Delhi Meerut Expressway पर हो जाए हादसा तो कहीं नहीं दे पाएंगे सूचना, तीन दर्जन इमरजेंसी कॉल बॉक्स हुए कबाड़
Delhi Meerut Expressway पर लगे 104 इमरजेंसी कॉल बॉक्स में से 36 खराब हैं जिससे दुर्घटना होने पर यात्रियों को मदद मिलना मुश्किल है। एनएचएआई के अनुसार केवल 68 कॉल बॉक्स ही काम कर रहे हैं। रखरखाव की जिम्मेदारी एपीसीओ और क्यूब हाईवे कंपनी को दी गई है लेकिन लापरवाही के कारण कई बॉक्स खराब हो गए हैं जिससे यात्रियों की सुरक्षा खतरे में है।

हसीन शाह, गाजियाबाद। दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे (डीएमई) पर इमरजेंसी मदद के लिए लगाए गए इमरजेंसी कॉल बाक्स (ईसीबी) से कोई उम्मीद मत रखना। एनएचएआई ने दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे पर लगे 104 इमरजेंसी कॉल बॉक्स (ईसीबी) लगाकर इनके मेंटेनेंस पर ध्यान नहीं दिया। यह कबाड़ बनते जा रहे हैं।
एनएचएआई ने स्वीकार किया है कि डीएमई पर लगे 104 में से 36 ईसीबी काम नहीं कर रहे हैं। इससे साफ है कि हादसे के बाद इनके सहारे रहना जान को खतरे में डालना है। डीएमई के बनने से पहले डीपीआर में ईसीबी लगाने का विस्तार से उल्लेख किया गया था। डीएमई के निर्माण के समय पर ईसीबी लगाए गए। यह ईसीबी सोलर पैनल से संचालित होते हैं।
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ईसीबी एक्सप्रेसवे पर यात्रियों को आपातकालीन स्थिति में सीधे हेल्पलाइन या कंट्रोल रूम से संपर्क करने की सुविधा देता है। दुर्घटना, वाहन खराब, अचानक बीमारी या मेडिकल इमरजेंसी के समय इसका प्रयोग होता है। इसमें लगा एक बटन होता है, जिसे दबाने पर यह सीधे एक्सप्रेसवे के कंट्रोल रूम से संपर्क करता है।
कॉल आते ही ऑपरेटर स्थिति की जानकारी लेता है। मौके पर तत्काल एम्बुलेंस, क्रेन, पेट्रोलिंग व्हीकल या पुलिस भेजी जाती है। इसके इतने फायदे होने के बाद भी ईसीबी को राम भरोसे छोड़ दिया गया है। एनएचएआई ने डीएमई के मेंटनेंस की जिम्मेदारी एपीसीओ और क्यूब हाईवे कंपनी दी है।
मेंटेनेंस के नाम पर दिखावा किया जा रहा है। कई ईसीबी में जंग लग चुका है। कुछ के तार निकलकर बाहर आ गए हैं। दैनिक जागरण ने भी दिल्ली सीमा से डासना तक ईसीबी की वास्तविकता को जाना। बम्हैटा के पास लगे ईसीबी का बटन काम नहीं कर रहा है।
जंग लगने की वजह से उसके ऊपर बना चिह्न मिट चुका है। लाल कुआं के पास लगा ईसीबी ठप पड़ा है। सेन विहार के पास लगा ईसीबी का बटन दबाया तो उससे काल नहीं लगी। इसमें बत्ती तक भी नहीं जली। इस पर जंग लग चुका है। एनएचएआइ ने आरटीआइ में दावा किया है कि 104 ईसीबी में 68 ईसीबी ही काम कर रहे हैं।
डीएमई पर हो चुके हैं बड़े हादसे
डीएमई पर 100 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक गति में वाहन दौड़ते हैं। इस पर दो पहिया और तीन पहिया वाहनों के चलाने पर प्रतिबंध है। हादसों को कम करने के लिए यह प्रतिबंध लगाया गया है। इसके बाद भी डीएमई पर आए दिन बड़े हादसे होते रहते हैं। लोगों की जान चली जाती है।
कई बार रात में हादसा होने पर लोगों के मोबाइल तक टूट जाते हैं। ऐसे में उनके लिए ईसीबी सहारा होता है। जब वह ईसीबी के पास जाते हैं तो पता चलता है कि वह काम नहीं कर रहा है। इसके बाद अन्य राहगीर उनकी मदद के लिए मोबाइल से इमरजेंसी नंबर पर कॉल करते हैं। घायलों को मदद मिलने में समय मिल जाता है।
नंबर गेम
- 100 किमी प्रति घंटे से अधिक गति पर दौड़ते हैं वाहन
- 104 ईसीबी एक्सप्रेवे के निर्माण के समय लगाए गए थे
- 68 ईसीबी कर रहे हैं काम
- 36 ईसीबी खराब पड़े
- एनएचएआई ने चार पैकेज में ईसीबी लगाए थे
पैकेज - कुल ईसीबी - ठीक ईसीबी - खराब ईसीबी
- प्रथम - 16 - 12 - 4
- द्वितीय - 40 - 32 - 8
- तृतीय - 16 - 6 - 10
- चतुर्थ - 32 - 18 - 14
- कुल - 104 - 68 - 36
दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी एपीसीओ ओर क्यूब हाइवे कंपनी की है। दोनों कंपनियों को इमरजेंसी कॉल बाक्स का मेंटेनेंस करना है। पूर्व में कंपनियों को कॉल बाक्स के ठीक करने के लिए कहा गया था। कंपनियों को फिर से ईसीबी को ठीक करने के लिए निर्देशित किया जाएगा।
- मृदुल मिश्रा, प्रबंधक, डीएमई (एनएचएआई)

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