर्भवती है। पूछने पर बेटी ने बताया कि अलग-अलग समय पर दो भाई दो वर्ष से दुष्कर्म कर रहे थे। पुलिस ने किशोरी का मेडिकल कराया। विवेचक ने किशोरी के धारा 164 के तहत वीडियो रिकॉर्ड बयान दर्ज किए।
किशोरी ने पुलिस से अपने बयान में कहा था कि उसकी आयु 11 वर्ष थी। जब वह नींद में थी दूसरे नंबर के भाई ने उसके साथ दुष्कर्म किया। परेशान होने पर उसने मां को बताया। मां ने कहा कि वह उसे डांट देगी।
मां की गैरमौजूदगी मे वह उसके साथ दुष्कर्म करता था। जब वह 13 वर्ष की थी तो बड़े भाई ने पैसे का लालच देकर शराब के नशे उसके साथ दुष्कर्म किया। पुलिस ने पीड़िता को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया। किशोरी ने मजिस्ट्रेट के सामने भी यही बयान दिए। पुलिस ने दोनों भाईयों को जेल भेज दिया था। विवेचक ने आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल कर दिया।
महिला और किशोरी ने पुलिस पर लगाए आरोप
महिला ने कोर्ट में कहा कि उनकी गैर मौजूदगी दो लड़के उनके घर आते थे। वह धमकी देकर बेटी के साथ दुष्कर्म करते थे। किशोरी उन लड़कों को जानती नहीं थी। इसकी रिपोर्ट दर्ज कराने जब वह थाने पहुंची तो पुलिस ने सफेद कागज पर उनके हस्ताक्षर करा लिए।
कागज पर पुलिस ने क्या लिख उन्हें नहीं पता। बेटी ने अपने भाइयों पर दुष्कर्म का आरोप नहीं लगाया था। पिता ने भी इसी तरह का कोर्ट में बयान दिया। किशोरी ने अपने बयान में कोर्ट में कहा कि पुलिस के दबाव में आकर उसने अपने भाइयों का नाम लिया था।
मजिस्ट्रेट के सामने भी उसने पुलिस के दबाव में भाइयों का नाम लिया था। विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) नीरज गौतम की कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद साक्ष्य के अभाव में दोनों भाइयों को दोषमुक्त कर दिया। दोनों को जेल से रिहा करने का आदेश दिया।
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